लॉकडाउन में डाटा की खपत क्यू — जानिए लॉकडाउन में क्यो पड़ा प्रभाव
नई दिल्ली —
कोरोना के कारण एक ओर जहां मैन्युफैक्चरिंग, ऑटो समेत कई सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुए, वहीं टेलीकॉम सेक्टर के व्यारे-न्यारे हो गए। लॉकडाउन और वर्क फ्रोम होम के कारण लोगों ने घर से काम निपटाने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लिया, जिससे डाटा की खपत आसमान छूने लगी। प्रति व्यक्ति डाटा कंजप्शन 12 जीबी प्रतिमाह तक पहुंच गया और कंपनियों के रेवेन्यू में सालाना आधार पर 185 फीसदी तक की बढ़ोतरी देखने को मिली। शहरों से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में डाटा कंजप्शन 30 फीसदी तक बढ़ गया। 24 अक्टूबर 2019 को, सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्णय दिया जिसने दो दशक से अधिक पुराने कानूनी झगड़े को समायोजित कर दिया, जो एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) का मुद्दा था। अपने फैसले में शीर्ष अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया कि दूरसंचार विभाग की परिभाषा और एजीआर की गणना सही थी, और इसलिए, टेलीकॉम के साथ-साथ अन्य (जिनके पास स्पेक्ट्रम लाइसेंस थे) को लंबित बकाया राशि का भुगतान करना होगा, ऐसा नहीं होने पर जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज देना होगा। तब शीर्ष अदालत ने कहा था कि अगले तीन महीनों के भीतर बकाया राशि का भुगतान करना होगा।
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