पीके का जनसुराज अभियान
चुनावी रणनीतिकार के रूप मंे विख्यात प्रशांत किशोर अर्थात् पीके अब बिहार मंे जनसुराज अभियान चला रहे हैं। वह किसी राजनीतिक मोर्चे का हिस्सा नहीं हैं लेकिन जननेता बनना चाहते हैं। इस बात को भी वह खुलकर स्वीकार नहीं करते लेकिन जब यह कहते हैं कि अभी बिहार की जनता को जागरूक कर रहे हैं और बता रहे हैं कि आज वहां जो समस्याएं हैं, वे किसी नेता के चलते नहीं बल्कि जनता के जागरूक न होने के चलते हैं तो स्पष्ट है कि जननेता बनना उनका एक लक्ष्य है। वह विचारधारा को महत्वपूर्ण मानते हैं और कहते हैं कि विचारधारा के नाम पर अंधविश्वास नहीं होना चाहिए। प्रशांत किशोर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को आदर्श मानते हैं। ध्यान रहे कि देश में 2014 से लगातार सत्ता पर काबिज और कई राज्यों मंे भी सरकार बनाने वाली भाजपा हिन्दुत्व की विचारधारा को लेकर लोगों को संगठित तो कर रही है लेकिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को खारिज करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। प्रशांत किशोर कहते हैं कि उनकी विचारधारा महात्मा गांधी की विचारधारा है और जनसुराज यात्रा गांधी की विचारधारा को पुनर्जीवित करने का प्रयास है। पीके का यह प्रयास भारत की राजनीति मंे कोई बड़ा बदलाव ला
सकती है क्योंकि यह अभियान बिहार मंे बेहतर नतीजे लाकर अन्य राज्यों मंे भी चलाया जा सकता है। फिलहाल अभी तेजस्वी व नीतीश पीके का विरोध कर रहे हैं।
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने पिछले दिनों कहा कि 2024 में भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता कभी काम नहीं करेगी, क्योंकि यह अस्थिर और वैचारिक रूप से अलग होगी। चुनावी रणनीतिकार ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के फायदों पर भी सवाल उठाया। साथ ही उन्होंने कहा कि विपक्षी एकता दिखावा है और सिर्फ पार्टियों या नेताओं को एक साथ लाने से यह संभव नहीं होगा। प्रशांत किशोर ने एक न्यूज चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘यदि आप भाजपा को चुनौती देना चाहते हैं, तो आपको इसकी ताकत – हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और कल्याणवाद को समझना होगा। यह तीन-स्तरीय स्तंभ है। जो भी बीजेपी को चुनौती देना चाहते हैं उन्हें इन तीन में से दो चीजों को तो बेहतर करना पड़ेगा।‘ उन्होंने कहा, हिंदुत्व की विचारधारा से लड़ने के लिए विचारधाराओं का गठबंधन होना चाहिए। गांधीवादी, अंबेडकरवादी, समाजवादी और कम्युनिस्ट विचारधारा बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन आप विचारधारा के नाम पर अंधविश्वास नहीं कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, मीडिया में आप लोग विपक्षी गठबंधन को दलों या नेताओं के एक साथ आने के रूप में देख रहे हैं। कौन किसके साथ लंच कर रहा है, किसे चाय पर आमंत्रित किया गया है। मैं इसे विचारधारा के गठन में देखता हूं। जब तक वैचारिक गठबंधन नहीं होगा, बीजेपी को हराने का कोई तरीका नहीं है। उन्होंने कहा कि उनकी विचारधारा, महात्मा गांधी की विचारधारा है और बिहार जन सुराज यात्रा गांधी की कांग्रेस की विचारधारा को पुनर्जीवित करने का एक प्रयास है।‘ चुनावी रणनीतिकार के नाम 2014 से कई जीत दर्ज हैं। प्रशांत किशोर अब जन सुराज यात्रा में बिहार का दौरा कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह केवल राज्य को समझने और एक नई राजनीतिक व्यवस्था बनाने का प्रयास है। राजनीतिक गलियारों में पीके के नाम से पहचाने जाने वाले प्रशांत किशोर ने कहा, श्यह बिहार के आसपास नियति और विमर्श को बदलने के लिए है। बिहार जाति-ग्रस्त राजनीति और कई गलत कारणों के लिए जाना जाता है। यह समय है जब बिहार को जाना जाएगा है कि लोग क्या करने में सक्षम हैं। कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की योजना की पेशकश के बाद उनके और गांधी परिवार के बीच मतभेद पर प्रशांत किशोर ने कहा, मेरा लक्ष्य कांग्रेस का पुनर्जन्म था। उनका लक्ष्य चुनाव जीतना था। जिस तरह से वे मेरे विचारों को लागू करना चाहते थे, उस पर हम सहमत नहीं थे। प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कहा, यह केवल चलने के बारे में नहीं है। भारत जोड़ो यात्रा की छह महीनों में बहुत प्रशंसा और आलोचना भी हुई है। छह महीने चलने के बाद आपको कुछ अंतर दिखाई देना चाहिए? यह यात्रा एक पार्टी के चुनावी भाग्य को बेहतर बनाने के लिए है। मैं केवल चार जिलों को कवर कर सका हूं। मेरे लिए यात्रा मिशन नहीं बल्कि क्षेत्र को समझने के लिए है। सवाल उठता है कि क्या प्रशांत किशोर आगे राजनीति में आएंगे? प्रशांत किशोर कहते हैं कि बिहार में एक नई राजनीतिक व्यवस्था बनाने के लिए बिहार के समाज के स्तर पर एक प्रयास किया जाएगा, जिसका नाम है जन सुराज। जन सुराज कोई दल नहीं है। ये कोई सामाजिक आंदोलन भी नहीं है। ये समाज के मदद से समाज के जरिए एक नई राजनीतिक व्यवस्था बनाने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि बिहार को काफी गलत कारणों से जाना जाता है लेकिन अब समय आ गया है कि बिहार को जाना जाए, बिहार के लोगों में क्या काबिलियत है। उनमें जो क्षमता है, उसको एक व्यवस्था दी जाए, उसको एक सांचे में रखा जाए ताकि बिहार में एक नई व्यवस्था बने जिससे न सिर्फ बिहार में विकास हो बल्कि देश के स्तर पर भी ये चीज स्थापित की जाए कि लोग आपस में मिलकर सही मायनों में एक लोकतांत्रिक विकल्प, अपना विकल्प, जनता का विकल्प, बना सकते हैं और उसको चला सकते। प्रशांत किशोर कहते हैं कि इस देश में आजादी से पहले ये व्यवस्था सालों दशकों तक कायम थी। हमने इतिहास में पढा है, कांग्रेस के अधिवेशनों का बड़ा जिक्र होता है। आज की कांग्रेस नहीं, जो महात्मा गांधी के लीडरशिप में थी उस कांग्रेस का। उस व्यवस्था में देशभर से लोग एक जगह इकट्ठा होते थे। वो ये तय करते थे कि उस दल का उस साल के लिए कौन नेतृत्व करेगा। लोग ये मिलकर तय करते थे कि किन बात पर आंदोलन होगा, किस तरीके से उसको चलाया जाएगा। अगर ये बात आजादी से पहले लागू थी या की जा रही थी तो इसको आज भी किया जा सकता है। बिहार के स्तर पर नहीं, पूरे देश के स्तर पर।
प्रशांत किशोर कहते हैं कि हम उन घर, उन परिवार से नहीं आते हैं जो पहचान लेकर पैदा हुए हैं। हमारी पहचान हमारा काम है। हमने जो दस साल किया है, वही मेरी पहचान है। अब जो कर रहे हैं और जो खड़ा कर रहे हैं, यही हमारी आगे की पहचान होगी। देश के राजनीतिक दलों पर बात करते हुए प्रशांत किशोर कहते हैं कि नेता चाहता है कि उसके फॉलोअर्स उसकी विचारधारा में बांधकर अंधभक्त हो जाएं। विचारधारा होना बहुत अच्छी बात है। सबके पास कोई न कोई विचारधारा होनी ही चाहिए। लेकिन विचारधारा होना एक बात है और विचारधारा में अंधभक्त हो जाना दूसरी बात है। मैं अंधभक्त नहीं हूं। मैंने इस अभियान को शुरू किया है। जहां मेरी समझ है कि जब तक आप समाज के स्तर पर काम नहीं करेंगे। तब तक राजनीति में कोई परिवर्तन नहीं ला सकते हैं । भाजपा इस देश में इसलिए जीत रही है क्योंकि समाज के स्तर पर एक बड़े वर्ग को उन्होंने हिंदुत्व के नाम पर एक साथ कर लिया है।
प्रशांत किशोर कहते हैं कि जन सुराज कोई दल नहीं। ये समाज को ये बताने का। जगाने का प्रयास है कि आप जिन बातों के लिए अपने नेताओं को दलों को दोष दे रहे हैं। अगर आप ध्यान से देखेंगे तो उसके मूल में आपसे होनेवाली गलती है। जहां पर आप वोट अपने बच्चों के भविष्य के लिए नहीं दे रहे हैं। आप शिक्षा और रोजगार की बात कर रहे हैं लेकिन वोट आप जाति के नाम पर दे रहे है, धर्म के नाम पर दे रहे हैं। जब तक आप अपने मुद्दों पर, शिक्षा और रोजगार, अपने बच्चों के भविष्य के लिए वोट नहीं देंगे। तब तक सुधार नहीं हो सकता है और लोगों को ये समझाने का प्रयास है। मैं लोगों को बता रहा हूं कि भाई विकल्प आपको चाहिए तो आप मिलकर विकल्प बनाइए। जन सुराज की परिभाषा देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि समाज की मदद से एक नई राजनीतिक व्यवस्था बनाने का प्रयास है।