Monday, May 20, 2024
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अनुकरणीय व्यक्तित्व वाले जगरनाथ

 

राजनीति में अनुकरणीय लोगों की संख्या ज्यादा नहीं है। इसके बावजूद कई नेता हैं जिनके व्यक्तितव से सीखा जा सकता है। झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो एक ऐसे ही व्यक्तित्व थे। राजनीति मंे आज आलोचना करने वालों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है लेकिन निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय का भाषण देना कोई नहीं भूलता। जगरनाथ महतो ऐसे नेता थे जो कथनी और करनी में विश्वास करते थे। उन्हे हेमंत सोरेन ने राज्य का शिक्षा मंत्री बनाया। इस पर उनकी आलोचना हुई। लोगों ने कहा हाईस्कूल पास नेता शिक्षा मंत्रालय को कैसे संभालेगा? आदिवासी नेता जगरनाथ महतो ने 1995 मंे 10वीं कक्षा की परीक्षा पास की थी। उसके बाद पढ़ने का अवसर ही नहीं मिला। अब शिक्षा मंत्री बने तो आलोचना हुई और सही मायने मंे आलोचना हुई। जगरनाथ ने उसी समय तय किया कि वह आगे की पढ़ाई करेंगे। उन्होंने बिना हिचक के अगस्त 2020 मंे डुमरी विधानसभा क्षेत्र के एक सरकारी इंटर कालेज में कक्षा 11 में दाखिला लिया। वह चाहते तो किसी नामी गिरामी प्राइवेट स्कूल मंे भी एडमिशन ले सकते थे लेकिन जगरनाथ महतो कथनी और करनी को सही साबित करना चाहते थे। सरकारी स्कूलों को नेता यदि महत्व देने लगें तो शिक्षा व्यवस्था का कायाकल्प हो सकता है। जगरनाथ महतो ने ऐसा प्रयास किया था। दुर्भाग्य से 6 अप्रैल 2023 को जगरनाथ महतो का निधन हो गया। उनके पद चिह्नों पर राजनीति चले तो कई अच्छे नतीजे मिल सकते हैं। यही उनको सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी।
झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का 6 अप्रैल को चेन्नई के एक अस्पताल में निधन हो गया। एक अधिकारी ने बताया कि नवंबर 2020 में महतो ने फेफड़े का प्रतिरोपण कराया था। स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के कारण महतो को पिछले महीने चेन्नई ले जाया गया था। वह कोरोना वायरस से भी संक्रमित पाए गए थे। एमजीएम हेल्थकेयर के चिकित्सक अपार जिंदल ने कहा कि जगरनाथ महतो ने आज अंतिम सांस ली। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने सहयोगी जगरनाथ महतो के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, अपूरणीय क्षति! हमारे टाइगर जगरनाथ दा नहीं रहे! आज झारखण्ड ने अपना एक महान आंदोलनकारी, जुझारू, कर्मठ और जनप्रिय नेता खो दिया। परमात्मा दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर शोकाकुल परिवार को दुःख की यह विकट घड़ी सहन करने की शक्ति दे। वहीं बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी जगरनाथ महतो के निधन पर शोक जताया। उन्होंने कहा, झारखंड सरकार के मंत्री श्री जगरनाथ महतो जी के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। वो एक कुशल आंदोलनकर्ता, समाजसेवी और राजनेता थे। ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शांति एवं परिजनों को दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें। भावभीनी श्रद्धांजलि! शिक्षा मंत्री के निधन पर झारखंड में दो दिनों के राजकीय शोक का ऐलान किया गया।
झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ ने अगस्त 2020 में डुमरी के अपने विधानसभा क्षेत्र में एक सरकारी इंटर कॉलेज में कक्षा 11 में दाखिला लिया। जगरनाथ महतो ने 25 साल पहले 1995 में 10वीं की परीक्षा पास की थी। उन्होंने कहा, लगातार आलोचना ने मुझे अपनी लंबित शिक्षा को फिर से शुरू करने के लिए प्रेरित किया। उनका कहना था कि जब से महतो को मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री के रूप में चुना गया, तब से उन्हें न केवल आम लोगों से, बल्कि निर्वाचित सदस्यों के एक वर्ग से भी आलोचना का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा, लगातार आलोचना ने मुझे अपनी लंबित शिक्षा को फिर से शुरू करने के लिए प्रेरित किया। जब से मुझे झारखंड का शिक्षा मंत्री बनाया गया है, तब से लोगों का एक वर्ग मेरी शैक्षणिक योग्यता पर आक्रामक है, फिर, मैंने अपनी पढ़ाई फिर से शुरू करने का फैसला किया।
जगरनाथ महतो ने वीडियो पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा, स्वयं में सुधार करके शुरुआत कर रहा हूं। मैट्रिक पास करने के बाद, परिस्थितियों ने मुझे शिक्षा से दूर किया था। आज उसी दूरी को पाटने की अभिलाषा ने प्रेरित किया है। इंटरमीडिएट की शिक्षा हेतु , मैंने अपना नामांकन देवीमहतो इंटर कॉलेज नावाडीह में कराया है। जगरनाथ महतो आर्ट्स स्ट्रीम से आगे की पढ़ाई करना चाहते थे लेकिन उनका सपना अधूरा रहा। वह कहते थे- हमने साबित कर दिया है, कि पढ़ने की कोई उम्र सीमा नहीं होती है। हमने पहले भी कहां और अब भी कह रहे हैं कि जिस दिन मैंने शिक्षा मंत्री के रूप में शपथ लिया था उसी दिन से कुछ लोगों को लगा कि 10वीं पास शिक्षा मंत्री क्या करेंगे। हम पढ़ेंगे भी और बेहतर पढ़ाएंगे भी। राज्य के बच्चों को। हम क्लास में भी पढ़ेंगे, मंत्रालय में भी काम करेंगे, जनता का भी काम करेंगे, किसान का भी काम करेंगे।
जगरनाथ महतो गिरिडीह जिले के डुमरी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे। उनकी गिनती झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद्दावर नेताओं में होती थी। वह डुमरी विधानसभा से निर्वाचित काफी लोकप्रिय विधायक थे। क्षेत्र में वह टाइगर के नाम से जाने जाते थे। उनके पास उत्पाद विभाग का भी अतिरिक्त प्रभार था। शिक्षा मंत्री के रूप में 65 हजार पारा शिक्षकों के स्थायीकरण के लिए सेवाशर्त नियमावली लागू करना इनकी बड़ी उपलब्धि मानी जा रही थी।
डुमरी से जगरनाथ महतो ने लगातार चौथी बार जीत दर्ज की थी। इस बार उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल होने का मौका दिया गया। जगरनाथ महतो 2005, 2009, 2014 और 2019 में विधायक रह चुके हैं। जीत का चौका लगाने पर जेएमएम ने जगरनाथ महतो को ईनाम दिया था। शिक्षामंत्री जगरनाथ महतो पर जब 10वीं पास होने को लेकर लोगों का कटाक्ष बढ़ता गया, तो इससे वे काफी दुखी हो गए। उन्होंने कहा कि वे अब और आगे पढ़ाई करेंगे। फिर वह 11वीं में एडमिशन लेने बोकारो के देवी महतो इंटर कॉलेज पहुंच गए। 10 अगस्त 2020 को उन्हांने 1100 रुपए का फॉर्म भर कर दाखिला ले लिया। 11वीं में नामांकन के बाद जगरनाथ महतो ने कहा था- ‘जब मैं मंत्री पद की शपथ ले रहा था और मुझे शिक्षा जैसा विभाग मिला, तो कई लोगों ने मुझ पर व्यंग्य किए। उनका कहना था कि दसवीं पास क्या शिक्षा मंत्रालय। उसी दिन मैंने इसे चैलेंज के रूप में स्वीकार किया। अब मैं पढ़ाई भी करूंगा, अच्छे नंबरों से पास होकर भी दिखाउंगा।’ दसवीं के बाद पढ़ाई छूटने के संबंध में जगरनाथ महतो ने कहा था -उस वक्त झारखंड आंदोलन अपने चरम पर था। वे भी नौजवान थे। आंदोलन में कूद पड़े। विनोद बिहारी महतो के नेतृत्व में राजनीति करने लगे।’ 11वीं में नामांकन लेने के बाद शिक्षामंत्री जगरनाथ महतो पढ़ाई की तैयारी में भी जुट गए। उनके कई ऐसे वीडियो भी वायरल हुए, जिसमें वे अपने विधानसभा क्षेत्र डुमरी से रांची वापस आने के क्रम में गाड़ी में पढ़ाई करते नजर आते थे। वर्ष 2021 में वे 11वीं की परीक्षा देने की तैयारी में थे लेकिन इस बीच अचानक वे कोरोना संक्रमण के कारण गंभीर रूप से बीमार हो गए। इसके कारण 11वीं की भी परीक्षा नहीं दे पाएं। इस कारण 12वीं पास होने का उनका सपना अधूरा रह गया।
रांची के पारस हॉस्पिटल में जब उन्हें एडमिट किया गया था, तब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अस्पताल जाकर उनसे मुलाकात की थी और चेन्नई ले जाकर जांच कराने की सलाह भी दी थी। इस दौरान उन्होंने जगरनाथ महतो को टाइगर बताते हुए उनके जल्दी ठीक होने की कामना की थी। दो साल पहले कोरोना महामारी से संक्रमित होने के बाद उनके फेफड़ों में संक्रमण हो गया था। इस दौरान चेन्नई एमजीएम में ही उनके लंग्स का ट्रांसप्लानटेशन हुआ था और अब फॉलो अप के लिए उन्हें वहीं भेजा गया था। आज जगरनाथ महतो नहीं हैं लेकिन उनका जीवन राजनीति में आदर्श बन सकता है। (

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