मनोज तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत
नई दिल्ली —
आपराधिक मानहानि के मामले में आरोपित भाजपा सांसद मनोज तिवारी और विधायक विजेंद्र गुप्ता के खिलाफ जारी समन पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने सांसद मनोज तिवारी व विजेंद्र गुप्ता की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने निचली अदालत द्वारा आपराधिक मानहानि के मामले में निचली अदालत द्वारा बतौर आरोपी समन जारी करने के आदेश को चुनौती दी थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मनोज तिवारी व अन्य के खिलाफ याचिका दायर कर कहा था कि इन लोगों ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों की कक्षाओं के निर्माण में भ्रष्टाचार के झूठे आरोप लगाए हैं। इससे दिल्ली सरकार की छवि खराब हुई। मनीष सिसोदिया ने यह भी आरोप लगाया था कि मनोज तिवारी और विजेंद्र गुप्ता समेत इन भाजपा नेताओं ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया में झूठे आरोप फैलाए और हमारी छवि खराब करने की कोशिश की। याचिका के मुताबिक, इन भाजपा नेताओं ने जो आरोप लगाया था कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के कक्षाओं के निर्माण में दो हजार करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार किया गया है, जबकि इसका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं है। एक जुलाई 2019 को तत्कालीन दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने एक पत्रकार वार्ता में आरोप लगाया था कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के निर्माण में यानी कमरों के निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ है। आरोपों के तहत मनोज तिवारी ने एक आरटीआई के हवाले से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। उत्तर-पूर्वी दिल्ली क्षेत्र से सांसद तिवारी ने अपनी याचिका में कहा है कि शिकायत में लगाए गए आरोप भारतीय दंड संहिता के तहत मानहानि के अपराध के बुनियादी आधार को पूरा नहीं करते हैं। इसी तरह भाजपा विधायक गुप्ता ने कहा कि नीचली अदालत ने समन आदेश को गलत तरीके से गौर किया।