एलजी ने दिखा दिया अपना पावर
एलजी सक्सेना ने सीएम केजरीवाल को अपना पावर दिखा दिया। दिल्ली सरकार के सूचना एवं प्रचार निदेशालय (डीआईपी) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 163.62 करोड़ रुपए का रिकवरी नोटिस भेजा है। नोटिस में 10 दिन के भीतर ये पैसा जमा करने को कहा गया है। यह मामला पिछले महीने चर्चा में आया था जब दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सरकारी विज्ञापन की आड़ में राजनीतिक प्रचार का आरोप लगाते हुए दिल्ली के मुख्य सचिव को आम आदमी पार्टी से 2015-2016 में विज्ञापन पर हुए खर्च की वसूली आम आदमी पार्टी से करने का निर्देश दिया था। अब उपराज्यपाल वीके सक्सेना के निर्देश के बाद दिल्ली सरकार के सूचना और प्रचार निदेशालय ने यह नोटिस जारी किया है। दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने मुख्य सचिव को सरकारी विज्ञापनों की आड़ में प्रकाशित राजनीतिक विज्ञापनों के लिए आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपये वसूलने का निर्देश दिया था, जिसके एक महीने बाद अब ये नोटिस जारी किया गया है। दिल्ली सरकार के सूचना एवं प्रचार निदेशालय द्वारा जारी वसूली नोटिस में राशि पर लगा ब्याज भी शामिल है और दिल्ली में सत्तारूढ़ आप के लिए 10 दिन के अंदर पूरी राशि का भुगतान करना जरूरी है। इस अवधि में अगर भुगतान नहीं किया गया तो आवश्यक कार्यवाही करने की बात भी नोटिस में कही गयी है।
पिछले महीने जारी एलजी के आदेश के बाद डीआईपी ने आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के नाम सरकारी खजाने से सरकारी विज्ञापनों की आड़ में प्रकाशित पार्टी के राजनीतिक विज्ञापनों के लिए 163.62 करोड़ रुपये की वसूली के लिए नोटिस दिया है। नोटिस के मुताबिक 99.31 करोड़ रुपये 31 मार्च, 2017 तक राजनीतिक विज्ञापनों पर खर्च किए गए. शेष रकम इस राशि पर ब्याज के कारण 64.31 करोड़ रुपये है। यानी कुल रकम 163.62 करोड़ रुपए बनती है। उधर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर से उपराज्यपाल पर हमला बोला है। केजरीवाल ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से हम लोग देख रहे हैं कि दिल्ली सरकार के कामों में एलजी का हस्तक्षेप बढ़ता ही जा रहा है। इससे दिल्ली के लोगों के काम हो नहीं पा रहे हैं। इसी को लेकर सीएम केजरीवाल ने उपराज्यपाल के साथ बैठक की। बैठक के बाद उन्होंने कहा मैं देश का संविधान, जीएनसीटी एक्ट समेत कई कानूनों की किताबें लेकर गया था। केजरीवाल ने कहा कि कानून कहता है कि पुलिस, कानून और लैंड उपराज्यपाल का विषय और बाकी का अधिकार चुनी हुई सरकार के पास है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का आदेश कहता है कि ट्रांसफर्ड विषयों पर उपराज्यपाल को निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है। इसका मतलब है कि उपराज्यपाल ने जैस्मीन शाह का दफ्तर सील किया, एल्डरमैन बनाए, पीठासीन अधिकारी बनाया और 164 करोड़ की वसूली का आदेश दिया, शिक्षकों को फिनलैंड जाने से रोका वो सब असंवैधानिक है। यह सब तब हो रहा है जब उपराज्यपाल दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल को मीठी मीठी बातें करने के लिए चिट्ठी लिखते हैं।
दिल्ली के सीएम ने कहा कि जब मैंने उपराज्यपाल से ये बात की तो उन्होंने कहा कि ये सब सुप्रीम कोर्ट की राय हो सकती है इसका कोई मतलब नहीं है। मैं दिल्ली का एडमिनिस्ट्रेटर हूं। कुछ भी कर सकता हूं। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैंने फिर पूछा कि आप सीधे अधिकारी से फाइल नहीं मंगवा सकते, ऐसा कहीं नहीं लिखा है तो उन्होंने कहा कि ये मुझ पर लागू नहीं होता। फिर मैंने पूछा कि आपने एल्डर मैन नियुक्त क्यों किया । इस पर उपराज्यपाल ने कहा कि एमसीडी एक्ट में प्रशासक लिखा है। केजरीवाल ने कहा ऐसे तो शिक्षा और अन्य विभागों के लिए भी लिखा है तो चुनी हुई सरकार क्या करेगी ? मैंने उपराज्यपाल को कोर्ट के और भी आदेश दिखाए तो उन्होंने कहा कि मैं प्रशासक हूं, मेरे पास सुप्रीम पावर है।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम मिलकर काम करना चाहते हैं लेकिन ऐसे गलत मैसेज जाता है। मैंने उपराज्यपाल से पूछा कि आपने शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड जाने से क्यों रोका तो उन्होंने कहा कि फाइल रोकी नहीं है, उसके कॉस्ट बैनिफिट एनेलेसिस करने के लिए कहा है। मैंने उपराज्यपाल से कहा कि हर चीज की कॉस्ट बेनिफिट एनेलेसिस नहीं की जा सकती, एक फौजी भी ऐसा करने लगे तो कैसे होगा ? हम देश बना रहे हैं। वर्ल्ड ईकॉनामिक फोरम में भी नेता जाएंगे। मैंने उपराज्यपाल को बताया कि सभी विभागों का भुगतान रोक दिया गया है, अधिकारी दबी जुबान में बता रहे हैं ऊपर से आदेश है। उन्होंने कहा कि मैंने ऐसा नहीं किया। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं एलजी से कहूंगा कि ऐसे न करें । दिल्ली के कामों को न रोके। किसी ऐसे सलाहकार को साथ रखें जो उन्हें बता सके कि सुप्रीम कोर्ट सलाह नहीं देता वो आदेश होता है। हम फिर से उपराज्यपाल से कहेंगे कि दिल्ली के काम न रोकें, हाथ जोड़ने पड़े तो जोड़ेंगे, कोर्ट जाना पड़ेगा तो जाएंगे लेकिन काम नहीं रुकने देंगे।
दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल के इस बयान के बाद उपराज्यपाल कार्यालय ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है और अरविंद केजरीवाल के आरोपों का खंडन किया। उप राज्यपाल कार्यालय ने इस मसले पर कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स के दौरान जो बयान दिया है वह भ्रामक और मनगढ़ंत है। एलजी के कार्यालय ने कहा कि अरविंद केजरीवाल द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश और एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर मिलने वाली शक्तियों से जुड़े विषयों पर जो बयान दिए हैं वे झूठे हैं और एक विशेष एजेंडा के तहत दिए हैं। उपराज्यपाल कार्यालय इन सभी बयानों और आरोपों का खंडन करता है। दिल्ली में अधिकारों को लेकर जारी टकराव के बीच पिछले दिनों ही एक चिट्ठी उपराज्यपाल ने केजरीवाल को लिखी थी। उसमें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उन्हें मीटिंग के लिए आमंत्रित किया गया था। एलजी ने कहा कि अब चुनाव खत्म हो गए हैं, ऐसे में शहर में संघर्ष मुक्त गवर्नेंस और जनहित के लिए बैठकें शुरू होनी चाहिए। दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने सीएम अरविंद केजरीवाल को जो पत्र लिखा उसमें कहा, “मैं इस बात की सराहना करता हूं कि आपने शहर में गवर्नेंस को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है और राजधानी के प्रशासन से जुड़े संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों की पेचीदगियों में जाने लगे हैं। स्पष्टता के लिए मैं आपको मीटिंग के लिए आमंत्रित करना चाहता हूं, जहां हम इन मुद्दों को डिस्कस कर सकें। एलजी ने पत्र में लिखा, “अक्टूबर तक हम नियमित रूप से मिलते थे, लेकिन उसके बाद आपने विधानसभा चुनावों में व्यस्तता के चलते मिलने में असमर्थता जताई। अब चुनाव खत्म हो गए हैं, ऐसे में शहर में संघर्ष मुक्त गवर्नेंस और जनहित के लिए ऐसी मीटिंग फिर शुरू होनी चाहिए। मीटिंग तो हुई लेकिन तल्खी कायम है।