Friday, April 26, 2024
उत्तराखंड

7 दिवसीय मौन पालन कार्यक्रम का हुआ समापन

चमोली

सर्वोदय की परिकल्पना के तहत सीपी भट्ट पर्यावरण विकास केन्द्र दशोली ग्राम स्वराज मंडल गोपेश्वर के तत्वाधान में तथा उद्यान विभाग के सहयोग से सिरोखोमा गांव में संचालित 7 दिवसीय मौन पालन कार्यक्रम का शनिवार को समापन हुआ। इस मौके पर मुख्य अतिथि जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले काश्तकारों को मौन पालन के लिए प्रेरित करते हुए प्रशिक्षिणार्थियों को प्रमाण पत्र एवं मौन पालन बॉक्स वितरित किए। सिरोखोमा गांव में 9 से 16 मार्च तक 22 काश्तकारों को मौन पालन का प्रशिक्षण दिया गया। इससे पूर्व जिलाधिकारी के सिरोखोमा गांव पहुॅचने पर ग्रामीणों ने उनका जोरदार स्वागत किया। जिलाधिकारी ने काश्तकारों को प्रेरित करते हुए कहा कि मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसे अपनाकर ग्रामीण अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकते हैं। इसमें कम लागत और कम पूंजी लगाकर ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है। शहद का अच्छा उत्पादन होने पर इसकी ब्रान्डिग कर अच्छी आजीविका अर्जित की जा सकती है। जिलाधिकारी ने कहा कि मौन पालन के इच्छुक काश्तकारों को प्रशिक्षण के साथ साथ सब्सिडी पर मौन बाक्स भी उपलब्ध किए जा रहे है। कहा कि मौन पालन पर्यावरण को स्वच्छ रखने एवं फसल उत्पादन में वृद्धि करने में भी सहायक होता है। उन्होंने काश्तकारों को मौन पालन के साथ फूलों की खेती एवं अन्य स्वरोजगार योजनाओं का भी लाभ उठाने की बात कही। इस दौरान जिलाधिकारी ने काश्तकार धमेन्द्र सिंह, सुरेन्द्र सिंह, होशियार सिंह, गजेंद्र सिंह, दौलत सिंह, नारायण सिंह, बिन्दु देवी, सुनीता देवी, नौमा देवी, गुड्डी देवी तथा कुंदनी देवी को मौन बाक्स एवं प्रमाण पत्र प्रदान किए। वही सिरोखोमा में सडक़ एवं पैदल रास्ता सुधारीकरण और भूस्खलन से गांव की सुरक्षा हेतु चेकडैम बनाने की मांग पर जिलाधिकारी ने कहा कि गांव की सुरक्षा एवं विकास के लिए हर संभव कार्य किए जाएंगे। सिरोखोमा में बद्रीनाथ यात्रा मार्ग पर हनुमानचट्टी और बैनाकुली से सर्दियों में माइग्रेट होकर कुछ परिवार निवास करते है। ये परिवार सिलाई, कढाई, बुनाई में भी पारंगत है। इसको देखते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि यहॉ पर महिला समूह को कढाई, बुनाई के लिए भी जल्द आवश्यक उपकरण/मशीन उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होने महिलाओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि यात्रा मार्ग पर महिला समूह द्वारा तैयार उत्पादों से अच्छी आजीविका हो सकती है। उन्होंने महिलाओं को अधिक से अधिक उत्पाद तैयार करने तथा हनुमानचट्टी के आसपास आउटलेट खोलने हेतु शीघ्र प्रस्ताव देने को कहा। ताकि यात्रा सीजन में आउटलेट के माध्यम से उनके उत्पादों का आसानी से विपणन हो सके और समूह को इसका फायदा मिल सके। गांव की सबसे बुजुर्ग महिला रामी देवी की अध्यक्षता में आयोजित प्रशिक्षण समापन कार्यक्रम के अवसर पर सीपी भट्ट पर्यावरण विकास केन्द्र के प्रबन्ध न्यासी ओम प्रकाश भट्ट ने कहा कि मौन पालन समृद्वि का प्रतीक है और जिन घरों में मधुमक्खी पालन होता है वहा हमेशा समृद्वि बनी रहती है। आज नए परिवेश में मौन पालन खत्म होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि मधुमखियां पर्यावरण की खुशहाली का भी सूचक है। मौन पालन से अच्छी आय अर्जित होने के अतिरिक्त कई प्रकार के जंगली जानवरों से खतरा भी कम रहता है। श्री भट्ट ने कहा कि लोगों को स्वरोजगार से जोडऩे हेतु ट्रस्ट ने उद्यान विभाग के सहयोग से गांव में मौन पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया है जिसके आने वाले समय में अच्छे परिणाम मिलेंगे। मुख्य उद्यान अधिकारी तेजपाल सिंह ने बताया कि जिला योजना के अन्तर्गत इस वर्ष मौन पालन के इच्छुक 528 काश्तकारों को मौन बॉक्स उपलब्ध कराए गए है। विभाग के माध्यम से जोशीमठ, तपोवन, गोपेश्वर आदि केन्द्रों में मौन पालन का प्रशिक्षण दिया जाता है। इच्छुक काश्तकार यहॉ पर भी प्रशिक्षण ले सकते है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र में भारतीय मौन एपिस सिराना इंडिका शहद उत्पादन के लिए उपयुक्त होती है। मधुमख्खी के शहद व उससे मिलने वाले मोम का दवाओं, सौंदर्य प्रसांधनों, बेकरी, मोमबत्ती उद्योग आदि में इस्तेमाल होता है। जिससे काश्तकारों को अच्छी आजीविका होती है। इस अवसर पर ग्राम प्रधान जीत सिंह परमार, पूर्व प्रधान रघुवीर सिंह, समाज सेवी सुशील डिमरी, धमेन्द्र सिंह, पूर्व राजस्व अधिकारी होसियार सिंह सहित ग्रामीण मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन विनय सेमवाल द्वारा किया गया।

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