Monday, May 20, 2024
उत्तराखंड

हिन्दुओं के लिए महाव्रत है महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि 18 फरवरी, शनिवार को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, देवी सती का पार्वती के रूप में पुनर्जन्म हुआ था। मां पार्वती ने आरम्भ में अपने सौंदर्य से भगवान शिव को रिझाना चाहा लेकिन वे सफल नहीं हो सकीं। इसके बाद त्रियुगी नारायण से पांच किलोमीटर दूर गौरीकुंड में कठिन ध्यान और साधना से उन्होंने शिवजी का मन जीत लिया। इसी दिन भगवान शिव और आदिशक्ति मां पार्वती का विवाह संपन्न हुआ। भगवान शिव का तांडव और माता भगवती के लास्यनृत्य के समन्वय से ही सृष्टि में संतुलन बना हुआ है। शिवजी को प्रसन्न करने और व्रत रखने कई महत्वपूर्ण नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है। इन नियमों का पालन करने से महाशिवरात्रि व्रत का पूरा फल मिलता है और भगवान शिव की कृपा भी बनी रहती है।
महाशिवरात्रि व्रत परम मंगलमय और दिव्यतापूर्ण है, यह व्रत चारों पुरुषार्थों धर्म, अर्थ,काम और मोक्ष को देने वाला माना गया है। इस दिन जो प्राणी परमसिद्धिदायक भगवान शिव का व्रत,अभिषेक और पूजन करते हैं वह परम भाग्यशाली होता है। भगवान श्री राम ने स्वयं कहा है कि- शिव द्रोही मम दास कहावा ! सो नर मोहि सपनेहुँ नहिं भावा !! अर्थात जो शिव का द्रोह करके मुझे प्राप्त करना चाहता है वह सपने में भी मुझे प्राप्त नहीं कर सकता। यही वजह है कि इस दिन शिव आराधना के साथ ही श्री रामचरितमानस के पाठ का भी बहुत महत्त्व होता है। एक अन्य कथा के अनुसार माता पार्वती ने एक बार भगवान शिव से पूछा कि कौनसा व्रत उनको सर्वोत्तम भक्ति व पुण्य प्रदान कर सकता है, तब भोलेशंकर ने स्वयं इस दिन का महत्व बताया था कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी की रात्रि को जो उपवास करता है, वह मुझे प्रसन्न कर लेता है। अभिषेक, वस्त्र, धूप, अर्घ्य तथा पुष्प आदि से उतना प्रसन्न नहीं होता जितना कि व्रत-उपवास से।
देश भर में शिव मंदिर स्थापित हैं। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के प्रसिद्ध शिव मंदिरों में भोलेनाथ का आशीर्वाद लेने के लिए हर वर्ष भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
प्राचीन बाबा बूढ़ेनाथ मंदिर मिर्जापुर नगर के सत्ती रोड पर स्थित है। इस मंदिर के देखरेख की जिम्मेदारी कश्मीर व नेपाल के राजा तक उठा चुके हैं। राजाओं की ओर से प्रदान किए गए अष्टधातु निर्मित घंटा आज भी इस मंदिर की शोभा बढ़ा रहे हैं।
बरिया घाट के गंगा तट पर स्थित पंचमुखी महादेव मंदिर भक्तों के आस्था का प्रमुख केंद्र है। पंचमुखी महादेव का विग्रह नेपाल के पशुपतिनाथ के स्वरूप का विग्रह है।
भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए श्रद्धालु प्रातः स्नानादि करके शिवमंदिर जाएं। पूजा में चन्दन, मोली, पान, सुपारी, अक्षत, पंचामृत, बिल्वपत्र, धतूरा, फल-फूल,नारियल, इत्यादि शिवजी को अर्पित करें। भगवान शिव को अत्यंत प्रिय बेल को धोकर चिकने भाग की ओर से चंदन लगाकर चढ़ाएं। ऊँ नमः शिवाय मन्त्र का उच्चारण जितनी बार हो सके करें, एवं शिवमूर्ति और भगवान शिव की लीलाओं का चिंतन करें। रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शंकर की पूजा अर्चना करनी चाहिए। अभिषेक के जल में पहले प्रहर में दूध, दूसरे में दही ,तीसरे में घी, और चैथे में शहद को शामिल करना चाहिए। दिन में केवल फलाहार करें, रात्रि में उपवास करें। हालांकि रोगी, अशक्त और वृद्धजन रात्रि में भी फलहार कर सकते है। इस दिन शिव की पूजा करने से जीव को अभीष्ट फल की प्राप्ति अवश्य होती है।
हिंदू धर्म में भगवान शिव को पूजने वाले बहुत से लोग हैं। वैसे तो भगवान शिव की पूजा आराधना और विशेष कृपा पाने के लिए सावन का महीना उत्तम माना जाता है, लेकिन इसके अलावा प्रदोष व्रत सोमवार मासिक शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के पर्व का भी विशेष महत्व होता है। पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। महाशिवरात्रि पर देशभर के सभी ज्योतिर्लिंगों और शिवालयों में शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यहां पर लोग शिवलिंग का जलाभिषेक विधि विधान से करते हैं।
महाशिवरात्रि के पर्व को लेकर हिंदू धर्म ग्रंथों में बहुत सी कहानियां वर्णित की गई हैं। इन्हीं में से एक कहानी है जो बताती है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन हुआ था। फाल्गुन चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव ने बैरागी छोड़कर माता पार्वती के संग विवाह करके गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। इसी वजह से हर वर्ष फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की खुशी में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। ऐसा मानते हैं कि इस दिन भगवान शिव की हृदय से पूजा अर्चना करने से तमाम तरह की वैवाहिक जीवन से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं और दांपत्य जीवन में सुख समृद्धि आती है। ऐसा भी मानते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन ही सभी द्वादश ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे। कई लोग 12 ज्योतिर्लिंग के प्रकट होने की खुशी में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाते हैं।
महाशिवरात्रि के अवसर पर झारखण्ड के हजारीबाग में निकलने वाली शिव बारात अनोखी होती है। बारात अनोखी इस मामले में कि यहां बारात में केवल पुलिस वाले ही शामिल होते हैं। पुलिस के वरीय पदाधिकारी महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव रूपी दूल्हा और उनकी पत्नी पार्वती रूपी दुल्हन बनती है। बाकी पुलिस कर्मचारी इस शिव बारात में बाराती के तौर पर नजर आते हैं। बड़ी मूंछ वाले पुलिसकर्मी आकर्षण के केंद्र में रहते हैं। बारात निकलती है तो सड़क पर देखने वालों की भीड़ लग जाती है।
पुलिस लाइन में स्थित शिवालय के पुजारी और आरक्षी सुभाष तिवारी ने बताया जिस तरह पुराने समय में भगवान शिव और पार्वती के विवाह की परंपरा शुरू हुई थी, उसी तर्ज पर हर साल महाशिवरात्रि के अवसर पर तीन दिवसीय पूजन कार्यक्रम होता है। पहले दिन 24 घंटे का अखंड शिव कीर्तन, दूसरे दिन शिव बारात और तीसरे दिन प्रीतिभोज का आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया इस विवाह समारोह में हजारीबाग जिले के डीआईजी, एसपी, डीएसपी, थाना प्रभारी सहित सार्जेंट मेजर और पुलिस जवान शामिल होते हैं। वरीय पदाधिकारी को शिव और उनकी पत्नी को पार्वती बनाया जाता है जबकि मूछ वालों को खास महत्व देते हुए बारात में भूत पिशाच बनाया जाता है। अन्य तमाम पुलिसकर्मी बारातियों के तौर पर इस समारोह में शिरकत करते हैं।
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि के पर्व को बेहद पवित्र माना जाता है और इसे धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के अनुयाई विशेष पूजा अर्चना करते हैं और उपवास रखते हैं। ये त्योहार मुख्य रूप से भगवान शिव को बिल्वपत्र अर्पित करके मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि शिवरात्रि के त्योहार पर भगवान शिव की पूजा उपासना करने से दुखों को खत्म किया जा सकता है। भगवान शिव को आदि गुरु का दर्जा दिया गया है जो ज्ञान और विवेक के सृजनहार माने जाते हैं।
महाशिवरात्रि शब्द 3 शब्दों के समायोजन से बना है महा का अर्थ है महान, शिव हमारे देवता हैं और रात्रि का अर्थ है रात इन तीनों का शाब्दिक अर्थ निकलता है शिव की महान रात। हिंदू धर्म में मान्यता है कि जब हम अपनी प्रार्थना भगवान शिव को अर्पित करते हैं और बहुमूल्य जीवन देने और सुरक्षा प्रदान करने के लिए हम उनका आभार व्यक्त करते हैं तब भगवान शिव हमें मनवांछित वर प्रदान करते हैं।

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