तनाव से मुक्ति का सार्थक संवाद
शिक्षा व परीक्षा दोनों ही आवश्यक है,लेकिन इतने मात्र से जीवन की सिद्धि नहीं हो सकती। भारतीय चिंतन में धर्म अर्थ काम मोक्ष का उल्लेख है। इसी के साथ अविद्या की भी चर्चा की गई। किताबी ज्ञान जीवन का एक पहलू मात्र है। यह सर्वस्व नहीं है। शिक्षा परीक्षा साधन हो सकती है, लेकिन यह साध्य नहीं है। इसके लिए सकारात्मक विचार का होना आवश्यक है।
निराशायाम समम् पापम
मानवस्य न विद्यते
ताम समूलं समुतसार्थ
हराष्वादम प्ररोभव।।
अर्थात निराशा के समान कोई पाप नहीं है। आशावादी होकर ही कर्म करना चाहिये।
गीता में भगवान कृष्ण कहते है कि
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
विद्यार्थियों को इसी सकारात्मक भाव से ही परीक्षा देनी चाहिए।
गोपाल दास नीरज की कविता भी इस संदर्भ में प्रासंगिक है
छिप छिप अश्रु बहाने वालो!
मोती व्यर्थ बहाने वालो!
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी भाव के अनुरूप देश के बच्चों को प्रेरणा देते है। उन्हें जागरूक बनाते है। मन की बात के माध्यम से वह पहले भी इस प्रकार का सन्देश देते रहे है। पांच वर्ष पहले उन्होंने ताल कटोरा स्टेडियम नई दिल्ली से विद्यार्थियों के साथ संवाद किया था।
परीक्षा पे चर्चा वस्तुतः भारतीय चिंतन के आशावादी दृष्टिकोण के अनुरूप होती है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि परीक्षा एक कसौटी मात्र है। इसमें स्वयं की परख करनी चाहिए। परीक्षा अंतिम अवसर नहीं होती। बल्कि यह जिंदगी जीने के लिए अपने आपको कसने का एक उत्तम अवसर है। समस्या तब आती है जब एग्जाम को ही जैसे जीवन के सपनों का अंत मान लेते हैं। यह जीवन मरण का प्रश्न नहीं बल्कि जीवन को गढ़ने का एक अवसर मात्र है। अभिभावक की तरह प्रधानमंत्री ने कहा कि खाली समय को खाली मत समझिए। यह खजाना है, एक सौभाग्य है, अवसर है। आपकी दिनचर्या में खाली समय के पल होने ही चाहिए, वरना तो जिंदगी एक रोबोट जैसी हो जाती है। जब आप खाली समय में अर्न करते हैं तो आपको उसकी सबसे ज्यादा वैल्यू पता चलती है। जिंदगी में बहुत पड़ाव आते हैं। परीक्षा एक छोटा सा पड़ाव है। इसके लिये दबाव नहीं बनाना चाहिए। ऐसा माहौल बना दिया है कि यही एग्जाम सब कुछ है। जबकि यह जिंदगी का अंतिम मुकाम नहीं है। इस बार नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में परीक्षा पे चर्चा के छठे संस्करण में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से संवाद किया। उन्होंने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों पर उम्मीदों का बोझ न डालें। छात्रों से कहा कि वे हमेशा अपनी क्षमता के अनुसार खुद का मूल्यांकन करें। परिवार की अपेक्षाएं होना स्वाभाविक है।लेकिन सामाजिक स्थिति के कारण अपेक्षा करना अनुचित है। व्यक्ति को अपने भीतर देखना चाहिए और उम्मीद को अपनी क्षमताओं, जरूरतों, इरादों और प्राथमिकताओं से जोड़ना चाहिए। छात्रों को दबावों का विश्लेषण करना चाहिए। सिर्फ परीक्षा के लिए ही नहीं, जीवन में टाइम मैनेजमेंट के प्रति जागरूक रहना चाहिए। काम करने से कभी थकान नहीं होती, बल्कि काम नहीं करना इंसान को थका देता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अपनी माताओं को देखकर छात्र समय के सूक्ष्म प्रबंधन के महत्व को समझ सकते हैं। इस प्रकार प्रत्येक विषय के लिए विशेष घंटे तय कर सकते हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत को एक नई उम्मीद के रूप में देखा जा रहा है। आज भारत दुनिया के तुलनात्मक अर्थशास्त्र में चमकता हुआ दिख रहा है। आलोचना एक शुद्धि यज्ञ है। समृद्ध लोकतंत्र की मूल स्थिति है। आलोचना को आरोप नहीं समझना चाहिए।
आलोचना करने के लिए बहुत मेहनत और एनालिसिस करना पड़ता है। ज्यादातर लोग आरोप लगाते हैं, आलोचना नहीं करते। आलोचना और आरोप के बीच एक बड़ी खाई है। तकनीक से परहेज नहीं करना चाहिए बल्कि खुद को जरूरत के हिसाब से उपयोगी चीजों तक सीमित रखना चाहिए। भारतीयों के पहाड़ा बोलने की क्षमता को विदेशों तक में सराहना होती है। प्रत्येक घर में एक प्रौद्योगिकी मुक्त क्षेत्र नो टेक्नोलॉजी जोन बनाया जा सकता है। एक परीक्षा जीवन का अंत नहीं है। परिणामों के बारे में अधिक सोचना रोजमर्रा की जिंदगी का विषय नहीं बनना चाहिए। शिक्षकों को कमजोर छात्रों को अपमानित करने के बजाय मजबूत छात्रों को प्रश्न पूछकर पुरस्कृत करना चाहिए। इसी प्रकार, छात्रों के साथ अनुशासन के मुद्दों पर संवाद स्थापित करके उनके अहंकार को ठेस पहुंचाने के बजाय उनके व्यवहार को सही दिशा में निर्देशित किया जा सकता है। अनुशासन स्थापित करने के लिए शारीरिक दंड का रास्ता नहीं अपनाना चाहिए। संवाद और तालमेल चुनना चाहिए। लखनऊ में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना अच्छी बात है, लेकिन इसके लिए बच्चों को बाध्य नहीं किया जाना चाहिए। अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए उन पर दबाव नहीं बनाना चाहिए। बच्चे अपने बौद्धिक एवं शारीरिक विकास तथा अपनी क्षमता के अनुरूप परिणाम देने में सक्षम हैं।अभिभावकों को बच्चों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना के विकास के लिए कार्य करना चाहिए।
योगी आदित्यनाथ भी प्रधानमंत्री के ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से सहभागी हुए थे। उन्होने कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों को नरेन्द्र मोदी द्वारा लिखित ‘एग्जाम वाॅरियर्स’ पुस्तक टैबलेट तथा सम्मान पत्र प्रदान किया। कहा कि अक्सर बच्चे, अभिभावकों तथा विद्यालय के प्रबन्धकों के दबाव के कारण तनाव से मुक्त नहीं हो पाते। इन स्थितियों में बच्चे परीक्षाओं में हतोत्साहित हो जाते हैं। प्रदेश सरकार ने तकनीकी रूप से सक्षम बनाने के लिए दो करोड़ विद्यार्थियों को टैबलेट स्मार्ट फोन वितरण के बड़े कार्यक्रम की शुरुआत की है। अब तक बीस लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को यह सुविधा उपलब्ध करायी जा चुकी है। यह देश में विद्यार्थियों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की सबसे बड़ी योजना है। बेसिक शिक्षा परिषद के सभी स्कूलों में विद्यार्थियों को यूनीफाॅर्म, बैग, किताबें, जूते-मोजे तथा स्वेटर उपलब्ध कराया जा रहा है। वर्तमान में करीब दो करोड़ बच्चों को यह सुविधा डीबीटी के माध्यम से उपलब्ध करायी जा रही है। प्रदेश जनसहभागिता से ‘ऑपरेशन कायाकल्प’ चलाया गया। कन्वर्जन के माध्यम से तथा शासन से धनराशि उपलब्ध कराकर इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया गया। योगी आदित्यनाथ ने अभिभावकों, प्रधानाचार्यों तथा शिक्षकों से परीक्षा के दौरान तनाव मुक्त माहौल सुनिश्चित करने का आह्वान किया। इस प्रकार परीक्षार्थियों को तनाव से मुक्ति का संदेश दिया गया।