Sunday, May 5, 2024
उत्तराखंड

इंसानियत को जिंदा रखने के लिए इमाम हुसैन ने दी कुर्बानी: हैदर नकवी

 

हरिद्वार

पैगम्बर मौहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में इमाम बारगाह अहबाब नगर में शिया समुदाय के लोगों ने मातम किया। हैदर नकवी ने कहा कि इमाम हुसैन किसी धर्म जाति या किसी एक वर्ग के नहीं हैं। उन्होंने इंसासिनत के लिए शहादत दी। ताकि इंसानियत शर्मसार होने से बच सके। इमाम हुसैन ने करबला मे अपने घर की औरतों के साथ-साथ छोटे छोटे बच्चों की जान बचाने में बड़ा योगदान दिया। यजीद नाम के शासक ने उनके रास्त में कई तरह की अड़चने पैदा की। यजीद इंसानियत को खत्म करना चाहता था। इसांनियत का दुश्मन था और किसी भी तरह की मौहब्बत नहीं रखता था। इंसानियत को बचाने के लिए और उनके दिलों में मौहब्बत जगाने के लिए इमाम हुसैन ने अपनी शहादत करबला में पेश की। शहादत की याद में दस मौहर्रम को मातम कर इमाम बारगाह अहबाब नगर में खिराजे अकीदत पेश की गयी। हैदर नकवी ने कहा कि इस्लाम सच्चाई पर चलने की सीख देता है। लेकिन कुछ लोग झूठ फरेब के रास्ते को अपनाकर इस्लाम को बदनाम करने की कोशिशें करते हैं। इमाम हुसैन ने सच्चाई पर चलकर इस्लाम की बुनियाद को जिंदा रखा। उन्होंने कहा कि प्यार मौहब्बत एकता व भाईचारे से ही तरक्की के रास्ते खुलते हैं। फिरोज हैदर ने कहा कि इमाम हुसैन की शहादत को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने इंसानियत को बचाने के लिए अपनी शहादत दी। उनके बताए हुए मार्गो का अनुसरण कर राष्ट्र हित में अपना योगदान दें। शिया समुदाय के लोगों ने इमाम हुसैन की याद में करबला के युद्ध कौशल को दर्शाते हुए मातम किया। कोरोना काल के चलते प्रशासन के के दिशा निर्देशों पर ही शिया समुदाय द्वारा बारगाह में मातम पेशा किया। इस अवसर पर सलीम हुसैन, आफताब हुसैन, मौहम्मद जमा, अली रजा, एहतेशाम अब्बास, इफ्तेदार, अंसार हुसैन, जहूर हसन, एजाज, हैदर इकबाल, अनवार हुसैन, रविश, आशु, गाजी, बासित, मौहम्मद काजिम, हिलाल आदि ने शिरकत की।

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