Sunday, May 19, 2024
देश

बजरंगदल से पीएफआई की तुलना अनुचित

 

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया। इस पर विवाद खड़ा हो गया है। वस्तुतः सभी राजनीतिक दल लोकसभा अथवा विधानसभा चुनाव के समय जब अपना घोषणा पत्र जारी करते हैं तब मुफ्त मंे कुछ चीजें अथवा कर्जा माफी जैसी घोषणाएं करके चुनाव आचार संहिता का एक तरह से उल्लंघन ही करते हैं। राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग ने इस संदर्भ मंे कई बार चेतावनी भी दी है लेकिन वो नख-दंत विहीन है। सिर्फ सुझाव दे सकता है। उसको अधिकार मिलने चाहिए। इसके बाद ही चुनाव घोषणा पत्र मंे सुधार की उम्मीद की जा सकती है। इस बार कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव मंे साम्प्रदायिक कार्ड खेलने का प्रयास किया है। हालांकि यह खेल पहले भाजपा ने शुरू किया था। राज्य मंे धर्म के आधार पर मुसलमानों को दिया गया आरक्षण समाप्त करके धर्म के आधार पर लिंगायतों को दे दिया गया था। यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन भी है। अब कांग्रेस ने चुनाव घोषणा पत्र में राज्य की जनता से वादा किया है कि अगर उसकी सरकार बनी तो बजरंग दल और पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) जैसे संगठनों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की जाएगी। बजरंग दल हिन्दुत्व मंे विश्वास करता है लेकिन राष्ट्रद्रोह नहीं करता, जबकि पीएफआई राष्ट्रद्रोह मंे लिप्त पाया गया है। नागरिकता संशोधन अधिनियम जैसे केन्द्र सरकार के कदमों के खिलाफ पीएफ आई ने सुनियोजित तरीके से दंगे कराए हैं। उसके कई सदस्यों को गिरफ्तार भी किया गया है। इसलिए कांग्रेस ने बजरंग दल को जब पीएफआई के समकक्ष रखने का प्रयास किया तो भाजपा ने जोरदार हमला बोला है। भाजपा के आक्रमण को उन लोगों का भी समर्थन मिल रहा है जो भाजपा के अंधभक्त नहीं हैं लेकिन पीएफआई पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई के समर्थक हैं। कांग्रेस ने कर्नाटक मंे बजरंग दल और पीएफआई को समतुल्य बताकर ऐसे लेागों का भी समर्थन खो दिया है।
बजरंग दल ने गत 2 मई को राष्ट्रीय राजधानी में कांग्रेस मुख्यालय के पास प्रदर्शन किया और मांग की कि पार्टी कर्नाटक में सत्ता में आने पर संगठन पर प्रतिबंध लगाने के अपने वादे को वापस ले।विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नेताओं ने विरोध प्रदर्शन में कहा कि बजरंग दल “देश का गौरव” है और अगर कांग्रेस ने वादा वापस लेने के लिए अपने कर्नाटक चुनाव घोषणापत्र को नहीं बदला, तो बड़े पैमाने पर देशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। बजरंग दल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध विश्व हिंदू परिषद की युवा शाखा है। विहिप प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, “बजरंग दल एक ऐसा संगठन है, जो राष्ट्रवाद की लौ जलाता है, लाखों महिलाओं की लाज बचाता है, गौ माता को वध से बचाता है और देश में लाखों लोगों को बचाने के लिए रक्तदान करता है। बजरंग दल देश का गौरव है और कांग्रेस इसकी तुलना प्रतिबंधित आतंकी संगठन पीएफआई से करती है।” कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए उसी दिन घोषणापत्र जारी किया था जिसमें उसने वादा किया है कि प्रदेश में जाति एवं धर्म के आधार पर ‘नफरत फैलाने’ के लिए बजरंग दल और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) जैसे संगठनों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की जाएगी। उसका कहना है कि ऐसे संगठनों को प्रतिबंधित करने की कार्रवाई भी हो सकती है।
भाजपा ने इस पर आपत्ति जताई है। कर्नाटक में कांग्रेस द्वारा बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा पर मध्य प्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को पत्र लिखा है। नरोत्तम मिश्रा ने पत्र में लिखा, कर्नाटक में कांग्रेस के द्वारा चुनावी घोषणा पत्र में पीएफआई जैसे राष्ट्र विरोधी संगठन के साथ बजरंग दल जैसे राष्ट्र सेवी संगठन पर प्रतिबंध लगाने की जो घोषणा की गई है, उसने सभी धर्म प्रेमियों और राष्ट्रभक्तों के मन में गहन वेदना उत्पन्न की है।
उन्होंने लिखा, मैंने आपके कई वीडियो और चित्र देखे हैं, जिनमें भगवान बजरंगबली के प्रति आपकी भक्ति साधना प्रदर्शित की गई है। बजरंगबली के प्रति आपकी श्रद्धा-भक्ति समय-समय पर कई बार मीडिया के माध्यम से भी देखी और सुनी गई है। ऐसे में कोई भी बजरंग भक्त ऐसा नहीं होगा, जो कर्नाटक में कांग्रेस के द्वारा बजरंग दल पर प्रतिबंध की घोषणा से आहत न हुआ हो। आपकी पार्टी के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह भी कर्नाटक घोषणा पत्र के इस बिंदु से सहमत हैं और वह पूर्व में मुख्यमंत्री रहते समय अपने कार्यकाल में बजरंग दल पर लगाए गए प्रतिबंध की बात को दोहरा रहे हैं। नरोत्तम मिश्रा ने पत्र के लिखा, मेरा आपसे आग्रह है कि आप इस विषय पर अपनी प्रतिक्रिया स्पष्ट करें कि आप इस निर्णय के पक्ष में हैं या विपक्ष में। आपका अभिमत करोड़ों अरबों हिंदुओं की आस्था और धर्म के लिए बेहद आवश्यक है।
कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए घोषणापत्र जारी किया है जिसमें उसने वादा किया है कि प्रदेश में जाति एवं धर्म के आधार पर ‘नफरत फैलाने’ के लिए बजरंग दल और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) जैसे संगठनों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की जाएगी। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र सर्व जनांगदा शान्तिय तोटा (सभी लोगों के लिए शांति का बगीचा) में यह वादा किया है कि वह सत्ता में आने के एक साल के भीतर उन सभी ‘अन्यायपूर्ण और जनविरोधी कानूनों’ को निरस्त करेगी जो भाजपा सरकार द्वारा लाए गए थे। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के कांग्रेस ने यह भी वादा किया है कि उसकी सरकार 200 यूनिट मुफ्त बिजली देगी। परिवार की प्रत्येक महिला मुखिया को हर महीने 2,000 रुपये दिए जाएंगे। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का घोषणापत्र जारी किया। कांग्रेस ने वादा किया है कि बेरोजगार स्नातकों को दो साल के लिए 3,000 रुपये प्रति माह और बेरोजगार डिप्लोमा धारकों को 1,500 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे। नियमित केएसआरटीसी अथवा बीएमटीसी बसों में सभी महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा का भी वादा घोषणा पत्र में किया गया है। बता दें कि कर्नाटक में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने भी 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अपना घोषणा पत्र जारी किया है। बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने का वादा किया है। भाजपा ने कहा कि वह गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) जीवन यापन करने वाले सभी परिवारों को उगादि, गणेश चतुर्थी और दीपावली के महीनों के दौरान तीन मुफ्त रसोई गैस सिलेंडर प्रदान करेगी।
कांग्रेस ने बीजेपी की ओर से जारी किए गए घोषणापत्र को ‘झूठ-लूट घोषणापत्र’ करार देते हुए कहा कि लोग सत्तारूढ़ पार्टी के ‘झूठ’ और ‘बकवास जुमलों’ से तंग आ चुके हैं। राज्य की 224-सदस्यीय विधानसभा के लिए 10 मई को मतदान होगा और मतगणना 13 मई को होगी।

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