Monday, May 6, 2024
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जैव विविधता से ही बचेगी मानवता : डॉ माओ

रुड़की —
चमन लाल महिला महाविद्यालय में जंतु विज्ञान विभाग एवं वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा बोटैनिकल सर्वे ऑफ इंडिया कोलकाता के तत्वावधान में जैव विविधता संरक्षण और हर्बल रिसर्च पर राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। देश के वरिष्ठ वैज्ञानिक कौन है खाद्यान्न के साथ-साथ औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने पर जोर दिया।

वेबीनार के शुभारंभ में चमन लाल महिला महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुशील उपाध्याय ने राष्ट्रीय वेबीनार के बारे में मुख्य बिंदुओं पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि पृथ्वी पर जीवन की पूर्णता को प्राप्त करने हेतु मानव जाति को विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधों की विभिन्न रूपों में आवश्यकता होती है। वर्तमान समय में पेड़ पौधों की दुर्लभ प्रजातियों को सरक्षित करने के लिए हमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सोचना होगा। इसके लिए ऐसी वैज्ञानिक रूपरेखा तैयार करनी होगी जिससे कि पृथ्वी पर महत्वपूर्ण एवं लाभदायक पेड़ पौधों की प्रजातियां बचाई जा सकें|
मुख्य वक्ता बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया कोलकाता के डायरेक्टर डॉ. ए. ए. माओ ने मेडिसिनल प्लांट के संदर्भ में बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमारे देश में वर्तमान समय में पेड़ पौधों के बचाव हेतु अनेक संस्थाएं कार्यरत है| वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, बॉटनिकल गार्डन में पेड़ पौधों को आधुनिक।पद्धतियों द्वारा बचाया जा रहा है। डॉक्टर माओ ने बताया कि कल्टीवेटेड मेडिसिनल प्लांट के द्वारा किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है क्योंकि एग्रीकल्चर के माध्यम से महत्वपूर्ण औषधीय पौधों को उगा कर उनसे विभिन्न प्रकार की औषधियां तैयार की जा रही है| डॉक्टर माओ ने सुझाव दिया कि परंपरागत कृषि के साथ-साथ औषधीय पौधों को भी कृषि के रूप में उगाना चाहिए|

विशिष्ट वक्ता बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया कोलकाता के मुख्य वैज्ञानिक डॉ सुधांशु शेखर दास ने कहा कि पूरे भारत में 17 मेगा डायवर्सिटी स्पाट है जहां पर वातावरणीय प्रभाव के कारण माइक्रो एवं मेक्रो स्तर पर जैव विविधता अत्यधिक प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि मानवता के हित में हमें पेड़ पौधों के संरक्षण हेतु वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सोचने की जरूरत है, जिससे कि पेड़ पौधों की जैव विविधता को स्थायी रूप से संरक्षित किया जा सके|

बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया रीजनल सेंटर देहरादून के मुख्य वैज्ञानिक डॉ हरीश ने मेडिसिनल प्लांट्स एवं उनके संरक्षण पद्धति पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि मानव जाति आज भी 80 फीसद पेड़ पौधों द्वारा निर्मित औषधियों के उपचार पर ही निर्भर है। संसार में सबसे अधिक औषधीय पेड़ पौधों की विविधता भारत एवं चीन में पाई जाती है। उन्होंने सुझाव दिया कि औषधीय पेड़ पौधों को संरक्षित करके परंपरागत तरीके से कृषि की जाए। परंपरागत सूचनाओं को एकत्रित करके आत्म निर्भर बना जा सकता है|

इसके पश्चात प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार डायरेक्टर, आरडी यूनिवर्सिटी जबलपुर ने कोविड-19 के परिपेक्ष में बताया कि भारतीय पेड़ पौधों में वे कौन-कौन सी प्रजातियां वर्तमान में उपलब्ध है जोकि मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने एवं पोषण की कमी की प्रतिपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि मानव शरीर में जब रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है या समाप्त हो जाती है तो शरीर विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कोविड-19 से शरीर को लड़ने के लिए नेचुरल न्यूट्रीशन डाइट पेड़ पौधों से ही प्राप्त होती है। गिलोय, हल्दी, अदरक, इलायची, नींबू, जौ, बाजरा, चना आदि से प्रतिरोधक क्षमता बढाई जा सकती है।

इस राष्ट्रीय वेबीनार में देश के विभिन्न शैक्षणिक एवं शोध संस्थाओं से 853 प्रतिभागियों ने भाग लिया | महाविद्यालय के अध्यक्ष श्री राम कुमार शर्मा, सचिव श्री अतुल हरित जी एवं कोषाध्यक्ष अरुण हरित, वेबीनार संयोजक डॉक्टर दीपिका सैनी एवं सह संयोजक डॉक्टर मोहम्मद इरफान ने अथितियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया।

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