भीम आर्मी ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा
Pankaj Kumar
शामली :—- भीम आर्मी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने आज महामहिम राष्ट्रपति महोदय के नाम एक ज्ञापन एसडीएम शामली को सौंपा। भीम आर्मी के लोगों की मांग है कि दिल्ली में तुगलकाबाद स्थित 600 वर्ष प्राचीन संत शिरोमणि गुरु रविदास मंदिर पर माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार करते हुए उसी स्थल पर गुरु रविदास मंदिर निर्माण कराई जाए तथा 21 अगस्त को शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे लोगों को एक साजिश के तहत जिस प्रकार जिलों में डाला गया है उनकी रिहाई की जाए।
आपको बता दें कि पूरा मामला जनपद शामली का है जहां पर सैकड़ों की तादात में भीम आर्मी के कार्यकर्ता इकट्ठा होकर शामली कलेक्ट्रेट पर पहुंचे। जहां पर उन्होंने माननीय राष्ट्रपति महोदय के नाम संबोधित ज्ञापन एसडीएम शामली को सौंपा। भीम आर्मी के लोगों की मांग है कि 14वी शताब्दी में लोधी वंश के शासक सिकंदर लोधी ने परम संत शिरोमणि गुरु रविदास महाराज जी के ओजस्वी विचारों से प्रभावित होकर दिल्ली के तुगलकाबाद में मंदिर के निर्माण हेतु जगह प्रदान की थी। जिस स्थान से संत शिरोमणि गुरु रविदास जी के पूरी दुनिया में करोड़ों अनुयायियों की आस्था एवं श्रद्धा है। जिसकी दुनिया भर से बहुजन समाज के लोग जिसमें रविदासिया मजहबी एवं सिख समाज के लोग सैकड़ों वर्षों से गुरु वंदना करते आ रहे हैं जबकि उस स्थान पर अपने असंवैधानिक अधिकार जमाने वाले दिल्ली विकास प्राधिकरण का गठन मुल्क की आजादी के बाद हुआ है और विडंबना देखिए कि दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा उक्त जमीन को अपनी बताकर मान्य सुप्रीम कोर्ट में जानबूझकर इसे साजिश के तहत ले जाना और माननीय सुप्रीम कोर्ट के जातिवाद न्याय मूर्तियों द्वारा बिना किसी ऐतिहासिक परीक्षण कराए संत गुरु रविदास मंदिर तुष्टिकरण का आदेश देना एवं विगत 10 अगस्त को दिल्ली विकास प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा तत्परता दिखाते हुए उसे ध्वस्त कर देना यह कहां का न्याय है। ऐसा किया जाने से पूरी दुनिया में रह रहे संत शिरोमणि रविदास जी के अनुयायियों के लिए यह प्रतीत होता है कि भारत में लोकतंत्र नहीं है
बल्कि यह सत्ता पर काबिज लोग लोकतांत्रिक देश में राजतंत्र की बुनियाद डालकर दूसरे संत एवं मजहब को भारत में रहने में जीने की आजादी समाप्त कर देना चाहते हैं। भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने कहा कि भीम आर्मी संस्थापक एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद के साथ 95 अन्य निर्दोष लोगों को जेल में डालने के कारण इस देश के 30 करोड़ से ज्यादा लोगों की भावनाएं आहत हुई है। इस प्रकार के तानाशाही फैसलों एवं ऐसे असंवैधानिक कार्यवाही उसे भारत की शांति व्यवस्था को उलझा कर एक राष्ट्र दोही कार्य किया जा रहा है। जिससे बहुजन समाज काफी आक्रोश में है और जिसके परिणाम उचित नहीं हो सकते।