जो कहते हैं वही करते हैं योगी बाबा !
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह जो कहते हैं उसे करने की कूवत भी रखते हैं। जिस माफियागर्दी को पिछले पचास साल से तमाम राजनीतिक दलों ने संरक्षण दे कर पाला पोसा उसे नकेल डालने का जज्बा मुख्यमंत्री योगी ने दिखाया है। आधी सदी से आतंक और गुनाह की दुनिया के बेताज बादशाह बने माफिया को नेस्तनाबूद करने की हिम्मत सिर्फ योगी बाबा जैसे अदम्य साहस व नैतिक बल वाले मुख्यमंत्री ही कर सकते हैं। पूर्वोत्तर में पैंतालीस साल तक अपने आपराधिक गिरोह के बूते पर दहशत और माफिया गर्दी का साम्राज्य चलाने वाला अतीक इन दिनों खुद इकबाल कर रहा है कि अब काहे की माफिया गर्दी वह तो बाबा ने कब की खत्म करा दी अब तो सिर्फ रगड़ाई हो रही है। जिस समय माफिया सरगना अतीक जेल में बैठ कर ही अपने बेटे और गैंग को रिमोट से संचालित कर प्रयागराज की सड़कों पर गोली और बम चलवा रहा था तब उसे सपने में भी गुमान नहीं रहा होगा कि एक गवाह और उसके अंगरक्षकों को गोली से उड़ाने का नतीजा इतना भयावह होगा और योगी के गुस्से की तीसरी आंख खुलते ही उसका गुनाहों का किला रेत के महल की तरह दरक जाएगा।
योगी बाबा ने माफिया को मिट्टी में मिला देने का बयान दिया तो पुलिस और कानून का इकबाल भी जाग गया। पैंतालिस दिन तक चूहा बिल्ली का खेल खेलने के बाद आखिर अतीक का बेटा असद और उसके साथी शूटर गुलाम को एसटीएफ ने ढेर कर दिया है। पुलिस ने योगी बाबा के माफिया को मिट्टी में मिला देने की दिशा में एक कदम और बढ़ा दिया है।
पहले योगी सरकार का बुलडोजर गरज उठा था और इस की जद में माफिया और उसके सहयोगी आ गए। इस समय माफियाओं के खिलाफ मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी और उनकी सरकार फुल एक्शन में है। प्रयागराज में दिन-दहाड़े विधायक राजूपाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल को जिस फिल्मी अंदाज में मौत के घाट उतार दिया गया उससे प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े होने लाजिमी थे। इस वारदात में उमेश पाल की सुरक्षा में तैनात एक पुलिस कर्मी की उसी दौरान मौत हो गई थी जबकि दूसरे ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था । मुद्दे की तलाश में भटक रहे विपक्ष ने उमेश पाल हत्याकांड को लेकर सरकार की खिंचाई करने की कोशिश की तो बाबा ने उलटे हाथों लिया और नेता विरोधी पक्ष को ऐसी खरी खोटी सुनाई कि अखिलेश यादव को जवाब देना मुश्किल हो गया।
प्रयागराज में पूर्व विधायक राजू पाल हत्याकांड पर बोलते हुए सीएम योगी ने सपा पर जमकर निशाना साधा था । ऐसे में सीएम ने कहा कि ‘‘भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार प्रयागराज मामले में दोषी बताये जा रहे माफिया को ‘मिट्टी’ में मिला देगी।’’उनका यह बयान बहुत चर्चित हुआ और विपक्ष की आलोचना का मुद्दा बना लेकिन अब इस मामले में जिस तरह योगी सरकार ने सख्त कार्रवाई की है उस से साफ हो गया है कि माफिया का मिट्टी में मिलना तय है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में जब घोषणा की कि माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे अपने प्रदेश की पुलिस का इकबाल नहीं गिरने देंगे उसके दो दिन बाद ही अतीक अहमद के पुराने साथी अरबाज को पुलिस और एसटीएफ की टीम ने एनकाउंटर में गिरा दिया और उसकी मौत हो गई है लेकिन 13 अप्रैल को झांसी में यूपी पुलिस की एसटीएफ टीम ने जब अतीक के बेटे असद और शूटर साथी गुलाम को ढेर किया तो देश भर में योगी सरकार और यूपी पुलिस माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई को लेकर चर्चा में आ गई है।
बता दें कि माफिया डॉन अतीक अहमद का पुराना आपराधिक इतिहास है। उस का पिता तांगा चलाता था लेकिन अतीक ने अपराध की दुनिया में कदम रखा तो पीछे मुड़ कर नही देखा। अतीक पर करीब एक सौ से अधिक मुकदमें हैं। कई मुकदमे अपहरण रंगदारी हत्या जैसे संगीन मामलों के हैं। इस समय वह गुजरात की साबरमती जेल में बंद है। जब जनवरी 2005 में राजूपाल की हत्याकर दी गई थी। तब जांच एजेंसियों को यह पता चला था कि अतीक के भाई अशरफ सीधे-सीधे वारदात में शामिल थे और वह भी घटनास्थल पर मौजूद था। यह हत्या का मामला अदालत में विचाराधीन है और उमेश पाल उसी हत्याकांड का गवाह था।
ज्ञात हो कि राजूपाल पहले अतीक अहमद के साथ ही थे और 2004 में जब लोकसभा के चुनाव हुए तो अतीक अहमद फूलपर से सांसद का चुनाव लड़ने चले गए थे उस वक्त अतीक अमहद प्रयागराज की जो पश्चिम विधानसभा सीट है, उसके विधायक थे। अतीक अहमद ने फूलपुर से सांसद का चुनाव लड़ा और 2005 में चुनाव जीत लिया। उसके बाद प्रयागराज पश्चिम की उनकी विधानसभा सीट खाली हो गई। उन्होंने वहां से अपने भाई अशरफ को लड़ाने का फैसला किया लेकिन उसी वक्त राजूपाल ने भी वहां से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी और बीएसपी ने उनको टिकट दे दिया, राजूपाल जीत भी गए इस चुनाव में अशरफ चुनाव हार गया। यहीं से दोनों के बीच अदावट शुरू हो गई। धीरे-धीरे यहीं से शुरू राजनीतिक मतभेद व्यक्तिगत दुश्मनी में बदल गए और 25 जनवरी 2005 में जब राजूपाल एसआरएम हॉस्पिटल कॉलेज गाड़ी से जा रहे थे, तभी एक स्कॉर्पियो गाड़ी ने उनको ओवरटेक किया और उन पर हमला कर दिया। इस तरह पहली बार विधायक बने राजू पाल की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई।इस हत्याकांड में देवी पाल और संदीप यादव नाम के दो लोगों की भी मौत हुई थी।इस मामले में अतीक मुख्य आरोपी है।
राजूपाल की हत्या के लिए तमाम स्वचालित हथियार इस्तेमाल किए गए थे। बताया जाता है कि उमेश पाल उस वक्त उस घटना का चश्मदीद गवाह था और वही इस मामले की पैरवी कर रहा था। इस वजह से उमेश पाल की हत्या को अंजाम दिया गया। उमेश पाल किसी भी सूरत में अपनी गवाही से मुकरने के लिए तैयार नहीं था और दूसरे मामलों में भी उन्होंने पैरवी करना शुरू कर दिया था। इसलिए वह माफिया के निशाने पर था और उमेश पाल की हत्या की यही मुख्य वजह बतायी जा रही है लेकिन बाहुबली अतीक अहमद उस के बेटे और कथित साजिश कर्ताओं को इतनी सख्त कार्रवाई का गुमान नहीं रहा होगा जितना योगी सरकार कर रही है। अब अतीक अहमद और उनके बेटे असद को एनकाउंटर का भय सता रहा था एक ओर अतीक की पत्नी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जान की गुहार लगा रही थीं वहीं अतीक की ओर से सबसे बड़ी अदालत में गुजरात से उत्तर प्रदेश ले जाने पर रोक लगाने और अपनी जान को खतरा व एनकाउंटर की आशंका को लेकर गुहार लगायी गयी है। अतीक और उसके बेटे की हालत इस समय जनमेजय के सर्पयज्ञ के समय तक्षक जैसी हो गई। उधर माफिया के खिलाफ आरपार की जंग की चुनौती दे चुके योगी बाबा के तेवर बहुत सख्त हैं और हो भी क्यों नहीं जब प्रयागराज की सड़कों पर दिनदहाड़े एक गवाह और दो गनर्स को मौत के घाट उतार दिया जाता है तो कानून के राज की बात किस मुंह से की जाएगी।
पुलिस ने उमेश पाल की पत्नी जया पाल की तरफ की शिकायत पर मामला दर्ज किया पर पुलिस ने अतीक अहमद के साथ ही अतीक के भाई, पत्नी शाइस्ता परवीन, अतीक अहमद के दो बेटों और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। पूरे देश में ही नहीं विदेशी मीडिया में भी योगी सरकार की माफिया से आरपार की लड़ाई की गूंज है। क्या यूपी के अन्य अपराधिक माफियाओं के साथ भी योगी सरकार इसी तर्ज पर सफाई अभियान चलाएगी यह सोच कर उन अपराधियों और माफियाओं के दिल बैठ रहे हैं।