Saturday, May 18, 2024
उत्तराखंडट्रैंडिंग न्यूज़प्रदेश की खबरें

हौसलों ने भरी उड़ान तो छोटा पड़ गया आसमान, सविता कंसवाल ने विपरीत परिस्थितियों से लड़कर बनाया रास्ता

उत्तरकाशी
हौसला अगर पहाड़ से भी ऊंचा तो विपरीत परिस्थितियां भी आखिरकार घुटने टेक ही देती है। इसी हौसले की मिसाल हैं उत्तरकाशी जिले के लौंथरू गांव निवासी सविता कंसवाल। सविता का चयन इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन (आइएमएफ) के माउंट एवरेस्ट मैसिव एक्सपिडीशन के लिए हो चुका है। यह अभियान अप्रैल 2020 में होना था, लेकिन कोविड-19 के कारण इसे स्थगित कर दिया गया है। अब वर्ष 2021 में यह आरोहण होने की उम्मीद है। प्री एवरेस्ट अभियान के तहत सविता त्रिशूल समेत देशभर की पांच चोटियों का सफल आरोहण कर चुकी हैं।
जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 15 किमी दूर भटवाड़ी ब्लॉक के लौंथरू गांव निवासी 24 वर्षीय सविता कंसवाल का बचपन कठिनाइयों में गुजरा। पिता राधेश्याम कंसवाल और मां कमलेश्वरी देवी ने खेती से आर्थिकी जुटाकर किसी तरह चार बेटियों का पालन-पोषण किया। चार बहनों में सविता सबसे छोटी थी। वर्ष 2011 में राइंका मनेरी से सविता का चयन दस दिवसीय एडवेंचर कोर्स के लिए हुआ। इस दौरान जब सविता ने भारत की प्रथम एवरेस्ट विजेता बछेंद्री पाल, वरिष्ठ पर्वतारोही चंद्रप्रभा ऐतवाल समेत कई पर्वतारोही महिलाओं के नाम सुने तो आंखों में सपने तैर गए। तय किया अब तो एवरेस्ट ही मंजिल है।
किसी तरह पैसे जुटाकर सविता ने वर्ष 2013 में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) उत्तरकाशी से माउंटेनियरिंग में बेसिक कोर्स किया। एडवांस कोर्स की फीस के लिए पैसे न होने और परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण 2014 से लेकर 2016 तक देहरादून में नौकरी की। वहां से लौट सविता ने एडवांस, सर्च एंड रेस्क्यू के साथ पर्वतारोहण प्रशिक्षक का कोर्स किया। सविता कंसवाल की काबिलियत देखकर निम ने उन्हें गेस्ट प्रशिक्षक के तौर पर नियुक्त किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *