Saturday, May 18, 2024
देशहोम

त्रिपुरा में भाजपा ने झोंकी ताकत

पूर्वोत्तर भारत के तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। भाजपा के लिए इनमें त्रिपुरा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्वयं इसकी कमान संभाल रखी है। त्रिपुरा में कांग्रेस और वामपंथी मिलकर चुनाव लड रहे हैं। यह राज्य वामपंथियों का गढ रह चुका है। इसलिए माकपा ने इस बार कांग्रेस के साथ मिलकर भाजपा से सत्ता छीनने की रणनीति बनाई है। अमित शाह यहां पहले भी दौरा कर चुके हैं जब उन्होंने राममंदिर बनने की तारीख की घोषणा की थी। अब 6 फरवरी और 12 फरवरी को अमित शाह की त्रिपुरा में रैलियां करने की संभावना है। चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा के बाद शाह का यह उत्तर पूर्वी राज्य में पहला राजनीतिक दौरा होगा। भाजपा शासित राज्य की साठ सदस्यीय विधानसभा के लिए 16 फरवरी को मतदान होना है। भाजपा शासित राज्य त्रिपुरा की साठ सदस्यीय विधानसभा के लिए 16 फरवरी को मतदान होना है। पूर्वोत्तर के दो अन्य राज्यों नगालैंड और मेघालय में 27 फरवरी को मतदान होगा। तीनों राज्यों के लिए वोटों की गिनती 2 मार्च को होगी। पार्टी सूत्रों ने बताया कि शाह नगालैंड और मेघालय में भी जनसभाएं करेंगे। उनके कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस बीच भाजपा को एक झटका भी लगा जब त्रिपुरा के भाजपा विधायक अतुल देबबर्मा ने कहा कि आगामी चुनावों के लिए टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने भगवा पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने खोवाई जिले में अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र कृष्णापुर के लिए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन पत्र भी दाखिल किया है । गत 1 फरवरी को संसद में बजट के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शाम को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में भाग लेने के लिए भाजपा मुख्यालय पहुंचे थे। मेघालय और नागालैंड विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हो रही थी। बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे। उधर सीपीआई (एम) और कांग्रेस दोनों ने संकेत दिया है कि राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी-इंडिजिनस फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) गठबंधन को सत्ता से हटाने के लिए बीजेपी विरोधी पार्टियों का संभावित गठबंधन हो सकता है। विपक्ष के नेता और त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने कहा है कि उनकी पार्टी के पोलित ब्यूरो ने पहले ही फैसला कर लिया है और अपने स्थानीय नेताओं को अपने राज्यों में चुनावी गठबंधन से संबंधित मुद्दों को शुरू करने की अनुमति दे दी है।
पूर्वोत्तर के तीनों चुनावी राज्य अपने चुनावी आकार के लिहाज से भले ही छोटे हों, लेकिन उनका राजनीतिक महत्व बड़ा है। भाजपा जहां त्रिपुरा में सत्ता बरकरार रखने और दो अन्य राज्यों में अपने पैर पसारने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, वहीं कांग्रेस और वाम दल खासकर त्रिपुरा में अपने खोए हुए प्रभाव को फिर से हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। त्रिपुरा के भाजपा विधायक अतुल देबबर्मा ने भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर भगवा पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने खोवाई जिले में अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र कृष्णापुर के लिए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। उन्होंने कहा, मैंने पहले ही त्रिपुरा विधानसभा के अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भेज दिया है और भाजपा भी छोड़ दी है। अतुल देबबर्मा ने अपना दर्द बताते हुए कहा मैंने भाजपा के लिए ही दिल्ली में अपनी आकर्षक नौकरी छोड़ दी थी। अगर मैंने पिछला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा होता तो मैं सेवा जारी रख सकता था। मैं त्रिपुरा के लोगों के लिए काम कर रहा हूं, दिल्ली में रहने वाले अपने परिवार से दूर रह रहा हूं। भाजपा ने कृष्णापुर विधानसभा क्षेत्र से स्थानीय आदिवासी नेता विकास देबबर्मा को मैदान में उतारा है। नाराजगी जाहिर करते हुए डॉक्टर से नेता बने सिंह ने यह भी दावा किया कि पार्टी ने उनके प्रति कोई शिष्टाचार नहीं दिखाया है और यह नहीं बताया कि इस सीट के लिए मेरे नाम पर विचार क्यों नहीं किया गया।
कांग्रेस और वाम दल त्रिपुरा में अपने खोए हुए प्रभाव को फिर से हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं तो भाजपा सत्ता को बरकरार रखना चाहती है। त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए दोनों प्रमुख गठबंधनों के चेहरे लगभग साफ हो गए हैं। भाजपा ने 55 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। वहीं, लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवारों का एलान कर दिया है। मुख्यमंत्री माणिक साहा को टाउन बार्दो वाली सीट से ही भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं, केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक धनपत सीट से दावेदारी पेश करेंगी। लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन ने समझौते के तहत ही सभी 60 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित किए थे लेकिन कांग्रेस ने थोड़ा फेरबदल कर दिया । कांग्रेस वामपंथी गठबंधन ने इस बार त्रिपुरा की 60 सीटों में से 43 सीटों पर माकपा, 13 पर कांग्रेस, एक पर भाकपा, एक सीट पर आरएसपी और एक पर फॉरवर्ड ब्लॉक उम्मीदवार के चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। हालांकि, कांग्रेस ने 13 सीटों की बजाय 17 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए। भाजपा से कांग्रेस में आए सुदीप रॉय बर्मन अगरतला सीट से चुनाव लड़ेंगे।
इस तरह त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए दोनों प्रमुख गठबंधनों के चेहरे लगभग साफ हो गए हैं। भाजपा ने 55 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं। भाजपा ने बाकी पांच सीटें अपने गठबंधन साथी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के लिए छोड़ी है। वहीं, लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवारों का एलान कर दिया है। मुख्यमंत्री माणिक साहा टाउन बार्दोवाली सीट से ही चुनाव मैदान में उतरेंगे। वहीं, केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक धनपत सीट से दावेदारी पेश करेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 फरवरी को असम के बारपेटा में कृष्णगुरु सेवाश्रम में होने वाले विश्व शांति के लिए कृष्णगुरु एकनाम अखंड कीर्तन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लेंगे। पीएमओ ने इसके बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि इस दौरान पीएम मोदी कृष्णगुरु सेवाश्रम के श्रद्धालुओं को भी संबोधित करेंगे।
त्रिपुरा में पैर जमाने के लिए तृणमूल कांग्रेस ने भी पूरी रणनीति बना ली है। इसके तहत टीएमसी ने अपने स्टार प्रचारकों की भी घोषणा कर दी है। बहुत जल्द एक पूरा समूह त्रिपुरा पहुंच रहा है। पार्टी के 37 स्टार प्रचारकों की सूची में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी प्रमुख हैं। बताया जा रहा है कि छह और सात फरवरी को दोनों त्रिपुरा आ रहे हैं। त्रिपुरा प्रदेश तृणमूल कांग्रेस ने ट्वीट करके यह जानकारी दी थी। पश्चिम बंगाल तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष सुब्रत बख्शी के साथ तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद सुदीप बनर्जी त्रिपुरा में चुनाव प्रचार करेंगे। लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा, काकली घोष दस्तीदार, कोलकाता की मेयर भी प्रचार करेंगी। (

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *