Friday, May 3, 2024
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भाजपा का दक्षिण का प्लान बेपटरी

भारतीय जनता पार्टी का दक्षिण भारत के पांच राज्यों का प्लान बेपटरी हो गया है। तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भाजपा ने बैकफुट पर है और उसे समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करना चाहिए। तभी कई स्तर पर डैमेज कंट्रोल शुरू हुआ है हालांकि उसका कोई फायदा भी होता नहीं दिख रहा है। भाजपा ने पिछले दिनों कर्नाटक में जेडीएस के साथ तालमेल किया तो ऐसा माना गया कि यह मास्टरस्ट्रोक है, जिसका कांग्रेस के पास जवाब नहीं होगा। लेकिन यह तालमेल उलटा पड़ गया है। भाजपा और जेडीएस दोनों के अंदर बड़ा विवाद है। जेडीएस के प्रदेश अध्यक्ष सीएम इब्राहिम ने पार्टी के विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के साथ जाने का ऐलान किया। अब एचडी देवगौड़ा परिवार को उनको पार्टी से निकालेगा। दूसरी ओर भाजपा के वोक्कालिगा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री डीवी सदानंद गौड़ा इस तालमेल को लेकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
इससे पहले भाजपा ने तेलंगाना के लिए बड़ी महत्वाकांक्षी योजना बनाई थी। हैदराबाद नगर निगम में पार्टी के बड़े नेताओ ने प्रचार किया था और भाजपा के अच्छे प्रदर्शन के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के खिलाफ बड़ी मुहिम छेड़ी थी। इससे सत्ता विरोधी माहौल बना था। लेकिन अचानक किसी अज्ञात कारण से भाजपा पीछे हट गई, जिसका नतीजा यह हुआ है कि तेलंगाना में उसकी बनाई सत्ता विरोधी लहर का फायदा कांग्रेस को होता दिख रहा है। पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में भाजपा तय नहीं कर पा रही है कि वह मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की पार्टी के साथ परोक्ष तालमेल जारी रखे या चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी और पवन कल्याण की जन सेना पार्टी के साथ तालमेल करे। सो, उसकी योजना वहां भी आगे नहीं बढ़ पा रही है।
तमिलनाडु में अन्ना डीएमके से भाजपा का तालमेल खत्म हो गया है। असल में डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन और ए राजा ने सनातन को लेकर विवादित बयान दिया, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरी भाजपा उनके ऊपर टूट पड़ी। इससे अन्ना डीएमके को बैकफुट पर आना पड़ा। तभी उसने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई द्वारा अपने नेताओं पर दिए बयान का बहाना बना कर गठबंधन तोड़ लिया। अब भाजपा के नेता एक तरफ अन्ना डीएमक को मनाने की कोशिश कर रहे हैं तो दूसरी ओर अकेले लडऩे की तैयारी भी कर रहे हैं। कोई आठ-नौ साल पहले भाजपा ने केरल में आक्रामक तरीके से अपना अभियान शुरू किया तो सुरेश गोपी उसके ट्रम्प कार्ड थे। मलयालम फिल्मों के बड़े सितारे सुरेश गोपी को पार्टी ने राज्यसभा में मनोनीत किया और उनकी पार्टी के साथ तालमेल किया। लेकिन अब वे भी दूरी बनाए हुए हैं। भाजपा ने उनको कोलकाता स्थिति सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीच्यूट का अध्यक्ष बना कर कोलकाता भेजने की प्लानिंग की थी। अब कहा जा रहा है कि वे भाजपा में शामिल हो सकते हैं। अगर वे भाजपा में शामिल हो जाते हैं तो यह भाजपा के लिए बड़ी बात होगी और तब वह केरल में मजबूती से तीसरे स्थान की राजनीति कर पाएगी।

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