Monday, May 6, 2024
उत्तराखंड

अखिल भारतीय संस्कृत शोध सम्मेलन का हुआ शुभारंभ

हरिद्वार। श्रीभगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में तीन दिवसीय अखिल भारतीय संस्कृत शोध सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के पूर्व अध्यक्ष प्रो. वाचस्पति मिश्र ने कहा कि संस्कृत के विकास के बिना वसुधैव कुटुम्बकम् की कल्पना व्यर्थ है। उन्होंने अनेक संस्कृत व अंग्रेजी के शब्दों का सम्बन्ध दिखाकर यह स्पष्ट किया कि संस्कृत भाषा का मूल ही यह स्पष्ट करता है कि यह वसुन्धरा एक परिवार है। देवप्रयागस्थ केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. पीवी सुब्रह्मण्यम् ने कहा कि संस्कृत के शास्त्रों का इदन्न मम वचन ही समस्त संसार के कल्याण की भावना व्यक्त कर समस्त विश्व को परिवार के एक सूत्र में इकट्ठा करता है। उत्तराखण्ड संस्कृत विवि के कुलपति दिनेश चन्द्र शास्त्री ने कहा कि वेद सर्वे भवन्तु सुखिन: की कामना कर समस्त वसुधा को परिवार बनाता है। सारस्वतातिथि जिला संघ संचालक रोहिताश्व कुंवर ने कहा कि भारतीय संस्कृति का मूल आधार ही वसुधैव कुटुम्बकम् है। हमारे प्राचीन शास्त्रों में सर्वत्र समस्त धरा को परिवार माना है। उत्तराखंड संस्कृत शिक्षा निदेशालय के निदेशक एसपी खाली ने कहा कि संस्कृत ज्ञान विज्ञान से सम्पन्न है। मेरा प्रयास है कि संस्कृत का उत्तराखंड में सतत विकास हो। उत्तराखंड संस्कृत शिक्षा परिषद् के सचिव डॉ. वाजश्रवा आर्य ने विचार रखे। सहाचार्य निरंजन मिश्र शोध सम्मेलन 60 शोधपत्रों का वाचन हुआ। प्रथम सत्र अध्यक्षता केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, देवप्रयाग परिसर के प्रो. विजयपाल प्रचेता, मुख्य वक्ता के रूप में डा. शैलेश कुमार तिवारी ने विचार रखे। द्वितीय सत्र की अध्यक्षता श्रीभगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य भोला झा ने की। जिसमें डॉ. हरिगोपाल शास्त्री व डॉ. कुलदीप गौड़ मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहें। महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. व्रजेन्द्र कुमार ने अतिथयों धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में डॉ. पद्मप्रसाद सुवेदी, डॉ. अनिल त्रिपाठी, डॉ. रामरतन खंडेलवाल, डॉ. मनोज किशोर पन्त, डॉ. सुमन झा, डॉ. कंचन तिवारी, डॉ. वाणी भूषण भट्ट, डॉ. मंजू पटेल, डॉ. आशिमा श्रवण, डॉ.दीपक कुमार कोठारी आदि मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *