साधक के जीवन शैली सुधारती है साधना: डॉ. पण्ड्या
हरिद्वार
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि साधक को साधना के दौरान आहार विहार को संयमित रखना चाहिए। साधना साधक के जीवन शैली को सुधारती है। साधना में दुष्कर से दुष्कर प्रारब्ध को काटने या कम करने की शक्ति विद्यमान है। भगवान को पाने के लिए अंतःकरण में अटूट निष्ठा एवं अनवरत साधना करने का धैर्य होना चाहिए। यह बातें उन्होंने नवरात्र साधना में जुटे साधकों को संबोधित करते हुई कही। डॉ. पण्ड्या ने कहा कि जीवन साधना को इतना प्रखर व प्राणवान बनायें, जिससे भगवान की कृपा आप पर सदैव बनी रहे और आपको इच्छित फल की प्राप्ति हो। इस अवसर पर विद्यार्थियों के साधनात्मक, व्यावहारिक एवं सैद्धान्तिक जिज्ञासों का समाधान किया। साथ ही जीवन साधना तथा विद्यार्थी जीवन में सफलता के विविध सूत्रों की जानकारी दी। इससे पूर्व संगीत विभाग के भाइयों द्वारा प्रस्तुत गीत ‘कर रहे हैं साधना हम, शक्ति गुरुवर आप देना… ने उपस्थित साधकों को भक्तिभाव में झूमने के लिए विवश किया। वहीं शारदीय नवरात्र की पूर्णाहुति के अवसर पर गायत्री के सिद्ध साधक युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की तपःस्थली शांतिकुंज परिसर में 27 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ तथा देवसंस्कृति विवि परिसर में 11 कुण्डीय का आयोजन हुआ।