सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मे मरीज व उनके तीमारदार जान जोखिम में डालकर इलाज कराने के लिए मजबूर
राजन त्यागी
हापुड़ – हापुड़ के बाबू राम चरण दास सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हापुड़ (जिला अस्पताल) मे मरीज व उनके तीमारदार जान जोखिम में डालकर इलाज कराने के लिए मजबूर है इतना ही नही जर्जर छत के नीचे घण्टो खड़े रहने को मजबूर है जी हां सही सुना अपने ये हम नही बल्कि अस्पताल की दीवारों पर लगा ये नोटिस भी कह रहा है यदि आप अस्पताल में इलाज कराने आया तो अपनो सुरक्षा स्वयं करे यदि आपके साथ कोई हादसा हो गया तो इसमें अस्पताल की कोई जिम्मेदारी नही होगी। चलिए आप खुद ही अस्पताल में लगे इस नोटिस को पढ़ लीजिये जिसमे साफ साफ लिखा है कि आप सभी को सूचित किया जाता है कि यह छत खराब है तथा नीचे खड़े ना हो और अपना वाहन भी इसके नीचे खड़ा ना करे यह छत कभी भी गिर सकती है जिसकी अस्पताल प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नही होगी ।
अरे साहब अपने ये नोटिस तो लगा दिया लेकिन अब जरा ये भी सोचिये जो बेचारे मरीज और अन्य लोग पढ़े लिखे नही है वो इस नोटिस को कैसे पढ़ सकते है और जब आपको ये पता है कि ये छत जर्जर है तो क्यो इसके नीचे ही पर्चियां बनवाने की लाइन लगवाते है क्यो इसके लिए फिलहाल में अलग व्यवस्था कराई जाती और जब आपको ये सब पता ही है तो यदि कोई हादसा हो गया तो इसका जिम्मेदार अस्पताल प्रशासन क्यो नही होगा ।
वाह रे सरकारी सिस्टम, अपनी जिम्मेदारी भी गरीब जनता के ऊपर ही थोप दी और अस्पताल की दीवारों पर नोटिस लगाकर अपनी पीठ खुद ही थपथपाने लगे ।
दरअसल आपको बता दें गढ़ रोड़ पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के मेन गेट पर जो छज्जा है वह काफी जर्जर स्थिति में है जो कभी भी गिर सकता है इस जर्जर छज्जे के नीचे हर रोज सैकड़ो मरीज पर्ची बनवाने के लिए खड़े होने को मजबूर है और मौत को दावत देते है हालांकि अस्पताल प्रशासन द्वारा यहां पर नोटिस भी चस्पा किया गया है जिसमे लिखा हुआ है के यहां नही खड़े हो हादसे का जिम्मेदार अस्पताल प्रसासन नही होगा लेकिन पर्ची बनवाने के लिए कोई वैकल्पिक वयवस्था नही की गई है। केवल इतना नोटिस लगा दिया गया है लेकिन मरीजो के लिए कोई उचित व्यवस्था नही की गई ।
वही इस मामले में सीएमओ राजवीर सिंह का कहना है ये मामला संज्ञान में है की वहा के छज्जे की जर्जर हालत है उसके निचे 4 गटर लगवा दिए गए है और इसके लिए मैंने शासन से धनराशि की मांग की है उसके बाद नया बन जायेगा और फिलहाल जो गाटर लगाए गए है उससे सभी की सुरक्षा बनी रहेगी।
अस्पताल में इलाज कराने आये एक युवक से बात की गयी तो इलाज कराने आये मरीज ने कहा की अस्पताल की इस छत की हालत बहुत खराब है और यहाँ आते हुए भी डर लगता है और यदि यहाँ कोई हादसा होता है तो इसके जिम्मेदार डॉक्टर होंगे।
सरकार चाहे जितना भी स्वास्थ्य विभाग को सुधारने के लिए लाख कोशिश कर ले मरीजों और गरीब जनता को लाख सुविधा उपलब्ध करा ले लें अधिकारी अभी भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे है खेर छोड़िये अब तो देखना ये होगा की अधिकारियो की मांग करने पर शासन से कब तक इस जर्जर छत को सही कराने के लिए धनराशि आती है या फिर किसी हादसे से बाद मुआवजे का मरहम लगाकर मामले को कागजी कारववाई में उलझा दिया जायेगा।