आखिरकार दारोगाओं का इंस्पेक्टर बनने का ख्वाब हो गया पूरा
देहरादून —
उत्तराखंड के 88 दारोगाओं का इंस्पेक्टर बनने का ख्वाब आखिरकार पूरा हो गया। अब उनके कंधे पर भी जल्द ही दो की जगह तीन सितारे नजर आएंगे। हालांकि, इन दारोगाओं को यह मौका तीन से चार साल पहले ही मिल जाना चाहिए था, लेकिन सिस्टम की खामियों और अधिकारियों की सुस्त कार्यप्रणाली के कारण उन्हें इंतजार करना पड़ा। तमाम ऐसे होनहार और कर्तव्यनिष्ठ दारोगा भी हैं, जिन्हें तय समय पर पदोन्नति मिल गई होती तो वह इंस्पेक्टर बनकर निश्चित तौर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते और पुलिस महकमे के लिए मिसाल बनते। बाकी के होनहार दारोगाओं के साथ ऐसा न हो, इसके लिए पुलिस मुख्यालय को अभी से गौर करना होगा कि आने वाले वर्षों में निचले स्तर पर पदोन्नति की प्रक्रिया बाधित न हो। इसके लिए विभाग को अब एक सुदृढ़ व्यवस्था बनानी होगी और पदोन्नति में आड़े आने वाली बाधाओं को चिह्नित कर उनसे पार पाना होगा।
कोरोना वायरस का संक्रमण अब गली-मोहल्लों से निकलकर शहर की पॉश कालोनियों व अति सुरक्षित अधिकारियों और नेताओं के घर तक पहुंच गया है। अब दून में रोजाना संक्रमण के 125 या उससे ज्यादा नए मामले आ रहे हैं। डेढ़-दो महीने पहले तक यह संख्या 20 से 25 तक सिमटी हुई थी। वर्तमान स्थिति संक्रमण के बढ़ते खतरे का अहसास कराने के लिए काफी है। इन हालात में यह सोचना जरूरी हो गया है कि इस खतरे से कैसे बचा जाए। अब तक पुलिस ने मास्क न पहनने पर चालान काटने समेत तमाम कानूनी कार्रवाई करके स्थिति को नियंत्रण में रखा, लेकिन अब कानून के शिकंजे के साथ आम नागरिकों की जागरूकता भी बेहद जरूरी है। जिससे लोग स्वयं संक्रमण के खतरे से बचे रहें और समाज को भी सुरक्षित रखने में मददगार बनें। सभी को यह बात समझनी होगी कि स्थिति को संभालना अब केवल हमारे हाथ में है।