Monday, May 20, 2024
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जानिए क्या रही बजह — पश्चिम बंगाल में बीजेपी नेता की गोली मारकर हत्या


नई दिल्ली
पश्चिम बंगाल में भले ही विधानसभा चुनाव अभी दूर हो लेकिन कानून व्यवस्था की स्थिति अभी से खराब होती नजर आ रही है। बीजेपी नेता मनीष शुक्ला की उत्तरी 4 परगना जिले में गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद जहां पश्चिम बंगाल के बीजेपी केन्द्रीय पर्यवेक्षक कैलाश विजयवर्गीय ने पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है तो वहीं राज्यपाल ने मुख्यमंत्री, डीजीपी और एडिशनल चीफ सेक्रेटरी होम को तलब किया है। कैलाश वियजवर्गीय ने कहा बीजेपी वर्कर मनीष शुक्ला को टीटागढ़ पुलिस स्टेशन उत्तरी 24 परगना जिला के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस मामले की जांच सीबीआई के द्वारा की जानी चाहिए। उधर, इस घटना को संज्ञान में लेते हुए राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को तलब किया है। उन्होंने कहा- टीटागढ़ में काउंसलर मनीष शुक्ला की बर्बरतापूर्ण हत्या और बिगड़ते कानून-व्यवस्था को लेकर पश्चिम बंगाल के अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और डीजीपी को तलब किया है। पिछले महीने राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राज्य सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा था कि उन्हें राज्य की शक्तियां अपने हाथ लेने पर विचार करना होगा। गवर्नर जगदीप धनखड़ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि तृणमूल सरकार ने पश्चिम बंगाल को श्पुलिस स्टेटश् में बदल दिया है और इसलिए वह संविधान के अनुच्छेद 154 पर विचार करने पर मजबूर हो जाएंगे, क्योंकि उनके दफ्तर को लंबे समय से इग्नोर किया जा रहा है। गौरतलब है कि राज्य की कार्यपालिका शक्ति को बताने वाले संविधान के अनुच्छेद 154 में कहा गया है कि राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी और वह इसका प्रयोग इस संविधान के अनुसार स्वंय या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा। डीजीपी वीरेंद्र को लिखे लेटर के जवाब को गैर-जिम्मेदार और कठोर बताते हुए धनखड़ ने कहा कि पुलिस सत्ताधारी टीएमसी के निजी काडर के रूप में काम कर रही है। उन्होंने कहा, यदि संविधान की रक्षा नहीं की गई, तो मुझे ऐक्शन लेना होगा। राज्यपाल के दफ्तर को लंबे समय से इग्नोर किया जा रहा है। मैं संविधान के अनुच्छेद 154 पर विचार करने को मजबूर हो जाऊंगा। गवर्नर ने यह भी कहा था कि टीएमसी सरकार की ओर से इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस की वजह से वह वॉट्सऐप कॉल के जरिए बात करने पर मजबूर हैं। राज्यपाल ने कहा पश्चिम बंगाल एक पुलिस स्टेट में बदल चुका है। पुलिस शासन और लोकतंत्र साथ-साथ नहीं चल सकते। राज्य में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। माओवादी उग्रवाद अपना सिर उठा रहा है। आतंकवादी मॉड्यूल भी राज्य में सक्रिय हैं। जुलाई 2019 में राज्यपाल पद पर नियुक्ति के बाद से ही धनखड़ और टीएमसी सरकार के बीच टकराव रहा है। राज्यपाल ने पिछले महीने डीजीपी विरेंद्र को राज्य की कानून-व्यवस्था पर चिंता जाहिर करते हुए लेटर लिखा था। डीजीपी की ओर से दो लाइन के जवाब के बाद उन्होंने 26 सितंबर को डीजीपी को मिलने के लिए बुलाया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 26 सितंबर को गवर्नर को लेटर लिखकर उनसे संविधान के दायरे में काम करने की सलाह दी थी। उन्होंने डीजीपी को लिखे लेटर पर नाखुशी जाहिर की थी।

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