Thursday, May 9, 2024
उत्तर प्रदेश

कुसंस्कारों ने ली असद की जान

पाप का घड़ा भर चुका था क्योंकि उम्र छोटी होने पर घड़ा भी छोटा रहता है। माफिया अतीक अहमद का तीसरे नम्बर का बेटा असद ने बेहिसाब पाप किये, जिनका खुलासा भी अब धीरे-धीरे होगा लेकिन जिस पाप से घड़ा छलक उठा, वो था राजूपाल हत्या काण्ड के एकमात्र बचे गवाह उमेशपाल की सरेआम हत्या। असद और उसके शूटरों ने ऐसा दुस्साहस करके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को खुली चुनौती दी थी। पुलिस ने पांच लाख का इनाम घोषित कर रखा था और पुलिस इसे जिंदा या मुर्दा न पकड़ पाती तो योगी की सरकार के अस्तित्व पर संशय पैदा हो जाता। एसटीएफ के बहादुर जवानों ने 13 अप्रैल 2023 को झांसी के पारीछा ताप बिजली घर के निकट असद और एक शूटर को मुठभेड़ मंे मार गिराया। उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) ने असद और शूटर गुलाम के एनकाउंटर पर चल रही अटकलों को विराम देते हुए घटनाक्रम की जानकारी दी। उन्हांेने बताया कि अपराधी को पकड़ना पुलिस का कर्तव्य है और अपराधी अगर पुलिस पर गोली चलाएगा तो आत्मरक्षा में पुलिस को भी गोली चलानी पड़ेगी। इसका नतीजा कुछ भी हो सकता है। असद के साथ ही यही हुआ लेकिन कम उम्र मंे उसे अपराधी बनाने के लिए कुसंस्कार जिम्मेदार हैं। अतीक अहमद के पास इतनी धन-दौलत थी कि असद दुनिया के किसी भी महंगे से महंगे स्कूल मंे शिक्षा प्राप्त कर एक संस्कारी व्यक्ति बन सकता था लेकिन वह पुण्य की जगह पाप की डगर पर चल पड़ा और परिवार के जिम्मेदारों ने उसे रोका नहीं। बताते हैं असद की मां को यह आचरण पसंद नहीं था लेकिन पिता अपने पदचिह्नों पर चलने की प्रेरणा देते थे। स्कूल मंे भी उसका यही आचरण था।
उत्तर प्रदेश (एसटीएफ) ने 13 अप्रैल को झांसी में माफिया अतीक अहमद के बेटे असद और उसके एक साथी गुलाम को मुठभेड़ में मार गिराया। विशेष अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बताया, प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड में वांछित असद और गुलाम पांच-पांच लाख रुपये के इनामी बदमाश थे। दोनों की झांसी में एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में मौत हो गई। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, उमेश पाल की हत्या के बाद असद और गुलाम फरार थे। दोनों को पकड़ने के लिए एसटीएफ की कई टीमों को लगाया गया था। गौरतलब है कि 2005 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक राजू पाल की हत्या के मामले के मुख्य गवाह उमेश पाल और उसके दो सुरक्षा गार्ड की इस साल 24 फरवरी को प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उमेश पाल की पत्नी जया पाल की तहरीर पर 25 फरवरी को अतीक, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, असद सहित दो बेटों, शूटर गुड्डू मुस्लिम व गुलाम तथा नौ अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। असद 24 फरवरी को प्रयागराज के धूमनगंज में उमेश पाल पर फायरिंग करते हुए कैमरे में कैद हुआ था।
अतीक अहमद के तीसरे बेटे असद पर सिर्फ एक केस दर्ज था। उमेश पाल हत्याकांड में वह मुख्य आरोपी था। असद के पिता, चाचा और दोनों भाई माफिया गिरोह से जुड़ चुके थे, लेकिन असद का अंडरवर्ल्ड से कोई नाता नहीं था। वह पढ़ाई कर रहा था। उसने लखनऊ के टॉप स्कूल से पढ़ाई की थी और आगे की शिक्षा के लिए विदेश जाना चाहता था, लेकिन अतीक अहमद के माफिया रिकॉर्ड की वजह से उसका पासपोर्ट क्लियर नहीं हो सका था। असद 24 फरवरी को प्रयागराज में हुए उमेशपाल हत्याकांड का मुख्य आरोपी था। इस हत्या के बाद यूपी पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई थी, लेकिन असद पुलिस की चंगुल से बचने के लिए यहां-वहां भाग रहा था। असद ने अपने ड्राइवर अरबाज, शूटर विजय चौधरी उर्फ उस्मान और गुलाम के साथ प्रयागराज के बीच सड़क पर दिनदहाड़े उमेशपाल हत्याकांड को अंजाम दिया था। जवाबी कार्यवाही में पुलिस ने अरबाज और विजय चौधरी को पहले ही मार गिराया था। पुलिस को असद की तलाश थी। यूपी पुलिस ने असद के ऊपर 5 लाख का इनाम भी घोषित किया था।
असद लखनऊ से अतीक अहमद के द्वारा स्थापित अपराध के साम्राज्य को कंट्रोल करने का काम किया करता था। कई मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि असद कानून की पढ़ाई के लिए विदेश जाना चाहता था। असद ने लखनऊ के नामी गिनामी स्कूल से इसी साल 12वीं का परीक्षा पास किया था। कहा जा रहा है कि असद ने अपने स्कूली शिक्षा के समय से ही गुंडागर्दी शुरू कर दी थी। असद पढ़ने में काफी अच्छा था। वह कई बार अपने क्लास का टॉपर भी रहा था, लेकिन इन सब के बजाय स्कूल टाइम से ही किसी के साथ मारपीट कर लेना, किसी को गाली दे देना असद के लिए आम बात हो गई थी। कुछ साल पहले असद के स्कूल में एक प्रतियोगिता का आयोजन हुआ था। प्रतियोगिता में असद अपनी टीम को खुद लीड कर रहा था। इसमें उसकी टीम को हार मिली। इसके बाद असद अपनी हार से इतना बौखलाया कि उसने न सिर्फ जीतने वाली टीम के खिलाड़ियों को पीटा, बल्कि बीच-बचाव में आए अपने स्कूल के अध्यापकों के साथ भी हाथापाई की थी। असद की इस हरकत से वहां पर मौजूद सभी लोग काफी खफा हुए थे, लेकिन कोई कर भी क्या सकता था। असद यूपी के कुख्यात गैंगस्टर अतीक अहमद का बेटा जो था। इस तरह से असद ने अपराध की दुनिया में एंट्री लिया और बाद में अपराध के साम्राज्य को खुद लीड करने लगा था। उमेशपाल हत्याकांड की साजिश भी खुद असद ने ही रची थी।
यूपी पुलिस का कहना है कि उमेशपाल हत्याकांड में अतीक के भाई अशरफ की पत्नी जैनब फातिमा का भी रोल था और इसलिए उसे भी आरोपी बनाया गया है। पुलिस ने जैनब का चालान कर दिया है और उसे निजी मुचलके पर रिहा भी कर दिया गया है। जैनब से पहले अतीक अहमद के परिवार के 6 सदस्यों पर मुकदमा हो चुका है। अतीक की बहन आयशा नूरी और भांजी उनजिला नूरी भी उमेशपाल हत्याकांड के दोषियों को पनाह देने में फंस गए हैं। इस तरह अतीक अहमद के परिवार के 9 लोग अब कानूनी शिकंजे में फंस चुके हैं। सबसे पहले अतीक अहमद पर 1979 में मुकदमा दर्ज किया गया। बताया जा रहा है कि अतीक के खिलाफ 54 केसों की सुनवाई प्रदेश के अलग अलग जिलों में चल रही है। अतीक अहमद के खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास और धमकी देने जैसे गंभीर आरोपों के केस दर्ज हैं। अतीक के खिलाफ ईडी की भी जांच चल रही है। उसको हाल ही उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है।

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