एनसीआर में पराली को जलाने की घटनाएं बंद हों – पी.के.मिश्रा
नई दिल्ली — प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा के नेतृत्व में उच्चस्तरीय कार्यबल ने एजेंसियों द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा करने और आगामी सीजन के लिए योजनाएं तैयार करने के लिए 18.09.2020 को बैठक की। प्रधान सचिव ने सभी सदस्यों से कहा कि जल्द बैठक आयोजित करने का उद्देश्य पराली जलाने एवं अन्य मामलों में समय पर कार्रवाई सुनिश्चित करना है। समग्र स्थिति का आकलन करते समय इस मुद्दे पर ध्यान दिया गया कि पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फसल जलने की घटनाएं पिछले साल भी काफी अधिक थीं। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ने योजनाबद्ध कार्यों को तेज करने के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पराली को जलाने की घटनाएं बंद हों।
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता में सुधार के लिए गठित उच्चस्तरीय कार्यबल की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों के अलावा केंद्र सरकार के विभिन्न विभागोंध् मंत्रालयों के सचिवों ने भाग लिया। इन विभागोंध् मंत्रालयों में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, कृषि, सड़क और पेट्रोलियम मंत्रालयों के अलावा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शामिल है। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि वायु प्रदूषण के कारणों से निपटने के लिए उचित एहतियाती एवं निवारक उपाय सुनिश्चित करने के लिए फसल की कटाई और सर्दियों के मौसम की शुरुआत से काफी पहले यह बैठक बुलाई गई है। बैठक के दौरान वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोतों, राज्य सरकारों एवं विभिन्न मंत्रालयों द्वारा किए गए उपायों की गई प्रगति और उनकी समीक्षा की गई। बैठक में इस मुद्दे पर गौर किया गया कि पिछले दो वर्षों के दौरान पराली को जलाने की घटनाओं में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है और अच्छे एक्यूआई वाले दिनों की संख्या में वृद्धि हुई है। इस बैठक के दौरान फसलों के अवशेष को जलाने की रोकथाम के लिए पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों द्वारा किए प्रयासों एवं उनकी योजनाओं पर विस्तार से गौर किया गया। इसमें फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए जमीनी स्तर पर मशीनों की तैनाती एवं उपलब्धता सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया।
इस बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि फसलों के अवशेष आधारित बिजलीध् ईंधन संयंत्रों को हाल में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्राथमिकता वाले ऋण क्षेत्र में शामिल किए जाने के बाद ऐसे संयंत्रों की तेजी से तैनाती के लिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को संयुक्त रूप से एक कार्य योजना तैयार करनी चाहिए। बैठक के दौरान फसल के विविधीकरण और आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने के उपायों पर भी चर्चा की गई। प्रधान सचिव ने राज्यों द्वारा कृषि मंत्रालय की फसल अवशेष योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्य सरकारें यह सुनिश्चित करें कि चालू वर्ष के दौरान तैनात की जाने वाली नई मशीनरी कटाई के मौसम की शुरुआत से पहले किसानों तक पहुंच जाए। कृषि मंत्रालय को इस संबंध में सभी आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए निर्देश दिया था। पर्याप्त संख्या में टीमों को जमीनी स्तर पर तैनात किया जाए। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की कोई घटना न हो। इन राज्यों को विशेष रूप से संबंधित जिलों में अतिरिक्त प्रयास करने और उपयुक्त प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है।