कैदियों ने सांस्कृतिक प्रतिमा से जीता लोगों का दिल
हल्द्वानी……..
अगर हम आपको कहें कि जेल में बंद कैदी नाच-गाना कर रहे हैं. मजे कर रहे हैं. त्योहार मना रहे हैं, तो आपको यकीन नहीं होगा. आप सोचेंगे भला ये कौन सी जेल है जहां कैदी मस्ती के साथ सब कुछ कर रहे हैं. लेकिन ये सब हो रहा है. उत्तराखंड की एक जेल में, जहां खुद के बरी होने का इंतजार कर रहे 1000 से ज्यादा विचाराधीन कैदी बंद हैं. जिन पर हत्या, लूट, डकैती, मारपीट से लेकर बल्कात्कार, पॉक्सो जैसे गंभीर अपराधों को करने का आरोप है. लेकिन ये सब कैदी मस्त दिख रहे हैं।
हल्द्वानी जेल में सलाखों के पीछे बंद कैदी शुक्रवार को थिरकते दिखे. यहां कैदी मकर संक्रांति और उसके दूसरे दिन मनाए जाने वाले घुघुतिया त्यार को अपने ही अंदाज में मना रहे हैं. सलाखों के पीछे बंद एक हजार से ज्यादा कैदी सब कुछ भूलकर पहाड़ के रंगों में खोए हुए हैं. एक तरफ कुछ कैदी मंच पर उत्तराखंड के राज्य गीत को लेकर हाजिर हुए तो दूसरी तरफ कुछ कैदी झोड़ा गाते हुए नजर आए. दरअसल, जेल के टेंशन भरे माहौल को हल्का करने के लिए हल्द्वानी जेल के सुपरिटेंडेंट इस तरह के नायाब प्रयोग करते रहते हैं, ताकि जेल की व्यवस्थाएं चाक-चैबंद रह सकें।
जेल की चाहरदीवारी में बंद इन कैदियों में पहाड़ से लेकर मैदान तक के कैदी हैं. यहां तक कि कुछ विदेशी कैदी भी यहां सजा या बरी होने के इंतजार में हैं. ऐसे में जेल का ही मंच सही लेकिन कैदियों की प्रतिभाएं निकलकर सामने आ रही हैं. जेल सुपरिटेंडेंट मनोज आर्य के मुताबिक, वो हर त्यौहार के मौके पर कैदियों के अनुरोध पर ऐसा करने की परमिशन देते हैं, ताकि जेल का माहौल अच्छा रह सके. कैदी संस्कृति के रंगों को समझें. और उनमें अपराध की प्रवृत्ति छोड़ने के लिए भीतर से प्रेरणा पैदा हो।