पहली बार मत्स्य क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों को मिला सम्मान
नई दिल्ली
भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्य पालन विभाग ने नई दिल्ली स्थित एनएएससी कॉम्प्लेक्स, पूसा, नई दिल्ली में विश्व ‘मत्स्य पालन दिवस’ मनाया। इस अवसर पर मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्यमंत्री प्रताप चन्द्र सारंगी मुख्य अतिथि थे। उत्तर प्रदेश सरकार के डेयरी विकास, पशुपालन और मत्स्य पालन मंत्री लक्ष्मी नारायण चैधरी ने इस अवसर पर उपस्थित हो कर समारोह की गरिमा बढ़ाई तथा उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से अंतर्देशीय मत्स्य पालन क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य का पुरस्कार प्राप्त किया। राष्ट्र भर के मछुआरों, मछली किसानों, उद्यमियों, हितधारकों, पेशेवरों, अधिकारियों और वैज्ञानिकों ने भी भव्य आयोजन में भाग लिया।
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्यमंत्री प्रताप चन्द्र सारंगी ने कहा कि विश्व मत्स्य दिवस, विश्व स्तर पर सोचने और स्थानीय स्तर पर कार्यक्रमों के माध्यम से मत्स्य पालन से जुड़े अपने समुदायों तक पहुंचने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि इस आयोजन के माध्यम से हम मछुआरों, राष्ट्र और दुनिया को यह संदेश देते हैं कि मत्स्य पालन एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो देश की सामाजिक-आर्थिक वृद्धि में अहम योगदान देता है। सारंगी ने कहा कि यह क्षेत्र लाखों भारतीयों को पोषण सुरक्षा, आजीविका सहायता और रोजगार प्रदान करने का दायित्व निभा रहा है। अनुमान है कि 2050 तक दुनिया की जनसंख्या 9 अरब से अधिक हो जाएगी।
आबादी में वृद्धि के साथ, पोषण सुरक्षा की मांग भी समानांतर रूप से बढ़ेगी। कृषि और संबद्ध क्षेत्रों को खाद्य मांग और आपूर्ति में योगदान करना होगा और बढ़ती आबादी की पोषण संबंधी मांगों को पूरा करने के लिए अन्य खाद्य क्षेत्रों के साथ संयुक्त रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। राज्य मंत्री ने कहा कि हमारे देश में समुद्र से मछली पकड़ने संबंधी गतिविधियों में मन्दी आयी है जिससे मछली पकड़ने की बजाय मछली पालन के रूप में महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है। पोषण सुरक्षा की बढ़ती मांग पूरा करने के वैकल्पिक साधन के रूप में भारत में जलजीव पालन गतिविधियां शुरू करने की आवश्यकता है।सारंगी ने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का उद्देश्य कुल अनुमानित राशि 20,050 करोड़ रुपये के निवेश से मछली उत्पादन और उत्पादकता, गुणवत्ता, प्रौद्योगिकी, उपज के बाद के बुनियादी ढांचे और प्रबंधन, आधुनिकीकरण और मूल्य श्रृंखला को सुदृढ बनाने तथा मजबूत मत्स्य प्रबंधन ढांचा कायम करने जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अंतराल दूर करना है। प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा कि मत्स्य क्षेत्र अत्यंत विविध और पर्याप्त गतिशील है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में नीतियों और कार्यक्रमों को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है ताकि अनुसंधान और विकास के लाभ किसानों और मछुआरों तक पहुंचाए जा सकें और सभी संभावित संसाधनों के क्रमिक और सतत उपयोग के लिए दक्षता बढ़ाई जा सके और पर्यावरण के दुष्प्रभाव कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। उन्होंने कहा कि हमें मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए देश में उपलब्ध संसाधनों का पता लगाने की आवश्यकता है जैसे जलभराव क्षेत्र, आर्द्र भूमि, झीलें, जलाशय, नहरें, तालाब, बाढ़ के मैदान, अप्रवाही जल क्षेत्र, दलदल, कम खारे अंतर्देशीय क्षेत्र आदि।