Thursday, May 9, 2024
उत्तराखंडपरिचय

आपदाएं प्राकृतिक नहीं मानव निर्मित : सत्यपाल

हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विवि के जन्तु एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग में ‘हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के सतत विकास में जन भागीदारी विषय पर हुई कार्यशाला में मुख्य अतिथि विवि के कुलाधिपति एवं बागपत सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि आपदाएं प्राकृतिक नहीं मानव निर्मित होती हैं। वैदिक संस्कृति ही हमें सतत विकास के उचित रास्ते पर ले जा सकती है, क्योंकि वहां प्रकृति का स्वरूप वैज्ञानिक है। डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में सतत विकास के लिए यह भी आवश्यक है कि इस क्षेत्र के लिए बनाए गए विशेष कानूनों के बारे में लोगों में जागरूकता हो। उन्होंने कहा कि वैदिक ऋषि मूलत: वैज्ञानिक थे। इसलिए वेदों में मनुष्य और प्रकृति के समन्वय का मार्ग दिखाई देता है। विशिष्ट अतिथि के रूप में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी के पूर्व कुलपति प्रो. एसवीएस राणा ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र के संरक्षण के लिए एक स्वतंत्र नीति की आवश्यकता है, क्योंकि हिमालय के संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है। प्रो. राणा ने कहा कि नीतिगत तौर पर पर्यावरण परिषद का गठन होना चाहिए जो अलग-अलग स्तरों पर पर्यावरण संरक्षण के लिए जनभागीदारी को सुनिश्चित करे। आईआईटी रुड़की के डॉ. पीके मिश्र ने पीपीटी प्रस्तुति के माध्यम से हिमालयी क्षेत्र में आपदा के कारणों और बचाव के उपायों पर विस्तृत चर्चा की। डॉ. पीके मिश्र ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में सतत विकास और उसके पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए जन, जल, जंगल, जमीन और जानवर के मध्य मैत्री और समन्वय-संतुलन का रिश्ता होना आवश्यक है तभी यह अस्तित्व बचा रह सकता है।
अध्यक्षीय सम्बोधन में विवि के कुलपति प्रो. सोमदेव शतांशु ने कहा कि विश्व की समस्त समस्याओं के समाधान वेदों में निहित हैं। हमें वेदों की और लौटना होगा। जन्तु एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रो. बीडी जोशी ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग को लेकर सामंजस्य का अभाव है। कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र औषधीय पादप, सगंध पादप की दृष्टि से बहुमूल्य है। इसके संरक्षण के लिए ईको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। पर्यावरण विभाग अध्यक्ष प्रो. डी.एस. मलिक ने कार्यशाला की आवश्यकता और उपादेयता को रेखांकित करते हुए कहा कि हिमालयी परिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए जनजागरूकता के माध्यम से आम जनता को जागरूक करना होगा और इस कार्य के लिए हमारे विद्यार्थी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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