Saturday, April 27, 2024
दिल्ली

उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए क्षति कानूनों को सुदृढ़ करें – नायडू

नई दिल्ली –

उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने कहा कि अत्यधिक देरी, कानूनी प्रक्रियाओं की लागत और अनुपलब्धता आम आदमी को न्याय की प्रभावी प्रदायगी को बाधित कर रहे हैं। नायडू ने कहा कि “न्याय चाहने वाला सबसे गरीब आदमी” ही कानून के पेशेवरों के विचारों और कार्यों में उनका प्रमुख प्रेरक होना चाहिए। नायडू ने न्याय प्रणाली में जनता के विश्वास को बहाल करने के महत्व को रेखांकित करते हुए सार्वजनिक पदाधिकारियों से संबंधित आपराधिक मामलों के त्वरित, निस्तारण, उद्देश्यपूर्ण तरीके से निपटाने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से, लोक सेवकों और निर्वाचित प्रतिनिधियों से जुड़े आपराधिक मामलों से निपटने के लिए विशेष अदालतों का गठन किया जा सकता है। उन्होंने चुनावी विवादों के समाधान तथा चुनावी कदाचारों पर गौर करने के लिए अलग फास्ट-ट्रैक न्यायालयों का भी प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि विधानमंडलों में दलबदल के मामलों को समयबद्ध तरीके से त्वरित निपटान किया जाना चाहिए।

नायडू ने हिमाचल प्रदेश और अन्य राज्यों के विधानमंडलों में हाल की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने जन-प्रतिनिधियों से हर फोरम पर उच्चतम नैतिक मानकों और अनुकरणीय आचरण के पालन की अपील की। उन्होंने कहा कि हर समस्या के समाधान के लिए आगे का केवल एक ही रास्ता है चर्चा, बहस और निर्णय करना और कार्य बाधित न करना। उपराष्ट्रपति ने स्नातकों से अपने पेशे में कठिन परिश्रम करने का आग्रह किया, साथ ही न्यायिक प्रणाली को सुलभ, किफायती और हर नागरिक के लिए समझने योग्य बनाने की भी अपील की। उपराष्ट्रपति ने औपनिवेशिक मानसिकता में बदलाव का आह्वान करते हुए इच्छा जताई कि दीक्षांत समारोहों और अदालती कार्यवाही के दौरान शिक्षण संस्थान और न्यायालय स्वदेशी पहनावे को अपनाएं। नायडू ने भारतीय लोकाचार में कानून और न्याय के महत्व की चर्चा करते हुए प्रस्तावना में ‘न्याय प्राप्त करने के संकल्प’ को रेखांकित किया और तिरूवल्लुर की कविता को उद्धृत किया जिसमें कहा है कि एक बढ़िया न्यायिक प्रणाली वह है जो एक वस्तुनिष्ठ जांच, साक्ष्य के निष्पक्ष विश्लेषण और सभी नागरिकों को समान रूप से न्याय प्रदान करने पर आधारित है।

नायडू ने कहा कि यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है कि हम सामूहिक रूप से प्रक्रियाओं में सुधार लाएं और प्रभावशीलता और दक्षता के उच्च स्तरों को प्राप्त करें। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम जिस तरह से न्याय प्रदान करते हैं और कानून का शासन लागू करते हैं, हमें फिर से इसका अन्वेषण करने, पुनरुद्धार करने और इसे परिभाषित करने की आवश्यकता है।

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