Thursday, May 9, 2024
उत्तर प्रदेश

मायावती क्या बदलेंगी चुनाव रणनीति

 

बहुजन समाज पार्टी बसपा प्रमुख मायावती आम चुनाव 2024 में राजनीति के परिदृश्य को अभी से भांप गयी हैं। मैनपुरी के लोकसभा और खतौली के विधानसभा उपचुनाव में अखिलेश यादव ने भाजपा के मंसूबों पर जिस तरह से पानी फेर दिया उससे मायावती को भी अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है। बसपा प्रमुख मायावती ने 2019 का लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था। मायावती को 10 सांसद मिले थे जबकि समाजवादी पार्टी को 5 सांसद ही मिल पाये थे। चुनाव नतीजे आने के बाद मायावती ने समाजवादी पार्टी से यह कहकर नाता तोड़ लिया था कि अखिलेश यादव अपना वोट बैंक ही नहीं संभाल पाये। बसपा प्रमुख का इशारा अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच झगड़े की तरफ था। लोकसभा चुनाव में इसके चलते नुकसान हुआ इसमें कोई दो राय नहीं। अब शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी प्रसपा का सपा में विलय कर लिया है। इसलिए मायावती को 2019 का गठबंधन मुफीद लग रहा है। इससे उनकी 2014 जैसी फजीहत तो नहीं होगी जब बसपा को एक भी सांसद नहीं मिला था। मायावती इसीलिए चुनाव की तैयारियों की समीक्षा कर रही हैं। इसके लिए वह लगातार अपने नेताओं के साथ बैठक कर रही हैं। अब मायावती ने चुनाव की तैयारियों को लेकर अपने नेताओं से रिपोर्ट लेने की बात कही है। इससे नेता ज्यादा गंभीर होकर निकाय चुनाव हों या लोकसभा उसकी तैयारियों में लग जाएं। इस प्रक्रिया से नेताओं के क्षेत्र में दौरे बढ़ेंगे और जनता से जुड़ाव भी बढ़ेगा। सबसे प्रमुख यह कि निकाय चुनाव में प्रदर्शन के आधार पर मायावती सपा के साथ सम्मानजनक समझौता कर सकेंगी।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। मायावती अब अपने सिपहसालारों से रिपोर्ट लेना शुरू करेंगी। उस रिपोर्ट में किसने कितना काम किया, अब हर हफ्ते बताना होगा। मायावती ने पार्टी के पदाधिकारियों को सभी कोऑर्डिनेटर की समीक्षा के आदेश भी दे दिए हैं। सभी कोऑर्डिनेटर से सप्ताह भर की योजनाओं का खाका तैयार करने को कहा गया है। एक सप्ताह में कितने सदस्य बनाएं, कितनी बैठक की, कितने युवाओं को जोड़ा बहनजी को इसकी सूचना देनी होगी। लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव में दमखम दिखाना है।
मायावती निकाय चुनावों में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। विधानसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद मायावती अब लोकसभा चुनाव और उससे पहले निकाय चुनावों में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती और उसके लिए उन्होंने तैयारी शुरू कर दी है। बसपा सिपहसालारों को अपनी रिपोर्ट बनाते समय कई बातों का जिक्र करना होगा। उन्हें रिपोर्ट में एक सप्ताह में कितने सदस्य बनाएं, कितनी बैठक की और कितने युवाओं को जोड़ा इसकी पूरी रिपोर्ट देनी होगी। इसके बाद पार्टी पदाधिकारी मायावती को इसकी सूचना देंगे।
बीएसपी का प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से ही विश्वनाथ पाल अलग-अलग जिलों के दौरे पर हैं। इस दौरान वे हर जिले में जाकर स्थानीय नेताओं से जानकारी ले रहे हैं। जौनपुर से बीएसपी सांसद श्याम सिंह यादव ने कहा कि ये बहुत महत्वपूर्ण फैसला है। इससे जमीनी स्तर पर पार्टी के नेता और कार्यकर्ता जायेंगे और जनता के साथ संवाद बढ़ेगा जिसका लाभ आगामी चुनावों में पार्टी को मिलेगा।
इससे पहले मायावती ने बैठक करके अपने नेताओ से आगामी चुनावी के लिए तैयार रहने से निर्देश दे दिए हैं। बैठक के दौरान मायावती ने राजनीतिक हालातों पर यूपी और उत्तराखंड के वरिष्ठ पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों को एक्टिव रहने का निर्देश दिया था। इसके अलावा पार्टी के लिए अनुकूल माहौल बनाने के साथ ही बदले माहौल में जनाधार को जोड़ने के लिए गांव-गांव में जाने को कहा था। तब उन्होंने कहा था कि पार्टी के मूवमेंट को मजबूत बनाने के लिए नई रणनीति पर पूरे जी-जान से लग जाएं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के 403 सदस्यों का चुनाव करने के लिए उत्तर प्रदेश में 10 फरवरी से 7 मार्च 2022 तक सात चरणों में विधानसभा चुनाव हुए जिसमे भारतीय जनता पार्टी ने 403 में 255 जीती। यह 1985 के चुनाव के बाद पहली बार था जब कोई सरकार अपना 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने दोबारा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लौटी। बड़ी संख्या में दलित वोट बैंक शिफ्ट होने से बसपा के रणनीतिकार चिंतित हैं। वर्तमान में प्रदेश में लगभग तीन करोड़ दलित वोटर हैं। 2022 के चुनाव में उन्हें सिर्फ एक ही सीट मिली है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक करोड़ 18 लाख वोट पाने वाली बसपा का खाता बमुश्किल ही खुल पाया। पार्टी सिर्फ रसड़ा सीट ही जीत पाई है जबकि प्रदेश में दलित वोटरों की संख्या लगभग तीन करोड़ है। ऐसे में बड़ी संख्या में दलित वोट बैंक शिफ्ट होने से बसपा के रणनीतिकारों की नींद उड़ गई है।बसपा का सबसे बड़ा वोट बैंक भी दलित वोटर ही रहे हैं। इसके साथ बसपा सोशल इंजीनियरिंग कर चुनाव परिणामों को प्रभावित करती रही है। यहां तक कि इसके दम पर पार्टी ने एक बार पूर्ण बहुमत से सत्ता प्राप्त की थी। मगर विस चुनाव 2022 में उसके सारे समीकरण ध्वस्त हो गए। प्रदेश में कुल 15.2 करोड़ वोटर हैं। इनमें से 12.9 फीसदी वोट बसपा को मिला। उसे कुल एक करोड़ 18 लाख 73 हजार 137 वोट मिले। गौरतलब है कि वर्ष 2017 के चुनाव में बसपा को 22.23 फीसदी वोट (एक करोड़ 92 लाख 81 हजार 340 मत) मिले थे। उस समय पार्टी को 19 सीटें मिली थीं। मगर इस बार पार्टी को 10 फीसदी कम वोट मिले और सीट भी सिर्फ एक मिली है। बसपा का सबसे बड़ा वोट बैंक भी दलित वोटर ही रहे हैं। इसके साथ बसपा सोशल इंजीनियरिंग कर चुनाव परिणामों को प्रभावित करती रही है। यहां तक कि इसके दम पर पार्टी ने एक बार पूर्ण बहुमत से सत्ता प्राप्त की थी मगर विस चुनाव 2022 में उसके सारे समीकरण ध्वस्त हो गए।
इधर सपा ने गठबंधन करके जहां विधानसभा चुनाव में 114 विधायक पाये वहीं उपचुनावों में भाजपा को धूल चटा दी। मैनपुरी लोकसभा तथा रामपुर व खतौली विधानसभा सीटों पर उपचुनाव नतीजे 8 दिसम्बर 2022 को घोषित हुए। मैनपुरी सीट से सपा प्रत्याशी डिंपल यादव को प्रचंड जीत मिली वहीं रामपुर में आजम खां का गढ़ ध्वस्त कर भाजपा के आकाश सक्सेना ने इतिहास रच दिया। मैनपुरी की जनता ने मुलायम की बहू पर जमकर प्यार लुटाया। डिम्पल यादव ने 2 लाख 86 हजार से ज्यादा मतों से भाजपा प्रत्याशी को हराया। खतौली सीट से सपा-रालोद प्रत्याशी मदन भैया की जीत हुई। बसपा प्रमुख मायावती इस समीकरण को लेकर भी विचार कर सकती हैं।

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