एमसीडी चुनाव की सियासत में फंसे केजरीवाल
एक दिन पहले ही गुजरात विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद दिल्ली में नगर निगम चुनाव की घोषणा कर दी गई है। दिल्ली में नगर निगम चुनाव इसी साल अप्रैल में होने थे। आम आदमी पार्टी (आप) चाहती थी कि एमसीडी के चुनाव उसी समय कराए जाएं क्योंकि पंजाब में पार्टी को शानदार सफलता मिल चुकी थी। भाजपा उस समय चुनाव नहीं चाहती थी। आम आदमी पार्टी ने इसको लेकर विरोध प्रदर्शन भी किया था। इस बीच दिल्ली के तीन नगर निगमों का विलय भी कर दिया गया है। आम आदमी पार्टी गुजरात में इस बार बहुत मजबूती से चुनाव लड़ रही है। गुजरात और दिल्ली नगर निगम के चुनाव लगभग साथ ही साथ हो रहे हैं । दिल्ली के चुनाव आयुक्त विजय देव के अनुसार 4 दिसंबर को वोटिंग होगी और 7 दिसंबर को नतीजे आएंगे। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही दिल्ली में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग के कमिश्नर विजय देव ने बताया कि इस बार दिल्ली में 250 वार्ड निर्धारित किए गए हैं। इस बार 1 करोड़ 46 लाख 73 हजार मतदाता वोटिंग में हिस्सा लेंगे। दिल्ली राज्य चुनाव आयोग ने बताया कि नामांकन की प्रक्रिया 7 नवंबर से शुरू होगी। 19 नवंबर को आखिरी तारीख नामांकन वापसी की होगी। चुनाव ईवीएम से होगा, नोटा का भी इस्तेमाल होगा। खर्च की सीमा हर वार्ड में 8 लाख रखी गई है। पिछले नगर निगम चुनाव अप्रैल 2017 में हुए थे। बीजेपी ने 281 वार्डों में से 202 में जीत हासिल की थी। उम्मीदवारों की मौत के कारण 2 सीटों पर मतदान नहीं हो सका था। आम आदमी पार्टी (आप) ने 48 वार्ड जीते थे, जबकि कांग्रेस 27 वार्ड जीतने में सफल रही थी। आम आदमी पार्टी के संस्थापक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल चाहते थे कि दिल्ली महानगर निगम कारपोरेशन के चुनाव मंे भी भाजपा को पटकनी दी जाए जो एमसीडी पर पूरी तरह काबिज है लेकिन अब गुजरात विधानसभा चुनाव मंे व्यस्तता के चलते उनका यह लक्ष्य कठिन हो गया है।