Wednesday, May 1, 2024
उत्तराखंड

परंपरा व उल्लास के साथ मनाया गया रक्षाबंधन

 

हरिद्वार

भाई बहन के प्यार और विश्वास का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व धर्मनगरी में परंपरा व उल्लास के साथ मनाया गया। बहनों ने भाई के माथे पर तिलक कर आरती उतारी और कलाई पर राखी बांधी। भाईयों ने बहनों को उपहार भेंटकर कर रक्षा का वचन दिया। श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन का पर्व रविवार को मनाया गया। सवेरे से ही शहर में रक्षाबंधन पर्व की धूम रही। बहनों से सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा की और उन्हें राखी बांधकर भाईयों के लिए मंगल कामना की। इसके बाद भाईयों की कलाई पर राखी बांधकर उनके रक्षा का वचन लिया। दूसरे शहरों से भाईयों के घर राखी बांधने पहुंची बहनों के लिए स्वागत सत्कार के लिए सेंवई सहित कई प्रकार के पकवान बनाए गए। बहनों ने भाईयों को राखी बांधने के बाद मिठाई के साथ सेंवईयों से भाईयों का मुंह मीठा कराया और उनकी दीर्घायू की कामना की। भाईयों ने भी बहनों को उपहार भेंटकर आजीवन उनकी रक्षा करने का वचन दिया। बदलते वक्त के साथ पर्व मनाने का तरीके में भी बदलाव आया है। पहले जहां बहनों को उपहार के रूप में रूपए दिए जाते थे। वहीं अब उसका स्थान महंगे गिफ्ट व मिठाईयों की जगह चाकलेट आदि का प्रचलन बढ़ गया है। इसके अलावा राखी बांधने के लिए घर आने वाली बहन, बहनोई आदि को लंच या डिनर के लिए रेस्टोरेंट में ले जाने का प्रचलन भी बढ़ा है। रामधाम कालोनी में नन्हे मुन्ने बच्चों संस्कृति शाह, स्वीकृति शाह, अन्वी ने भाई रिद्धमन की कलाई पर राखी बांधी। शिवलोक कालोनी में खुशी ने भाई अंश को राखी बांधी। श्री अखण्ड परशुराम अखाड़े के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने बताया कि भाई बहन के पवित्र प्रेम व विश्वास का प्रतीक रक्षाबंधन भारतीय सनातन संस्कृति का प्रमुख पर्व है। युवाओं को पाश्चात्य संस्कृति का परित्याग कर सनातन संस्कृति के महत्व को समझते हुए परंपरागत रूप से त्यौहार मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बालक बालिकाओं के समान संरक्षण व संवद्र्धन के प्रत्येक नागरिक को संकल्प लेना चाहिए।

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