फ्रांस में मैक्रों सरकार के एक बिल से भड़का हुआ हैं, मुस्लिम समुदाय
पेरिस
पिछले दशकभर से आतंकी हमले झेल रहा फ्रांस एक नया बिल ला रहा है, जो इस्लामिक कट्टरता से मुकाबला करेगा। इस बिल में कई पॉइंट्स के अलावा एक खास बात जो है, वहां है फ्रांस में मुस्लिम महिलाओं पर हिंसा को टारगेट करना। फ्रांस में इस समुदाय की युवतियों को शादी से पहले खुद को वर्जिन साबित करना होता है। इसके लिए युवतियां वर्जिनिटी सर्टिफिकेट बनवाती है। अब अगले साल इसपर बैन लग सकता है।फ्रांस के मुस्लिम समुदाय में शादी से पहले लड़कियों को अपने वर्जिन होने का सबूत देना होता है। इसके लिए वे डॉक्टरों की मदद लेती हैं, जो उनके लिए इस तरह का सर्टिफिकेट जारी कर देते हैं,। यहां तक कि कई युवतियां अपने को वर्जिन बताने के लिए सर्जरी तक का सहारा लेती हैं जो काफी दर्दनाक होती है। इसके लिए युवतियां हाइमनोप्लास्टी की मदद ले रही हैं। ये वहां सर्जरी है, जिसमें सेक्स के बाद हाइमन को वापस सिल दिया जाता है। बता दें कि हाइमन वजाइन की झीनी सी परत होती है जो शारीरिक संबंध बनाने या चलने-दौड़ने या किसी तरह की चोट से भी फट जाती है। वहीं हाइमन का न टूटना सेक्स न होने का सबूत माना जाता है।अब फ्रांस में अविवाहित मुस्लिम लड़कियां, शादी तय होने पर यही सर्जरी करवा रही हैं ताकि उनके पति को तसल्ली रहे।
जानकार बताते हैं कि क्लिनिक जाने वाली अधिकतर लड़कियां वर्जिन नहीं होती हैं, लेकिन सर्टिफिकेट या सर्जरी करवाने के बाद परिवार का उनपर यकीन बना रहेगा, ये सोचते हुए वे वर्जिनिटी सर्टिफिकेट इश्यू करने पर जोर देती हैं। सर्जरी के लिए आने वाली लड़कियां अपनी पहचान जाहिर नहीं करती हैं ताकि किसी भी हाल में क्लिनिक से होते हुए बात परिवार तक न चली जाए। सबकुछ चोरी-चुपके किया जा रहा है।यह देखकर साल 2018 में फ्रांस सरकार और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन दोनों ने ही वर्जिनिटी सर्टिफिकेट जैसी परंपरा का क्रूर और महिला अधिकारों का खुला उल्लंघन मानते हुए युवतियों-युवकों से इसे बंद करने की अपील की।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने नए बिल में इस परंपरा को भी खत्म करने की बात की है।राष्ट्रपति मैक्रों का कहना है कि कानून अगर बन जाए,तब इसके कई फायदे होने वाले है। इसे सेपरेटिज्म बिल कहा जा रहा है। बिल की आउटलाइन फिलहाल जनता के सामने नहीं आई है लेकिन कई मुख्य बिंदुओं को लेकर फ्रांस का मुस्लिम समुदाय भड़का हुआ है। जैसे फ्रांस में फ्रेंच इमाम ही होंगे और विदेश से सीखकर आने वाले या विदेशी लोगों को इमाम नहीं बनाया जा सकेगा, चाहे वो कितना ही जानकार क्यों न हो। रिपोर्ट के मुताबिक बिल अगले साल की शुरुआत में संसद में पेश किया जा सकता है। मालूम हो कि यूरोप में सबसे ज्यादा मुसलमान फ्रांस में रहते हैं।साल 2017 की रिपोर्ट के अनुसार फ्रेंच मुस्लिम आबादी देश की कुल आबादी का लगभग 8.8 प्रतिशत हिस्सा है, जो सबसे बड़ी माइनोरिटी है।