उत्तराखण्ड में आप की एंट्री होते ही पार्टीयो का रूठो को बनाना शुरू
देहरादून —
आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड में अगला विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान क्या किया, सियासतदां में अजब सी बेचैनी नजर आने लगी। वैसे, सत्तारूढ़ भाजपा हो या विपक्ष कांग्रेस, सब आप की एंट्री पर सवालों को हवा में उड़ा रहे हैं, मगर सच यह है कि अंदरखाने सबकी हवाइयां उडने लगी हैं। कारण, दिल्ली में पिछले दो विधानसभा चुनाव के नतीजे। हालांकि उत्तराखंड में भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में आप जैसा ही प्रदर्शन किया था, 70 में से 57 सीटों पर जीत दर्ज कर, लेकिन इन्हें फिक्र आप के मॉडस ऑपरेंडी की है। अगले डेढ़ साल में पता नहीं कितनी आरटीआइ सरकार के कामकाज पर लगाई जाएंगी, जो मीडिया और सोशल मीडिया में वायरल होकर नींद हराम कर देंगी। कांग्रेस की चिंता वजूद को लेकर है। पहले ही 11 सीटों पर सिमटे बैठे हैं, आप कहीं दहाई के इस आंकड़े को इकाई तक न पहुंचा दे।
भाजपा का यह किस्सा हरिद्वार का है। यूं तो हरिद्वार जिले से कुल 11 विधायक हैं, लेकिन इनमें से चलती केवल मदन कौशिक की है। दरअसल, 11 में से आठ भाजपा के हैं और इनमें से कौशिक कैबिनेट मंत्री हैं। उस पर कौशिक सरकार के प्रवक्ता भी, लाजिमी तौर पर ये जो कह दें, वही सरकार का स्टैंड। कहावत है न, श्खुदा हुस्न देता है, तो नजाकत आ ही जाती है। सियासत में इस कहावत को सत्ता शीर्ष से नजदीकी से जोड़कर समझा जा सकता है। कौशिक भी इसके अपवाद नहीं, लेकिन पार्टी के कई विधायकों को यह पच नहीं रहा। अब इन्हें कौशिक का अंदाज रास नहीं आ रहा, तो चार विधायक फरियाद लेकर जा पहुंचे मुख्यमंत्री दरबार। बाहर निकले तो सबके मुंह में दही जमी दिखी, असल बात बताने को तैयार नहीं। अलबत्ता, कौशिक ने जरूर दरियादिली दिखाई। बोले, कोई असंतुष्ट है तो मैं खुद बात कर लूंगा।