Monday, May 20, 2024
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दोहरे दबाव में जान दे रहे कोटा में बच्चे

 

देश भर से नीट और आइआइटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग सुविधा के लिये मशहूर राजस्थान का कोटा शहर अब एजुकेशनल हब के स्थान पर सुसाइड हब बन रहा है। पिछले एक माह के भीतर ही कोटा में कोचिंग ले कर तैयारी कर रहे आधा दर्जन छात्रों ने मौत को गले लगा लिया है।
कोटा में 26 फरवरी को एक और कोचिंग स्टूडेंट ने फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली। स्टूडेंट के पास सुसाइड नोट मिला। लिखा- मैं अपनी मौत का खुद जिम्मेदार हूं, मेरे ऊपर किसी का दबाव नहीं था। सॉरी दीदी, सॉरी मम्मी-भाई, सॉरी दोस्तों। मिली जानकारी के अनुसार यूपी के बदायूं का रहने वाला 17 साल का अभिषेक यादव उद्यान नगर इलाके के हॉस्टल में रहता था। वह दो साल से कोटा में रह रहा था। अभिषेक एक कोचिंग संस्थान में मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट की तैयारी कर रहा था। वह पिछले कुछ समय से कोचिंग नहीं जा रहा था और हॉस्टल से ही ऑनलाइन क्लास ले रहा था। आशंका है कि स्टूडेंट ने कमरे में एंटी सुसाइड फैन से फंदा लगाने की कोशिश की। हालांकि पंखा नीचे आ गया, जिससे वह बच गया। दोबारा उसने कमरे में लगे कड़े से फांसी लगाकर जान दे दी। हॉस्टल संचालक ने कमरे की खिड़की से देखा तो अभिषेक फंदे पर लटका था। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने कमरे का दरवाजा तोड़कर अभिषेक को फंदे से नीचे उतारा। करीब 24 घंटे तक सुसाइड का किसी को पता नहीं चल पाया था।
कोटा में पिछले दो महीने में सुसाइड के आधा दर्जन मामले सामने आए हैं 14 जनवरी को यूपी निवासी अली राजा ने सुसाइड किया। कोटा में रहकर जेइइ की तैयारी कर रहा था, जो पिछले 1 महीने से कोचिंग नहीं जा रहा था। 15 जनवरी को उत्तरप्रदेश के प्रयागराज के रहने वाले रणजीत (22) ने फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया था। स्टूडेंट के पास सुसाइड नोट मिला। लिखा- मैं विष्णु का अंश हूं, मैं भगवान से मिलने जा रहा हूं। 19 जनवरी को जवाहर नगर थाना क्षेत्र में एक स्टूडेंट ने सुसाइड की कोशिश की थी। स्टूडेंट ने खुद पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगा ली। समय रहते स्थानीय लोगों ने उसे बचाया और हॉस्पिटल पहुंचाया। स्टूडेंट बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले का रहने वाला है। 29 जनवरी को विज्ञान नगर इलाके में कोचिंग स्टूडेंट ने सुसाइड की कोशिश की। स्टूडेंट हॉस्टल की चौथी मंजिल की बालकनी से नीचे कूद गया था। गंभीर हालत में उसे प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। 8 फरवरी को कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र के लेडमार्क सिटी इलाके में एक छात्रा ने मल्टीस्टोरी बिल्डिंग के 10वें माले से कूदकर सुसाइड कर लिया। छात्रा कृष्णा (17) बाड़मेर की रहने वाली थी।
मध्यप्रदेश और राजस्थान की सीमा पर बसे राजस्थान का शहर कोटा कभी चुनरी, किले महलों और लघु उद्योग के लिए जाना जाता था लेकिन अब कोटा की पहचान यहां तेजी से फैलते कोचिंग इंडस्ट्रीज की वजह से है। अचानक कोटा की पहचान इन कोचिंग इंडस्ट्रीज ने कैसे बदल दी। आज का युवा प्रतियोगी परीक्षा के लिए कोटा जाने की ही बात क्यों कहता है? 1991 में यहां पहले कोचिंग सेंटर की छोटी सी शुरूआत की गई थी जिसके दस छात्रों को पहले ही साल में आइआइटी में प्रवेश मिल गया। अगले साल इस कोचिंग के पचास छात्र आइआइटी के लिए सलेक्ट हो गए। बस फिर तो एक के बाद एक कोचिंग संस्थान खुलते चले गए। इन की व्यवसायिक कामयाबी को देखते हुए अनेक लोगों की नजर कोचिंग व्यवसाय की ओर गई और उन्होंने कोटा में कोचिंग सेन्टर शुरू किए। आज कोटा देश में सबसे बड़ा कोचिंग का हब बन चुका है जहां हर साल करीब 2 से 3 लाख बच्चे प्रतियोगी परिक्षाओं खासकर इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करने आते हैं। आज कोटा में कोचिंग इंडस्ट्री करीब साढ़े तीन चार हजार करोड़ तक पहुंच चुकी है।यह कोचिंग इंडस्ट्री कोटा की रीढ़ है।एक अनुमान के अनुसार कोटा से अब तक करीब 50 हजार से ज्यादा छात्र पढ़कर आईआईटी सहित देश के प्रतिष्ठित कॉलेजों में प्रवेश पा चुके हैं। लेकिन इस सबके बीच एक बड़ी समस्या यहां कोचिंग ले रहे छात्र छात्राओं द्वारा आत्महत्या की बढ़ती वारदातों की है। पिछले चार साल में करीब पचास छात्र छात्राओं ने पढ़ाई के दबाव व अवसाद के चलते सुसाइड किया है। हर साल बीस से अधिक छात्र अपनी जीवन लीला समाप्त कर रहे हैं। कोचिंग नगरी कोटा में छात्रों के सुसाइड के मामले बढने लगे हैं। दिसंबर 22 में दस दिनों में भीतर ही चार छात्रों ने सुसाइड किया जबकि 12 दिसंबर को सिर्फ बारह घंटे के भीतर ही तीन छात्रों ने जिंदगी की जंग में हार दर्ज की। यहां कोचिंग ले रहे छात्रों की आत्महत्या के ये आंकड़े बेहद डराने वाले हैं 2019 में 18 और 2020 में 20 छात्रों ने अपनी जान दे दी थी। 2021 में किसी भी छात्र ने आत्महत्या नहीं की क्योंकि कोरोना के चलते क्लासेज घर से चलती थीं। बीते साल 2022 में ही कोटा में तैयारी कर रहे 22 छात्रों ने आत्महत्या कर यहां के कोचिंग सेंटर में बढ रही अवसाद की परिस्थितियों को सामने ला दिया है। अब 2023 के शुरुआती दो महीने में भी सुसाइड की पांच घटनाएं बेहतर भविष्य के लिए कोटा में कोचिंग कराने भेज रहे मां बाप की चिंता बढ़ा रही है कि उनका बच्चा सुरक्षित वापस भी आएगा या नहीं।
इस सबके पीछे कई कारण छिपे है पहले इंटर की परीक्षा के बाद बच्चों को यहां कोचिंग के लिए भेजा जाता था लेकिन अब व्यवसायिक दौड़ में दसवीं कक्षा के साथ ही कोचिंग की पहल की जा रही है जिससे पंद्रह साल से लेकर सोलह सतरह साल के हजारों लाखों बच्चों को मां-बाप बच्चों की क्षमता को बिना सोचे विचारे कोटा भेज रहे हैं ऐसी हालत में अनेक छात्र छात्राओं को होमसिकनेस के बीच घर से कई कई सौ व हजार किलोमीटर दूर के कोचिंग माहौल में अकेले रह कर पढाई का दबाव झेलना मुश्किल होता है ।
वहीं सोलह से इकीस की उम्र के अधिकांश छात्र छात्राओं में कई बार परस्पर आकर्षण लव अफेयर अकेलापन अपनी बात शेयर करने के लिए किसी निकट जन का साथ नहीं होना वहीं कोचिंग संस्थान के व्यस्त शेड्यूल में बच्चों के साथ संवेदना रहित प्रतिस्पर्धा के व्यवहार से पैदा मानसिक दबाव बच्चों को तोड़ रहा है और इस सबके बीच अनेक बच्चे डिप्रेशन में आ जाते हैं। इस अवसाद को पहचानने के लिए कोचिंग संस्थान के संचालकों को फुरसत नहीं है। उनका जोर किसी भी तरह प्रति छात्र से लाखों की फीस वसूल कर अपने संस्थान की कमाई और प्रचार करने तक सीमित है। वहीं मां बाप के मेहनत की कमाई के दो से पांच लाख रुपये तक प्रतिवर्ष खर्च करने के बाद बच्चों के सिर पर दो तरफा दबाव होता है। एक ओर बेहद व्यस्त दिनचर्या मेंबिना ब्रेक लिए पढ़ने का दबाव दूसरी ओर मां बाप के लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी सफलता नहीं मिलना कई बार बेहद डिप्रेशन में धकेल देता है और बच्चे टूट कर मौत को गले लगा लेते हैं। सबसे पहले अभिभावकों को यह समझना होगा कि कोटा के कोचिंग संस्थान प्रवेश परीक्षा में सफलता की गारंटी नहीं है। हर साल दो से तीन लाख छात्रों में मात्र कुछसौ छात्रों को सफलता मिलनी होती है ऐसी हालत में बच्चों पर बिना उनकी योग्यता को पहचाने दबाव बनाना खतरनाक है। जरूरत यह है कि बच्चों को पूरी तरह आश्वस्त किया जाए कि यदि वह सफलता नही भी पाते हैं तो भी उनके लिए अनेक अवसर जीवन में बाकी है यह प्रवेश परीक्षा अंतिम अवसर नहीं है।

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