चीनी कर्ज में फंसता जा रहा बांग्लादेश
बांग्लादेश चीनी कर्ज में फंसता जा रहा है। चीन अपने को दुनिया की एक बड़ी ताकत बनाने के लिए बांग्लादेश को भी अपने कर्ज के जाल में फंसाने लगा। चीन ने उसे 2 प्रतिशत पर लोन दिया है, जिससे उबरना बांग्लादेश के लिए आसान नहीं लगता।
गत दिनों ढाका में बांग्लादेश और चीन के फॉरन ऑफिस कंसलटेंशन की 12वीं बैठक में निवेश को लेकर चर्चा हुई। इस बैठक में बांग्लादेश के विदेश सचिव मौसुद बिन मोमेन और वाइस मिनिस्ट्री फॉरन अफेयर्स सुन विडॉंग मौजूद थे। इस बैठक में परियोजनाओं पर चर्चा के साथ चीन की तरफ से दी जारी व्यापार छूट पर बात हुई। बैठक में जो बात हुई उससे साफ है कि चीन किसी भी तरह से बांग्लादेश पर अपना वर्चस्व नहीं छोड़ना चाहता। साल 2016 में शी जिनपिंग के बांग्लादेश का दौरे के बाद दोनों देशों के बीच 27 अलग अलग समझौते हुए थे। चीन की तरफ से बेल्ट रोड इनिशियेटिव (बीआरआई) के तहत तकरीबन 38 अरब डॉलर का निवेश हुआ है। कर्ज का आलम ये है कि चीन ने बांग्लादेश में कर्णफुली नदी के नीचे से बनने वाले बंगबधु टनल और पद्म ब्रिज रेल लिंक जैसी परियोजनाओं को फाइनेंस किया। बंगबधु टनल प्रोजेक्ट की कुल लागत 1.1 बिलियन डॉलर थी, जिसके आधी लागत को 20 साल के लिए 2 पर्सेंट इंट्रस्ट पर चीनी बैंक ने लोन दिया। चीन अपनी कर्ज नीति के तहत हर छोटे या जरूरतमंद देश को मदद के बहाने अपने कब्जे में कर लेना चाहता है। अब सवाल ये है कि जिस चीन ने 1971 में बांग्लादेश की आजादी का विरोध किया। 1972 में यूएनओ के स्थायी सदस्य होने के नाते चीन ने खुद बांग्लादेश के यूएन में सदस्यता पर वीटो लगाया। यही नहीं 1975 में बांग्लादेश के साथ द्वपक्षीय रिश्ते स्थापित करने से पहले चीन ने अपने ऑल वेदर फ्रेंड पाकिस्तान को आश्वस्त किया था, लेकिन इसके बाद भी बांग्लादेश चीन के झांसे में फंसता जा रहा है।