जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में नहीं जारी हो सका साझा बयान
जी-20 के विदेश मंत्रियों की 21 मार्च को हुई बैठक में यूक्रेन संघर्ष को लेकर पश्चिमी देशों और रूस के बीच तीखे मतभेदों के कारण संयुक्त वक्तव्य जारी नहीं किया जा सका, जबकि मेजबान देश भारत ने आम-सहमति बनाने के लिए सतत प्रयास किए। वहीं, इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता ने कहा कि यह मेजबान के रूप में भारत के प्रयासों की कमी नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों के बीच बढ़ते ‘मतभेद’ का नतीजा है। भारत की अध्यक्षता में हुई बैठक में अध्यक्षता सारांश और परिणाम दस्तावेज स्वीकार किए गए, जिनमें समूह की कई अहम प्राथमिकताएं, जैसे भोजन, खाद्य पदार्थ, ऊर्जा और उर्वरक आदि सूचीबद्ध हैं।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यूक्रेन संघर्ष को लेकर मतभेद थे और इस वजह से बैठक में संयुक्त वक्तव्य पर सहमति नहीं बनी, लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि ज्यादातर मुद्दों, खास तौर से विकासशील देशों से जुड़ी चिंताओं पर सहमति बनी है। जयशंकर ने कहा, अगर सभी मुद्दों पर सबके विचार समान होते तो पक्का एक साझा बयान जारी होता, लेकिन कुछ मुद्दे हैं और मुझे लगता है वो मुद्दे, मैं स्पष्ट कहूंगा कि वे यूक्रेन संघर्ष से जुड़े हैं, जिन पर मतभेद हैं। उन्होंने कहा, इसलिए ज्यादातर मुद्दों पर हम सारांश और परिणाम दस्तावेज बना सके। जयशंकर ने दो पैराग्राफ का विरोध करने वाले देशों के नाम नहीं लिए, लेकिन अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि रूस और चीन ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति का समर्थन नहीं किया। जयशंकर ने कहा कि इस मुद्दे पर विचार दो ध्रुवों में बंटे हुए थे। विदेश मंत्री ने कहा कि जी20 का परिणाम दस्तावेज मौजूदा वैश्विक चुनौतियों से निपटने के जी20 के संकल्प को प्रदर्शित करता है।