ममता का साथ छोड़ने वालों की कतार
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित होने से पहले ही सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस मंे भगदड़ मच गयी थी जो मतदान की तिथियां घोषित होते ही और तेज हो गयी हैं। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा भी था कि ममता दीदी, चुनाव तक आप अकेली खड़ी नजर आएंगी। बहरहाल, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साहस की प्रशंसा तो करनी ही पड़ेगी कि वे रंचमात्र घबराहट मंे नजर नहीं आ रही हैं। वे और उनके वफादार साथी यही कह रहे हैं कि इस बार भी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की ही सरकार बनेगी। ममता के कद्दावर नेता साथ छोड़ गये हैं। गत 3 मार्च को भी चार नेताओं ने तृणमूल कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है।
तृणमूल कांग्रेस के सामने संकट गहराता जा रहा है। विधाननगर मेयर इन काउंसिल देवाशीष जाना के साथ आसनसोल के तीन पार्षदों ने पार्टी को अलविदा कह दिया है। इन सभी नेताओं ने राजधानी कोलकाता में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली है। बीते 2 मार्च को ही दो बार के टीएमसी विधायक जीतेंद्र तिवारी ने भी टीएमसी का साथ छोड़ दिया था। तिवारी बंगाल बीजेपी प्रमुख दिलीप घोष की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हो गए थे। अगला दिन भी तृणमूल कांग्रेस के लिए अच्छा नहीं रहा। आसनसोल से पार्टी के तीन पार्षद और विधाननगर मेयर इन काउंसिल देवाशीष ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। पार्टी में लगातार हो रहे दल-बदल के चलते राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने मुश्किलें बढ़ रही हैं। पार्टी के दिग्गज और पूर्व मंत्री रहे शुभेंदु अधिकारी के इस्तीफे के बाद लगातार टीएमसी नेता बागवत कर रहे हैं। राज्य में सत्तारूढ़ टीएमसी के नेता बड़ी संख्या में भगवा दल का रुख कर रहे थे। ऐसे में कुछ ही दिनों पहले बीजेपी ने ऐलान किया था कि पार्टी अब बड़े स्तर पर टीएमसी नेताओं को शामिल नहीं करेगी। बीजेपी का कहना है कि वे राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी की बी-टीम नहीं बनना चाहती है। हालांकि, इसके बाद बीजेपी ने यह साफ किया था कि स्थानीय नेतृत्व से चर्चा के बाद गिने-चुने टीएमसी नेताओं को ही पार्टी में शामिल किया जाएगा। बीजेपी में शामिल होने वाले टीएमसी नेता तिवारी ने बीते साल ही बगावत कर दी थी। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, बीजेपी ने बीते दिसंबर में उन्हें पार्टी में शामिल करने से मना कर दिया था। इसके बाद तिवारी शांत हुए। भगवा दल में शामिल होने को लेकर उनका कहना है, मैंने बीजेपी इसलिए जॉइन की, क्योंकि मैं राज्य के विकास के लिए काम करना चाहता था। ममता का साथ छोड़ने वालों में पूर्व मंत्री शुभेंदु अधिकारी, क्रिकेटर लक्ष्मी रत्न शुक्ल, पूर्व सांसद सुनील मंडल, विधायक अरिंदम भट्टाचार्य और वैशाली डालमिया का नाम शामिल है। इतना ही नहीं पूर्वी बर्दवान जिले में मंगलकोट से विधायक सिद्दीकुल्लाह चैधरी ने आगामी चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। उन्होंने जिला नेतृत्व पर खराब प्रदर्शन करने के आरोप लगाए हैं। चैधरी ने नंदीग्राम भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाई थी।
पार्टी विधायक चैधरी ने जिला नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने उदासीन व्यवहार को लेकर नाराजगी भी जाहिर की है। उन्होंने कहा, मैंने हमारी पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी को जिले में खराब नेतृत्व के बारे में पूरी तरह सूचित कर दिया है। उन्होंने कहा, श्मुझे लगता है कि जिले में पार्टी के कुछ नेता उस तरह से प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं, जैसा उन्हें जरूरी चुनावों को लेकर करना चाहिए। चैधरी कहते हैं कि वो बर्दवान के भूमिपुत्र हैं और कमजोर नेतृत्व के कारण जिला विकास के मामले में पिछड़ता है, तो वो मूक दर्शक बनकर नहीं देख सकते हैं। उन्होंने कहा, इसलिए मैंने इस बार मंगलकोट से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। मैंने अपनी पार्टी प्रमुख को अपने फैसले के बारे में पहले ही बता दिया है। 2016 विधानसभा चुनाव में चैधरी ने सीपीआई (एम) के शाहजहां चैधरी को 12 हजार मतों से हराया था। वहीं, सीएम ममता ने उन्हें कैबिनेट में भी जगह दी थी।
भाजपा कुछ भी कहती हो लेकिन सत्तारूढ़ दल छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए दिग्गज नेताओं को वहां भी बड़ी जिम्मेदारियां भी दी गई हैं। इनमें पूर्व रेल मंत्री और सीएम बनर्जी के करीबी माने जाने वाले मुकुल रॉय, पूर्व मंत्री शुभेंदु अधिकारी, सांसद सौमित्र खान और अर्जुन सिंह समेत कई नेताओं का नाम शामिल है। इस दौरान पार्टी ने कई विधायक भी खोए हैं, लेकिन इन नेताओं का बागी होना पार्टी को महंगा पड़ सकता है।
शुभेंदु के पिता और वरिष्ठ टीएमसी सांसद शिशिर अधिकारी को पूर्वी मिदनापुर के जिलाध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था। इसके बाद ही उन्होंने बीजेपी में शामिल होने के संकेत दिए थे। 22 जनवरी को राज्य कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद राजीव बनर्जी ने कहा था कि वो 2018 में ही इस्तीफा देना चाहते थे। बनर्जी ने कहा कि उन्हें बगैर किसी सलाह मशविरे के राज्य सिंचाई विभाग से निकाल दिया गया था। उन्होंने इस्तीफे के कुछ घंटों बाद ही दिल्ली में अमित शाह से मिलकर बीजेपी की सदस्यता ले ली।राज्य के साउथ 24 परगना जिले से विधायक दीपक हलदर ने भी इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने तोप्सिया स्थित टीएमसी के जिला मुख्यालय में यह इस्तीफा स्पीड पोस्ट के जरिए भेजा। पूर्व क्रिकेटर और राज्य के पूर्व मंत्री लक्ष्मी रत्न शुक्ल ने यह कहते हुए ममता कैबिनेट से इस्तीफा दिया कि वो राजनीति से ब्रेक ले रहे हैं। बहरहाल, इन सभी के साथ छोड़ने से ममता बनर्जी कमजोर हुई हैं।