Monday, April 29, 2024
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एलजी का खत-ए-मोहब्बत

 

कौन कहता है दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर अर्थात राज्यपाल वहां की केजरीवाल सरकार से झगड़ा ही करते रहते हैं। हो सकता है कभी-कभी गुस्सा जाते हों । आखिरकार लाटसाहेब हैं। छोटे ही सही लेकिन दिल्ली के हैं। अभी पिछले दिनों उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर चर्चा का न्योता दिया है। इस खत ए मोहब्बत को देख कर तो यही कहा जा सकता है कि एलजी साहेब दरियादिल हैं। दिल्ली में अधिकारों को लेकर जारी टकराव के बीच जो चिट्ठी उपराज्यपाल ने केजरीवाल को लिखी उसमें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उन्हें मीटिंग के लिए आमंत्रित किया गया है। एलजी ने कहा है कि अब चुनाव खत्म हो गए हैं, ऐसे में शहर में संघर्ष मुक्त गवर्नेंस और जनहित के लिए बैठकें शुरू होनी चाहिए। दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने सीएम अरविंद केजरीवाल को जो पत्र लिखा उसमें कहा, “मैं इस बात की सराहना करता हूं कि आपने शहर में गवर्नेंस को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है और राजधानी के प्रशासन से जुड़े संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों की पेचीदगियों में जाने लगे हैं। स्पष्टता के लिए मैं आपको मीटिंग के लिए आमंत्रित करना चाहता हूं, जहां हम इन मुद्दों को डिस्कस कर सकें। एलजी ने पत्र में लिखा, “अक्टूबर तक हम नियमित रूप से मिलते थे, लेकिन उसके बाद आपने विधानसभा चुनावों में व्यस्तता के चलते मिलने में असमर्थता जताई। अब चुनाव खत्म हो गए हैं, ऐसे में शहर में संघर्ष मुक्त गवर्नेंस और जनहित के लिए ऐसी मीटिंग फिर शुरू होनी चाहिए।
खत-ए-मोहब्बत में भी तल्खी झलकती है। उपराज्यपाल शिकायत करते नजर आ रहे हैं कि मिलना जुलना केजरीवाल ने अपनी तरफ से बंद कर दिया है। वह अप्रत्यक्ष रूप से यह भी कहते हैं कि अब तक केजरीवाल शहर के गवर्नेस को गंभीरता से नहीं ले रहे थे लेकिन अब इसकी शुरुआत की है। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से अरविंद केजरीवाल लगातार उपराज्यपाल पर संवैधानिक प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप लगा रहे थे। अरविंद केजरीवाल उपराज्यपाल को लगातार चिट्ठी लिख रहे थे और बता रहे थे कि किस तरह संवैधानिक प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट के किस आदेश की वो धज्जियां उड़ा रहे हैं। एलजी ने केजरीवाल के सिंगापुर दौरे की इजाजत नहीं दी। पांच साल पुराने सरकारी विज्ञापनों की करोड़ों की धनराशि वसूलने का नोटिस निकलवा दिया है ।
ताजा विवाद मेयर के चुनाव को लेकर है। एलजी ने केजरीवाल सरकार के पीठासीन अधिकारी को नामंजूर कर भाजपा के पार्षद को पीठासीन अधिकारी बना दिया जिसने 6 जनवरी को हंगामे के चलते चुनाव ही टाल दिया। टाले गए दिल्ली मेयर चुनाव अब 30 जनवरी को हो सकते हैं। एमसीडी ने इस पर अपनी रिपोर्ट दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना को भेज दी है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 6 जनवरी को एमसीडी हाउस के अंदर क्या हुआ था? एमसीडी में केजरीवाल की पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला है।
दिल्ली नगर निगम ने 30 जनवरी को एमसीडी सदन की अगली बैठक बुलाकर चुनाव करवाने का प्रस्ताव दिल्ली के उपराज्यपाल को भेजा है। प्रस्ताव पर अगर मुहर लग जाती है तो एक और राजनीतिक विवाद के शुरु होने की संभावना है। विवाद इस बात को लेकर हो सकता है कि आखिरकार हंगामे की भेंट चढ़ी पहली बैठक के 15 दिनों बाद दूसरी बैठक करवाने का मकसद क्या हो सकता है? आम आदमी पार्टी हंगामे को लेकर पहले ही बीजेपी के खिलाफ आक्रामक है क्योंकि आप यह आरोप लगा रही है कि सब कुछ बीजेपी के इशारे पर उपराज्यपाल करवा रहे हैं, ताकि मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के चुनावों में फायदा बीजेपी को मिल पाए। आम आदमी पार्टी लगातार दिल्ली में बीजेपी और एलजी को इस बात पर घेर रही है कि बहुमत होने के बावजूद किसी तरीके से भी आम आदमी पार्टी का मेयर नहीं बनने दिया जा रहा है। पहले ही पार्टी 6 जनवरी की तारीख को लेकर सवाल कर चुकी है कि जब एमसीडी के परिणाम 7 दिसंबर को ही आ गए थे तो मेयर का चुनाव इतनी देरी से क्यों करवाया गया। अब यदि 30 जनवरी की तारीख चुनावों के लिए तय होती है तो राजनीतिक तौर पर आम आदमी पार्टी फिर से एलजी और बीजेपी पर हमलावर हो सकती है।
उधर केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली सरकार की आबकारी नीति की जांच एलजी ने करवाई है। इस मामले में फर्जीवाड़ा को अंजाम देने वाले के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ईडी शुरूआती तफ्तीश आगे बढ़ाते हुए सप्लीमेंट्री चार्जशीट कोर्ट में दायर की है। ईडी सूत्रों की अगर मानें तो वाली दूसरी चार्जशीट यानी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में भी गिरफ्तार आरोपियों और उससे संबंधित कंपनियों के ही नाम है। ईडी मुख्यालय में कार्यरत एचआईयू ब्रांच की टीम द्वारा दिल्ली सरकार की आबकारी नीति से संबंधित मामले की तफ्तीश से संबंधित पहले चार्जशीट में शराब कारोबारी समीर महेन्द्रू को आरोपी बनाया गया था लेकिन 6 जनवरी 2023 को दायर सप्लीमेंट्री चार्जशीट में पांच आरोपियों के साथ-साथ कुछ कंपनियों को आरोपी के तौर पर नामजद किया गया है। सप्लीमेंट्री चार्जशीट में विजय नायर- पूर्व सीईओ, ओनली मच लॉउडर, मुम्बई, अभिषेक बोइनपल्ली- हैदराबाद का कारोबारी, सरथ चन्द्र रेड्डी- आंध्र प्रदेश का कारोबारी, बेनॉय बाबू- शराब कारोबारी, अमित अरोड़ा- मेसर्स बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड, पेर्नोड रिकार्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स ऑर्गनॉमिक्स एकोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स ट्रिडेंट चेम्फर लिमिटेड और मेसर्स श्री अवंतिका कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को आरोपी बनाया गया है। दिल्ली सरकार के आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया को फिलहाल पहले चार्जशीट के बाद अब दूसरे चार्जशीट में भी आरोपी नहीं बनाया गया लेकिन ‘नो क्लीनचीट’ दी गई है।
ईडी के सूत्रों के मुताबिक दिल्ली सरकार के आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया को फिलहाल 6 जनवरी को दायर दूसरी चार्जशीट यानी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में भी आरोपी नहीं बनाया गया है बल्कि इस चार्जशीट में उन लोगों को आरोपी बनाया गया है जिसकी गिरफ्तारी हो चुकी है या उससे जुड़े कंपनियों की भूमिका तफ्तीश के दौरान सामने आई है यानी जिससे पूछताछ की जा चुकी हो या उसके खिलाफ पुख्ता सबूतों के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को अपनी एफआईआर में आरोपी नम्बर एक यानी मुख्य आरोपी बनाया था। उसी एफआईआर को आधार बनाते हुए ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएएल एक्ट) के तहत मामला दर्ज किया था और आगे की तफ्तीश कर रही है। इसके साथ ही हवाला कारोबारी के मार्फत दिनेश अरोड़ा और विजय नायर को करोड़ों रूपये भेजने का आरोप भी है। उसके बाद दिल्ली सरकार की विवादित आबकारी नीति जो नवंबर 2021 से लेकर जुलाई 2022 तक प्रभावी रही थी, उसको कई आरोपियों के द्वारा प्रभावित किया गया था।

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