Sunday, May 19, 2024
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नीतीश के पीछे क्यों पड़े हैं पीके!

चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बनने की तैयारी कर रहे प्रशांत किशोर अर्थात् पीके स्वयं जनसम्पर्क यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने सबसे पहले 2014 मंे भाजपा के लिए ही चुनाव रणनीति बनायी थी। भाजपा को जबर्दस्त सफलता भी मिली लेकिन भाजपा के एक प्रभावशाली नेता पीके से नाराज हो गये। अगले ही साल बिहार मंे विधानसभा के चुनाव हुए थे और पीके नीतीश और लालू यादव के महागठबंधन के चुनावी रणनीतिकार बन गये थे। इसमंे भी वह नीतीश कुमार के ज्यादा निकट थे। यह निकटता इतनी बढ़ी कि प्रशांत किशोर जद(यू) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिये गये हालांकि बाद मंे पीके ने नीतीश कुमार का भी साथ छोड़ दिया। पीके ने पश्चिम बंगाल मंे ममता बनर्जी के लिए कार्य किया और भाजपा के नेताओं के कड़े परिश्रम के बाद भी भाजपा वहां सरकार नहीं बना पायी। इतना जरूर हुआ कि तीन की जगह 73 विधायक भाजपा के वहां हो गये। प्रशांत किशोर ने इसी के बाद चुनावी रणनीति बनाने का कार्य बंद करने की घोषणा कर कहा था कि वह कुछ अधिक अच्छा करना चाहते हैं। उन्हांेने खुलकर यह नहीं बताया कि क्या करेंगे लेकिन बिहार मंे तीन हजार किमी. की पद यात्रा कर रहे हैं। वह 2 अक्टूबर को यात्रा पर निकले थे। भाजपा के बारे मंे उन्होंने इतना जरूर कहा कि अभी उसे कोई हटा नहीं पएगा लेकिन वे नीतीश कुमार की लगातार टांग खींच रहे हैं। अभी हाल मंे पीके ने नीतीश की समाधान यात्रा को लेकर कहा कि यह लोगों को मूर्ख बनाने का प्रयास है। इसी के साथ उन्हांेने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को सार्थक बताते हुए कहा कि नीतीश कुमार को उस यात्रा से जुड़ना चाहिए था। नीतीश कुमार की समाधान यात्रा के दौरान लोग उनसे मिल रहे हैं और अपनी समस्या भी बता रहे हैं। इसके बावजूद पीके नीतीश कुमार की यात्रा की आलोचना क्यों कर रहे हैं? क्या बिहार को ही वह अपना कर्मक्षेत्र बनाना चाहते हैं?
राजनीतिक रणनीतिकार से राजनीतिक बने प्रशांत किशोर ने अभी हाल मंे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘समाधान यात्रा’ को ‘लोगों को मूर्ख बनाने का प्रयास’ बताते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में ‘पसंदीदा मंत्रियों और नौकरशाहों की बैठक की अध्यक्षता करने से लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं होगा। किशोर ने गोपालगंज जिले के बरौली में मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए दावा किया कि जनता दल यूनाइटेड (जदयू) नेता ने अतीत में कई यात्राएं की थीं, लेकिन इससे राज्य की बेहतरी के लिए कुछ भी नहीं हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘यह समाधान यात्रा उनकी (मुख्यमंत्री के तौर पर) 14वीं यात्रा है, लेकिन राज्य में कुछ भी नहीं बदला है। किशोर ने कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल नहीं होने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश की आलोचना की।
समाधान यात्रा मंे लोग अपनी बात नीतीश तक सीधे पहुंचा रहे हैं। पिछले दिनों ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समाधान यात्रा के दौरान भोजपुर जिले के संदेश प्रखंड के तीर्थकौल गांव में सीएम का कार्यक्रम रखा गया था। उनके साथ डिप्टी सीएम और जिले के प्रभारी मंत्री तेजस्वी यादव भी मौजूद थे। सीएम नीतीश लाव-लश्कर के साथ पैदल जा रहे थे। दोनों तरफ लोगों की भीड़ थी। लोग नीतीश कुमार जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे, लेकिन एक किसान जोर-जोर से चिल्लाकर अपनी बात कहने लगा। नीतीश कुमार रुक गए। नीतीश और तेजस्वी के सामने एक सुर में बोलना शुरू कर दिया। किसान ने समस्या बताते हुए कहा- प्रणाम सर, नहर में पानी नहीं आ रहा है सर। नहर में 10 साल से पानी नहीं आ रहा है। यहां पर विकास कुछ नहीं आ रहा है। हम लोग किसान मर रहे हैं। आप बिहार के मुख्यमंत्री हैं सर। भूखे मर जाएंगे सर। आप बचाइए सर, हम किसान आधारित हैं सर। किसान लगातार बोलता चला जा रहा था। इस दौरान नीतीश कुमार का हाव-भाव पूरी तरह बदल गया। वो जानने की कोशिश कर रहे थे कि आखिर किसान को क्या परेशानी है। किसान की बातों से यह साफ जरूर हो गया कि उसे मालूम था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2024 में प्रधानमंत्री बनने के मूड में हैं। इस दौरान उसने यह भी कह दिया कि सर आप पीएम बनिएगा सर, आप पीएम बनने वाले हैं सर। फिर नीतीश कुमार ने अधिकारियों की ओर इशारा किया तो इत्मीनान से किसान ने कहा कि सर नहर में पानी नहीं आ रहा। अधिकारी ने पूछा कहां का मामला है? इस दौरान जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने किसान की बात को गंभीरता से सुना। नीतीश कुमार ने संबंधित पदाधिकारियों को इस पर जल्द कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
इस प्रकार नीतीश से लोग जुड़ रहे हैं। उधर, प्रशांत किशोर जन सुराज पदयात्रा कर रहे हैं। महात्मा गांधी की जयंती के मौके पर जन सुराज अभियान शुरू हुआ था। उन्होंने इस पदयात्रा की शुरुआत मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद वैदिक मंत्रोच्चार के साथ की। पदयात्रा पश्चिम चंपारण जिले के भितिहरवा गांधी आश्रम से शुरू हुई। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा था कि इस पदयात्रा के माध्यम से वे लगभग 3500 किलोमीटर पैदल चलेंगे और बिहार के हर पंचायत और प्रखंड में पहुंचने का प्रयास करेंगे। प्रशांत किशोर ने जन सुराज यात्रा को लेकर कहा कि इस पदयात्रा को पूरा करने में लगभग एक से डेढ़ साल तक का समय लगेगा और इस बीच वो पटना या दिल्ली नहीं लौटेंगे। स्वतंत्रता के बाद 50 के दशक में भारत के अग्रणी राज्यों में शामिल बिहार, आज देश का सबसे पिछड़ा और गरीब राज्य है। आज गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी और और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से लोगों का यहां बुरा हाल है। उन्होंने कहा कि अब समय बदलने वाला है। इस संकल्प के साथ और आने वाले 10 सालों में बिहार को देश के शीर्ष 10 राज्यों की श्रेणी में शामिल कराने के लिए, जन सुराज का यह अभियान समाज के सही लोगों को जोड़कर, एक सही सोच के साथ, सामूहिक प्रयास के जरिए एक ऐसी व्यवस्था बनाने की कोशिश है, जिससे सत्ता परिवर्तन सही मायनों में व्यवस्था परिवर्तन का जरिया बने।
जन सुराज यात्रा को लेकर प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया कि देश के सबसे गरीब और पिछड़े राज्य बिहार में व्यवस्था परिवर्तन का दृढ़ संकल्प। पहला महत्वपूर्ण कदम- समाज की मदद से एक नयी और बेहतर राजनीतिक व्यवस्था बनाने के लिए अगले 12-15 महीनों में बिहार के शहरों, गांवों और कस्बों में 3500किमी. की पदयात्रा। बेहतर और विकसित बिहार के लिए जनसुराज। पदयात्रा के उद्देश्य की चर्चा करते हुए प्रशांत ने कहा कि समाज की मदद से जमीनी स्तर पर सही लोगों को चिन्हित करना और उनको एक लोकतांत्रिक मंच पर लाने का प्रयास करना तथा स्थानीय समस्याओं और संभावनाओं को बेहतर तरीके से समझना और उसके आधार पर नगरों और पंचायतों की प्राथमिकताओं को सूचीबद्ध कर, उनके विकास का ब्लूप्रिंट बनाना मुख्य उद्देश्य है। इस दौरान बिहार के समग्र विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आर्थिक विकास, कृषि, उद्योग और सामाजिक न्याय जैसे 10 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विशेषज्ञों और लोगों के सुझावों के आधार पर अगले 15 साल का एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार होगा। जन सुराज अभियान की आधिकारिक वेबसाइट भी शुरू की गई है। प्रशांत किशोर 2018 में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में शामिल हुए थे, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सार्वजनिक आलोचना करने पर 2020 में उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। अब पीके बिहार मंे नीतीश के विकल्प बनना चाहते हैं।

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