बघेल की ‘बघेलियत’ कायम
अभी हाल ही में वहां भानुप्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव हुआ था। भूपेश बघेल हिमाचल प्रदेश और गुजरात में चुनाव प्रचार भी कर रहे थे। इसके बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी ने भाजपा प्रत्याशी को धूल चटाई है। इस राज्य में अगले साल विधानसभा के चुनाव भी होने हैं।
कांग्रेस में अब सियासी पहलवानों की कमी हो गयी है लेकिन पूरी तरह अभाव भी नहीं हुआ है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार चलने वाले राजपूत भूपेश बघेल अपनी राजपूती शान बरकरार रखे हैं। अभी हाल ही में वहां भानुप्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव हुआ था। भूपेश बघेल हिमाचल प्रदेश और गुजरात में चुनाव प्रचार भी कर रहे थे। इसके बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी ने भाजपा प्रत्याशी को धूल चटाई है। इस राज्य में अगले साल विधानसभा के चुनाव भी होने हैं। इस दृष्टि से उप चुनाव में जीत काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। खास बात यह है कि भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस ने उप चुनावों में लगातार पांचवी जीत दर्ज की है। भानुप्रताप पुर विधानसभा क्षेत्र में हुए उप चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री मंडावी ने भाजपा प्रत्याशी ब्रह्मानंद नेताम को 21171 मतों से पराजित किया है। सावित्री मंडावी को 65479 मत मिले जबकि भाजपा के ब्रह्मानंद नेतामे को 44308 वोट हासिल हुए। इसी उपचुनाव में पूर्व आईपीएस अकबर राम कोर्रम को 23417 वोट मिले हैं। नक्सल प्रभावित कांकेर जिले के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित विधानसभा क्षेत्र भानुप्रताप पुर में 71.74 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते हैं यह नतीजा कांग्रेस सरकार में चार साल की उपलब्धियों पर जनता की मुहर है। विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 71 हो गयी भाजपा को 2018 में सिर्फ 15 विधायक ही मिल पाये थे। वर्तमान में भाजपा के पास 14 विधायक हैं। विधानसभा में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था। इनके क्रमशः 3 और 2 विधायक हैं।
भानुप्रतापपुर उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री मनोज मंडावी की बढ़त पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इससे पता चलता है कि लोगों का सरकार पर भरोसा बरकरार है। यह मनोज मंडावी द्वारा किए गए कार्यों पर भी मुहर लगाता है। कांग्रेस ने सभी उपचुनाव अच्छे अंतर से जीते हैं। यह दर्शाता है कि सरकार के लिए लोगों का समर्थन बरकरार है। बस्तर में आदिवासी समुदाय की संस्था सर्व आदिवासी समाज ने भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी अकबर राम कोर्रम को अपना उम्मीदवार बनाया था। राज्य में 2018 में बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद चार उपचुनाव हुए और सभी में कांग्रेस की जीत हुई है। राज्य विधानसभा की 90 सीटों में से वर्तमान में कांग्रेस के 71, भारतीय जनता पार्टी के 14, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के तीन और बहुजन समाज पार्टी के दो विधायक हैं। वहीं एक सीट रिक्त है।
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार ने जनहित में कई फैसले किये हैं। विभिन्न श्रेणियों की जनसंख्या के अनुपात में सरकारी नौकरियों में और शिक्षण संस्थानों में दाखिले के लिए आरक्षण से संबंधित दो संशोधन विधेयक छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा पारित किए गए। इससे आरक्षण बढ़ कर 76 प्रतिशत हो गया।
विधेयकों के अनुसार, सरकारी नौकरियों में और शिक्षण संस्थानों में दाखिले के लिए अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (एससी) को 13 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 4 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है। सभी आदिवासी समाज के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भानुप्रतापपुर उपचुनाव लड़े भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी अकबर राम कोर्रम ने इसका विरोध किया था।
उन्होंने सवाल किया कि जब राज्य सरकार 2012 में लागू 58 प्रतिशत आरक्षण को अदालत में वैध ठहराने में विफल रही, तो वह इसे 76 प्रतिशत तक बढ़ाने के फैसले का बचाव कैसे कर पाएगी। वहीं, आईएएस के पूर्व अधिकारी सुशील त्रिवेदी ने कहा कि राज्यपाल द्वारा विधेयकों को मंजूरी दिए जाने के बाद भी उन्हें लागू करना कठिन होगा क्योंकि उच्चतम न्यायालय अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा पहले ही तय कर चुका है।
राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से चलते विवादों के बाद भी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले मुख्यमंत्री के तौर पर सामने आए हैं। न्यूज एजेंसी आईएएनएस और सी-वोटर के हालिया सर्वे में कामकाज और प्रदर्शन के आधार पर बघेल को देश का सबसे अच्छा सीएम बताया गया। उन्हें सभी मुख्यमंत्रियों के बीच सर्वोच्च लोकप्रियता रेटिंग प्राप्त हुई है। सर्वे में छत्तीसगढ़ के लोगों की नाराजगी अपने विधायकों के प्रति अधिक बताई गई। सर्वे में सामने आया कि बघेल से राज्य के केवल छह फीसदी लोग नाराज हैं। ये ही लोग बदलाव चाहते हैं। इसके विपरीत, उन्हें सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के बीच सर्वोच्च लोकप्रियता की रेटिंग मिली। छत्तीसगढ़ में लोगों का अधिक गुस्सा केंद्र सरकार और राज्य के विधायकों के प्रति है। सर्वे में शामिल छत्तीसगढ़ के 44.7 फीसदी लोग केंद्र सरकार से नाराज हैं, जबकि 36.6 फीसदी लोग राज्य सरकार से नाखुश हैं। बघेल की निर्णय लेने की क्षमता और सीईओ वाली कार्यशैली लोगों को पसंद आ रही है।
सरकार बनने के बाद नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी जैसी महत्वपूर्ण योजना की शुरुआत की। राज्य सरकार की इस योजना की तारीफ अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के अलावा स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं। इस योजना से किसानों की आमदनी बढ़ रही साथ ही कई अन्य फायदे भी सामने आ रहे हैं। गौठान में मवेशी सुरक्षित रखे जाते हैं। आर्गेनिक खेती के लिये पर्याप्त मात्रा में खाद और पशुओं की देखभाल व उनके लिए पर्याप्त चारे की व्यवस्था हो रही है। वहीं, गांवों से गोबर खरीदने जैसी योजना भी शुरू की। इसका सीधा फायदा किसानों को होता हुआ नजर आ रहा है। आज किसान गोबर बेच कर बाइक और गाड़िया खरीद रहे हैं। पूरे देश में दिल्ली के बाद छत्तीसगढ़ के लोगों को सबसे सस्ती बिजली मिल रही है। उन्हें जनता दाऊ और काका के नाम से भी पुकारती है।