Sunday, April 28, 2024
राजस्थान

गहलोत को भी राम-हनुमान का सहारा

 

राजस्थान मंे इन दिनों जगह-जगह दंगे और उत्पात हो रहे हैं और इन पर विपक्षी दल राजनीति भी जमकर करते हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए उनकी पार्टी के प्रभावी युवा नेता सचिन पायलट भी मुसीबत खड़ी करने मंे पीछे नहीं रहते हैं। कांग्रेस के लिए यह राज्य कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी ने महंगाई विरोधी धरना-प्रदर्शन का सबसे बड़ा कार्यक्रम जयपुर में ही किया। मीडिया मंे ही इसकी चर्चा हुई। इसलिए अशोक गहलोत अपनी सरकार की छवि को बेहतर बनाना चाहते हैं। इसके लिए उनको भी भगवान राम और उनके सबसे बड़े भक्त हनुमान का सहारा लेना पड़ा है। राजस्थान सरकार अब राज्य भर मंे रामायण और सुन्दर काण्ड का पाठ कराएगी। सरकार ने सभी जिलों से दो-दो मंदिरों की सूची मांगी है जहां अखंड रामायण पाठ और हनुमान जी का सुंदर कांड पाठ कराया जाएगा। भगवान राम और उनके सेवक हनुमान जी अशोक गहलोत की मनोकामना पूरी करें, यही हम भी कामना करते हैं।
करौली में बिगड़े सांप्रदायिक सोहार्द्र और कई जिलों में लगाई गई धारा-144 के बीच अब राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने प्रदेशभर में रामायण और सुंदरकांड का पाठ कराने का निर्णय लिया है। सरकार 10 अप्रैल को रामनवमी पर रामायण पाठ और हनुमान जयंती पर सुंदरकांड का पाठ कराएगी। राजस्थान सरकार ने इसके लिये सभी जिलों के देवस्थान विभाग से दो-दो मंदिरों की सूची मांगी है जहां ये आयोजन कराये जायेंगे। इसकी प्रक्रिया चल रही है। ये आयोजन राज्य सरकार के देवस्थान विभाग के अधीन आने वाले प्रत्यक्ष प्रभार वाले मंदिरों में कराये जायेंगे। देवस्थान विभाग की ओर से इसके लिये आवश्यक व्यवस्थायें करने के निर्देश भी दे दिये गये हैं। उसके बाद अब मंदिरों की सूचियां तैयार की जा रही है। बताया जा रहा है कि राजधानी जयपुर में प्रत्यक्ष प्रभार का एक ही राम मंदिर है। यहां रामगढ़ मोड़ स्थित श्रीरघुनाथ जी राधानिवास मंदिर में रामायण पाठ कराया जायेगा।
दंगों और उत्पात की घटनाओं से राज्य सरकार की चिंता बढ़ी हुई है। हालात को काबू रखने के लिए सरकार को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है और काफी सरकारी मशीनरी भी झोंकनी पड़ रही है। राज्य सरकार की चिंता केवल ये घटनाएं ही नहीं बढ़ा रही बल्कि उसके बाद सियासी दलों द्वारा इन घटनाओं पर दिखाया जाने वाला रुख भी सरकार के लिए परेशानी का सबब बना है। एक ओर जहां विपक्ष द्वारा कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार को घेरा जा रहा है तो सरकार पर बार-बार तुष्टिकरण की नीति अपनाने के भी आरोप लगाए जा रहे हैं।
एक मामला देवा गुर्जर हत्याकांड का है। देवा गुर्जर हत्याकांड में स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम तेजी के साथ जांच में जुटी है। एसआईटी ने देवा गुर्जर की हत्या करने में शामिल चार और आरोपियों को धरदबोचा है। देवा गुर्जर हत्याकांड में अब तक मुख्य आरोपी बाबू गुर्जर समेत 9 आरोपियों को पकड़ा जा चुका है। देवा गुर्जर हत्याकांड की कड़ी से कड़ी जोड़ने में जुटी एसआईटी तेजी से अपनी जांच का दायरा लगातार बढ़ाती जा रही है। कोटा के मुकुंदरा हिल्स की पहाड़ियों में सर्च ऑपरेशन चलाया गया है। नौ आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद एसआईटी क्राइम सीन को रिक्रियेट करती है ताकि हत्याकांड के मौके के हालात का सही-सही विश्लेषण किया जा सके कि यह सब कैसे हुआ? देवा गुर्जर की हत्या के बाद से ही पुलिस महकमा इस केस से जुड़ी प्रत्येक गतिविधि पर कड़ी नजर गड़ाये हुये है। पकड़े गये आरोपियों की कुंडली खंगाली जा रही है। आरोपियों में शामिल बलराम उर्फ बबलू जाट का कांग्रेस कनेक्शन सामने चुका है। वहीं अन्य आरोपियों के बैकग्राउंड की पड़ताल की जा रही है। देवा गुर्जर का अंतिम संस्कार हो जाने के बाद उसके गांव बोराबास में शांति बनी हुई है। पुलिस गांव की गतिविधियों पर नजर रखे हुये है लेकिन विपक्षी राजनीति कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में रावतभाटा में देवा गुर्जर की दिनदहाड़े बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। बारोबास निवासी देवा गुर्जर कोटा के आरकेपुरम थाना का हिस्ट्रीशीटर था। वह सोशल मीडिया में काफी चर्चित रहता था। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उसके लाखों फॉलोवर्स हैं। वह पिछले कुछ समय से तेजी से राजनीति में भी आगे बढ़ रहा था। बताया जा रहा है कि देवा गुर्जर इलाके में अपना दबदबा कायम करना चाहता था।
उधर, राजस्थान के अजमेर में धारा-144 लगा दी गई है। अजमेर के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी संपति तथा चौराहों पर धार्मिक प्रतीक के झंडे लगाने पर पांबदी लगाई गई है। इसके साथ ही तेज आवाज वाले डीजे बजाने पर भी रोक लगा दी गई है। बताया जा रहा है कि प्रशासन ने 10 अप्रैल को रामनवमी और 14 अप्रैल को महावीर जयंती के पर्व को देखते हुए धारा-144 लगाई है। अजमेर में इस दौरान भव्य शोभायात्राएं निकलती हैं। अजमेर सांप्रदायिक दृष्टिकोण से काफी संवेदनशील है। वहीं करौली में हिंदू-मुस्लिम तनाव को देखते हुए सरकारी संपति और चौराहों पर धार्मिक झंडे लगाने पर रोक लगाई गई है। अजमेर जिला कलक्टर की ओर से जारी आदेशों में किसी भी धार्मिक पर्व का नाम नहीं लिया गया है लेकिन एहतियात के तौर पर कलेक्टर ने पूरे जिले में 7 अप्रेल से आगामी एक माह तक धार्मिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी है। इन आदेशों पर बीजेपी विधायक वासुदेव देवनानी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि कोटा और बीकानेर के बाद अब अजमेर में भी तुगलकी फरमान जारी किया गया है। इस मुद्दे पर राजस्थान में एक बार फिर से राजनीति गरमाने के आसार बन गये हैं। राजस्थान में बीते एक माह में अजमेर तीसरा शहर है जहां धारा-144 लगाई गई है। इससे पहले ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर कोटा में धारा-144 लगाई गई थी। वहीं उसके बाद इस माह के प्रथम सप्ताह में बीकानेर शहर में धारा-144 लगाई थी। बीकानेर में हिन्दू धर्म यात्रा और महाआरती से पहले धारा-144 लगाई गई थी। बीकानेर के आदेशों में प्रशासन ने साफ किया गया था कि किसी भी प्रकार यात्रा और जुलूस पर रोक नहीं लगाई गई है। केवल अनुमति लेने की बाध्यता तय की गई है। कोटा और बीकानेर में लगाई गई धारा-144 का बीजेपी ने जमकर विरोध किया था। दोनों शहरों में लगाई गई धारा-144 पर राजस्थान में राजनीति गरमायी हुई रही थी। इन मामलों को लेकर बीजेपी गहलोत सरकार पर हमलावर हो गई थी। उल्लेखनीय है कि हाल ही में राज्य के करौली शहर में नवसंवत्सर के मौके पर हिन्दू संगठनों की ओर से निकाली गई बाइक रैली पर पथराव के बाद वहां हिंसा भड़क गई थी। करौली शहर सांप्रदायिक उपद्रव की भेंट चढ़ गया था। उसके बाद बीजेपी और कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था। बीजेपी अब इस मुद्दे को अब राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की योजना बना रही है। इसलिए गहलोत को राम और हनुमान का सहारा लेना पड़ा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *