Saturday, May 18, 2024
उत्तर प्रदेश

अखिलेश यादव का सियासी समीकरण

 

उत्तर प्रदेश यूपी में स्नातक-शिक्षक एमएलसी सीटों पर चुनाव प्रक्रिया के दौरान ही नये सियासी समीकरण बनते दिख रहे है। पांच सीटों पर हो रहे चुनाव में दो शिक्षक और तीन स्नातक की सीटें हैं। ऐसे में सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी ने जहां पांचों सीटों पर जीत दर्ज करने का खाका खींच लिया है, वहीं समाजवादी पार्टी ने भी पूरी ताकत झोंक दी हैं। दरअसल, समाजवादी पार्टी इसी चुनाव के जरिये विधान परिषद में नेता विपक्ष की कुर्सी पर काबिज होना चाहती है। समाजवादी पार्टी ने सत्ता पर काबिज बीजेपी को टक्कर देने के लिए पूरी रणनीति तैयार कर ली है। सपा ने स्नातक-शिक्षक की सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ने के लिये सभी 39 जिलों में पार्टी नेताओं को एक्टिव कर दिया है। इसके लिए प्रभारी भी नामित कर दिए हैं। साथ ही जिला अध्यक्षों समेत विधायक व विधानसभा प्रत्याशी भी वोटरों को लामबंद करने में जुट गए हैं।
समाजवादी पार्टी ने इन सीटों पर सबसे पहले उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए थे। वहीं समाजवादी पार्टी की नजर विधान परिषद में नेता विपक्ष की कुर्सी पर है। इसके लिए कम से कम उसे एक सीट पर जीत हासिल करना जरूरी है। सपा के अभी विधान परिषद में 9 सदस्य हैं, ऐसे में उनके पास नेता विपक्ष की कुर्सी नहीं है। कारण, विधान परिषद में संख्याबल के लिहाज से नेता विपक्ष के लिए 10 सदस्य का होना आवश्यक है। इसलिए सपा सभी 5 सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ने की रणनीति पर काम कर रही है। स्नातक-शिक्षक एमएलसी चुनाव प्रबुद्धजनों का होता है। ऐसे में सपा प्रबुद्धजनों के माने जाने वाले चुनाव को जीतकर 2024 लोकसभा के लिए भी संदेश देना चाहती है। ऐसे में इन 5 सीटों पर होने वाला चुनाव जितना बीजेपी के लिए अहम है उतना ही समाजवादी पार्टी के लिए भी अहम हो जाता है।
इसी के साथ यूपी के राजनीतिक हलकों में एक बार फिर से नए समीकरण उभरने की संभावना दिखने लगी है। गत 7 जनवरी को भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ मुलाकात की थी। दोनों के बीच बीजेपी के विरोध में एक आंदोलन खड़ा करने की रणनीति के बारे में चर्चा हुई है। दावा किया जा रहा है कि आने वाले समय में चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी भी सपा और रालोद गठबंधन का हिस्सा बनेगी। शिवपाल यादव की प्रसपा का विलय समाजवादी पार्टी में पहले ही हो चुका है। माना जा रहा है कि भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने अखिलेश यादव से मुलाकात कर ‘भाजपा की जनविरोधी नीतियों’ के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने पर चर्चा की थी।
सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि संभावना है कि वे भविष्य में एक साथ आ सकते हैं। भविष्य में भाजपा के खिलाफ एक आंदोलन खड़ा करने की रणनीति पर चर्चा हो चुकी है। अखिलेश यादव के साथ मुलाकात के बाद भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि हमारी कोशिश जमीन पर एक आंदोलन शुरू करने और लोगों के सामने भाजपा की वास्तविकता को उजागर करना है। बैठक के दौरान इन सभी मुद्दों पर और जमीनी स्तर पर आंदोलन के बारे में चर्चा की गयी थी।
बीते साल के अंतिम महीने में मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव ने भाजपा प्रत्याशी को 2 लाख 83 हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया था । यूपी की सियासत में अहम रोल निभाने वाली इस सीट पर सपा का ही वर्चस्व रहा है और इसी कारण लोग इसे समाजवादी पार्टी की श्घरेलू सीटश् भी कहते हैं। 1996 से अब तक 8 बार हुए लोकसभा चुनावों में यहां से सिर्फ समाजवादी पार्टी जीतती आई है। 2,745 वर्ग किलोमीटर में फैले इस क्षेत्र की जनसंख्या 1,868,529 है, यहां की औसत साक्षरता दर 76ः है, यहां की 93 प्रतिशत आबादी हिंदू और 5 प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिम है। मोदी लहर के बावजूद साल 2014 में मुलायम सिंह ने एक बड़ी जीत दर्ज की थी। उन्होंने यहां पर भाजपा के शत्रुघ्न सिंह चौहान को 364666 वोटों से हराया था। अब मुलायम के निधन के बाद डिम्पल यादव ने भाजपा प्रत्याशी को पराजित किया है। इसके पीछे शिवपाल यादव का साथ माना जा रहा है। इसी दौर में सपा ने जयंत चौधरी के रालोद से गठबंधन करके खतौली विधान सभा उपचुनाव भी जीत लिया।
अखिलेश यादव का गठबंधन मजबूत होता देख भाजपा और आरएसएस दोनों चौकन्ने हो गये हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष की लखनऊ में महत्वपूर्ण बैठक और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पश्चिम उत्तर दौरा इसी परिपेक्ष्य में देखा जा रहा है। इधर मिशन 2024 में शिवपाल यादव भी युद्धस्तर पर राज्य भर में दौरा करेंगे। शिवपाल यादव की पार्टी प्रसपा का सपा में विलय हो चुका है। अखिलेश की मौजूदगी में उन्होंने सपा का झंडा उठाया। उपचुनावों के नतीजे आने से पहले ही शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का विलय समाजवादी पार्टी में कर दिया था। शिवपाल यादव के भतीजे और जिला पंचायत अध्यक्ष अभिषेक उर्फ अंशुल यादव ने चाचा शिवपाल की गाड़ी से प्रसपा का झंडा निकालकर सपा का झंडा लगाया था। मुलायम सिंह यादव की सीट मैनपुरी से समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी डिंपल यादव ने बीजेपी के रघुराज सिंह शाक्य पर भारी मतों से जीत दर्ज कराई थी। उपचुनाव से ठीक पहले चुनाव प्रचार के दौरान भी चाचा-भतीजा एक साथ मैदान में दिखे थे। चुनावी जनसभा में अखिलेश यादव ने पैर छूकर चाचा का आशीर्वाद भी लिया था। इस तरह उत्तर प्रदेश की एक लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने बड़ा उलटफेर किया है।
भाजपा के साथ संघ ने भी इसे गंभीरता से लिया है । संघ प्रमुख मोहन भागवत पश्चिम उत्तर प्रदेश में मुसलमानों को भी भाजपा से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। ग्यानवापी मस्जिद के विवाद के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि ज्ञानवापी का एक इतिहास है, जिसे हम बदल नहीं सकते हैं। वो इतिहास हमने नहीं बनाया है न आज के अपने आपको हिंदू कहने वालों ने बनाया है, न आज के मुसलमानों ने बनाया। हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों ढूंढना? मोहन भागवत के बयान पर लोग कई तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। मोहन भागवत द्वारा कहा गया कि मुसलमानों के विरुद्ध हिंदू नहीं सोचता है। आज के मुसलमानों के पूर्वज भी हिंदू थे। हमने 9 नवंबर को कह दिया था कि एक राम जन्मभूमि का आंदोलन था, जिसमें हम सम्मिलित हुए। हमने उस काम को पूरा किया। अब हमें आंदोलन नहीं करना है लेकिन मन में मुद्दे उठते हैं। ये किसी के विरुद्ध नहीं है। आगे बढ़ते हुए उन्होंने कहा कि रोज एक मामला निकालना ठीक नहीं है। हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? संघ की इस रणनीति को भी अखिलेश यादव काटने का प्रयास कर रहे हैं।

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