Tuesday, May 21, 2024
उत्तराखंड

भगवान की आत्मा है गोपी गीत-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

 

हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में स्वागत बैंकट हॉल आर्य नगर चौक ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के षष्टम दिवस पर भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने गोपीकाओं एवं भगवान श्रीकृष्ण के मिलन की लीला महारास लीला का श्रवण कराते हुए बताया कि सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग एवं कलयुग प्रत्येक युग में भगवान के भक्त भगवान को पाने के लिए भगवान का भजन पूजन करते हैं। महारास लीला का सुंदर चित्रण करते हुए कथा व्यास ने कहा कि भगवान सभी का मनोरथ पूर्ण करने के लिए गोलोक धाम से वृंदावन धाम को इस पृथ्वी पर भेज कर स्वयं कृष्ण बनकर आते हैं और भक्त गोपी बनकर वृंदावन धाम में आ जाते हैं। वेदों पुराणों के जितने भी श्लोक हैं, वे भी गोपी बनकर के वृंदावन पहुंच जाते हैं और भगवान ने सभी का मनोरथ पूर्ण करने के लिए शरद कालीन पूर्णिमा की रात्रि का निर्माण किया। इस रात्रि को दिव्य बनाने के लिए योग माया ने सुंदर-सुंदर पुष्पों की सुगंधी से वृंदावन को सुगंधित कर दिया। उस दिव्य रात्रि में भगवान ने सुंदर वंशिका वादन किया। जिस भी गोपी के कान में भगवान की बंसी की धुन सुनाई दी। वह श्रीकृष्ण से मिलने के लिए वृंदावन पहुंच गई और कृष्ण की बंसी की धुन पर नृत्य करने लगी। देखते ही देखते श्री कृष्ण अदृश्य हो गए। गोपिकाएं पूरे वृंदावन में कृष्ण को ढूंढने लगी। परंतु कृष्ण का दर्शन नहीं हो पाया। तब गोपीकाओं ने मिलकर जमुना के तट पर सुंदर गोपी गीत गाया। गोपी गीत को सुनकर भगवान प्रसन्न हुए और गोपीकाओं को दर्शन दिए। श्रीमद्भागवत भगवान श्रीकृष्ण का श्री विग्रह है और रास पंचाध्याई भगवान के प्राण हैं तथा गोपी गीत भगवान की आत्मा है। जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ नित्य गोपी गीत का पाठ करता है। भगवान श्रीकृष्ण उसकी समस्त मनोकामना को पूर्ण करते हैं। श्री अखंड परशुराम अखाड़े के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते मां गंगा की पवित्रता, निर्मलता बनाए रखने का आह्वान किया। इस अवसर पर पंडित अधीर कौशिक एवं कथा के मुख्य जजमान योगेश कौशिक, सुनीता कौशिक, अशोक कालिया, अमित कालिया, विश्वेश्वर दयाल शर्मा, सुधीर शर्मा, सुनील शर्मा, परमेश कौशिक, अविनेश कौशिक, समर्थ कौशिक, सुशांत कालिया, यामिनी कालिया, निशांत कौशिक, तुषार कौशिक, प्रशांत कौशिक भागवत पूजन किया

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