Friday, May 17, 2024
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निराश्रित गौवंश को आश्रय

उत्तर प्रदेश में बीते साल 2022 में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनावों में विपक्ष ने सड़कों और खेतों में घूम रहे निराश्रित गौवंश को बड़ा मुद्दा बनाया था। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनावों के दौरान एक रैली को संबोधित करते हुए ये घोषणा की कि जल्दी ही एक नीति को बनाकर इस समस्या का समाधान किया जायेगा। पिछले कुछ दिनों से फिर विपक्ष ने खेतों में घूमते निराश्रित गौवंश को लेकर सरकार पर हमला किया ।अब यूपी की योगी सरकार ने इसको लेकर बड़ा फैसला लिया है। विभाग के मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि इसको लेकर अब सरकार प्रदेश भर में निराश्रित गौवंश को गौशालाओं में पहुंचाने के लिए अभियान चलाएगी और प्रदेश में अब पीपीपी मोड पर गौशालाओं का निर्माण कराया जायेगा।यूपी गौशाला योजना में रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन किया जाता है।सर्वप्रथम आपको राज्य के गौशाला पंजीकरण प्रणाली, उत्तर प्रदेश की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। अब आपके सामने होम पेज खुलकर आएगा। होम पेज पर आपको रजिस्ट्रेशन के विकल्प पर क्लिक करना होगा। अब आपके सामने रजिस्ट्रेशन फॉर्म खुल कर आएगा। आपको इस फॉर्म में मांगी गयी जानकारियां दर्ज करनी होगी। यूपी गौशाला योजना के द्वारा आप एक गाय की देखभाल के लिए प्रतिदिन 50-75 रूपए पा सकते है। यदि आपके पास एक से अधिक गाय की गौशाला है, तो आप एक अच्छी रकम कमा भी सकते है। गौशाला योजना में कम से कम 5 बीघा जमीन होनी चाहिए और 200 गोवंश रखने की सुविधा होनी चाहिए।
यूपी के पशुपालन विभाग के मंत्री धर्मपाल सिंह के अनुसार उत्तर प्रदेश में सड़क पर घूम रहे निराश्रित गौ वंश को गौशालाओं में पहुंचाने का अभियान यूपी सरकार जल्दी शुरू करने जा रही है। इसको लेकर 4 जनवरी को मुख्यमंत्री के सामने प्रेजेंटेशन दिया जा चुका है। अब प्रदेश में पीपीपी मोड पर गौशालाएं बनाई जाएंगी जिसमें उसको सरकार के द्वारा कई सहूलियत दी जायेंगी। जमीन और गाय सरकार प्रदान करेगी। सौर ऊर्जा आदि के लिए सब्सिडी देगी। इसके अलावा गौशालाओं को एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) से भी जोड़ा जाएगा, जिसमें जो गाय से उत्पाद बनते हैं उनको बाजार में उतारा जाएगा चाहे वो गौ मूत्र या गोबर से बनने वाले सामान हों या अन्य उत्पाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधानसभा चुनावों में इसका संज्ञान लिया था और इस मुद्दे को विपक्ष ने बड़ा मुद्दा बनाया था। इसको लेकर मंत्री धर्म पाल ने कहा कि इस बार लोकसभा चुनाव में इसको मुद्दा नहीं बनने देंगे और इस समस्या का जल्दी ही समाधान कर देंगे। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गायों की सुरक्षा एवं निवास के लिए यूपी गौशाला योजना को प्रारम्भ किया गया था। इस योजना को 8 अगस्त 2019 में प्रारम्भ किया गया एवं जब 9 सितम्बर 2019 को आवेदन के लिए पोर्टल को पहली बार खोला गया, तो दो दिनों में ही सैकड़ो आवेदन प्राप्त हुए। इस यूपी गौशाला योजना के अंतर्गत यदि आप अपने गौशाला को जोड़ते है, तो आपको प्रति गाय की देखभाल के लिए प्रतिदिन 50 रूपए प्राप्त होते है। इस प्रकार आपको केवल एक गाय के लिए प्रतिमाह 1500 प्राप्त होता है।
यूपी गौशाला योजना को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने “निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना” का नाम दिया था। एक महीने बाद जब सितम्बर में इस योजना के ऑनलाइन आवेदन के लिए कई सारे गौशाला का रजिस्ट्रेशन बढ़ा तब से नागरिकों द्वारा इस योजना को यूपी गौशाला योजना कहा जाने लगा।इस योजना के अंतर्गत दो प्रकार से लाभ प्रदान किया जाता है- (1) निराश्रित गाय की देखभाल के लिए (2) गौशाला निर्माण के लिए।
यदि आप किसी भी गाय को आश्रित कर उसका देखभाल करते है, तो आपको एक गाय के लिए प्रतिदिन 50 एवं बछड़े (गाय के बच्चे) के लिए 25 प्राप्त होगा। साथ ही आपको चारा-पानी की पूर्ति की जा सकती है।इस यूपी गौशाला योजना 2023 के अंतर्गत अब तक कुल 580 गौशाला जुड़े हैं, जिन्हे इस योजना का लगातार लाभ मिलता आ रहा है। इसतरह गौ-सरंक्षण के लिए सरकार ने अनेक प्रयास किए है। सरकार ने आवारा पशुओं को कम करने और गौ-संरक्षण के लिए ग्राम पंचायत और निकाय में गौशाला खोलने की बात सामने आई है इससे निराश्रित गौवंश को आश्रय मिल सकेगा। राष्ट्रीय पशुपालन और डेयरी विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 20वीं पशुधन गणना से पता चलता है कि देश में 50.21 लाख आवारा मवेशी सड़कों पर घूम रहे हैं। उत्तर प्रदेश में 11.84 लाख मवेशी सड़कों पर आवारा हैं।
यूपी गौशाला योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश की सभी गौशालाओं का विकास करना है। इस योजना के माध्यम से गौशालाओं को आर्थिक सहायता मुहैया करवाई जाएगी। यूपी गौशाला योजना न केवल गौशालाओं का विकास करेगी बल्कि रोजगार के अवसर को बढ़ाने में भी कारगर साबित होगी। यूपी गौशाला योजना के माध्यम से आवेदन खुद भी किया जा सकता है एवं सीएससी केंद्र के माध्यम से भी किया जा सकता है। प्रदेश के नागरिकों को आवेदन करने के लिए अब किसी भी सरकारी कार्यालय में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इससे समय और पैसा दोनों की बचत होगी। यूपी की गौशाला को बेहतर प्रबंधन के लिए यूपी गौशाला अधिनियम 1964 आरंभ किया गया था। इस अधिनियम को पूरे राज्य में लागू किया गया। यूपी में लगभग 498 गौशालाएं हैं। इन सभी गौशालाओं के लिए यूपी सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाओं का संचालन किया जाता है।यह योजनाएं न केवल गौशाला को आर्थिक सहायता मुहैया कराती है बल्कि गौशाला में काम कर रहे नागरिकों को प्रशिक्षण भी प्रदान करती हैं।
पशुपालन और डेयरी विभाग ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसके अनुसार 20वीं पशुधन गणना से पता चलता है कि देश में 50.21 लाख आवारा मवेशी सड़कों पर घूम रहे हैं. इनमें राजस्थान में सबसे अधिक 12.72 लाख और उत्तर प्रदेश में 11.84 लाख मवेशी सड़कों पर आवारा हैं। देश भर में आवारा पशुओं को पालने की वार्षिक लागत 11,000 करोड़ रुपये से अधिक है। मवेशियों की हत्या पर प्रतिबंध और गौरक्षकों के डर से आवारा पशुओं की समस्या तेजी से बढ़ी है और यूपी में दूध न देने वाले पशुओं को पालना किसानों के लिए मुश्किल होता जा रहा है। उत्तर प्रदेश में गाय और मवेशियों को बेहतर आश्रय प्रदान करने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार पीपीपी मॉडल पर बने गौ आश्रयों को शुरू करने की योजना बना रही है। साथ ही राज्य सरकार गाय आश्रयों को अपनी आय उत्पन्न करने के लिए आत्मनिर्भर बनाएगी। फसल की बर्बादी और यहां तक कि बड़ी दुर्घटनाएं झेल रहे किसानों के लिए मवेशियों के रहने का मुद्दा अब भाजपा सरकार की प्राथमिकता बन गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि गौशाला चलाने के लिए अर्थव्यवस्था बनाने की जरूरत है। इसके लिए एक सेल्फ-सस्टेनेबल मॉडल बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीपीपी मोड पर गौशालाओं का निर्माण कराया जाए। साथ ही उन्हें प्राकृतिक खेती, गोबर पेंट, सीएनजी और सीबीजी से जोड़ा जाए। इससे गौशालाएं आर्थिक रूप से मजबूत होंगी और गायों के रख-रखाव और पालन-पोषण का खर्च वे खुद वहन कर सकेंगी। सीएम योगी ने कहा कि इन गौशालाओं के लिए इच्छुक एनजीओ से एमओयू करें और उन्हें आवश्यक व्यवस्था उपलब्ध कराएं।

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