शहरीकरण से विलुप्त होती जा रही गौरेया: श्रीमहंत रविंद्र पुरी
हरिद्वार। एसएमजेएन पीजी कॉलेज में विश्व गौरेया दिवस पर आयोजित जन जागरुकता कार्यक्रम में कॉलेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि गौरेया प्रायः विलुप्त सी हो गयी है। शहरीकरण और पेड़ों के कटने से गौरेया अब घरों के आंगन में देखने को भी नहीं मिलती है। कॉलेज के प्राचार्य प्रो. सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि गौरेया मात्र एक पक्षी नहीं बल्कि मानव सभ्यता और संस्कृति का भी प्रतीक है। पर्यावरण प्रदूषण, शहरीकरण और वनों के विनाश से इसकी संख्या लगातार कम होती जा रही है। जो न केवल मानव समाज बल्कि पर्यावरण के लिए भी एक गम्भीर संकट है। आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ. संजय कुमार माहेश्वरी ने कहा कि गौरेया संरक्षण का प्रयास होना महाविद्यालय के सामाजिक और पर्यावरण के क्षेत्र में तत्परता को दर्शाता है। डॉ. विजय शर्मा ने कहा कि पर्यावरण प्रकोष्ठ निरन्तर पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयासरत है। पिछले तीन वर्षों में महाविद्यालय सहित 300 से अधिक घरों में गौरेया के संरक्षण के लिए घोसलें लगवाये गये हैं। कॉलेज में पर्यावरण प्रकोष्ठ के छात्र-छात्राओं गौरव बंसल, अंशिका, आरती असवाल, मानसी वर्मा और रिया आदि ने नन्हीं सी चिड़िया-मैं हूँ, गौरेया गीत पर एक नाटकीय प्रस्तुति दी। इस अवसर पर विनय थपलियाल, डॉ. मोना शर्मा, डॉ. विनीता चौहान, डॉ. मिनाक्षी शर्मा, डॉ. रश्मि डोभाल, डॉ. रजनी सिंघल, डॉ. पल्लवी, डॉ. सरोज शर्मा, डॉ. रेनू सिंह, डॉ. अमिता मल्होत्रा, नेहा गुप्ता, डॉ. सुरभि प्रधान, प्रिंस श्रोत्रिय मौजूद रहे।