Saturday, May 18, 2024
राष्ट्रीय

विश्व की ज्वलंत समस्याओं पर महामंथन

 

इंडोनेशिया की राजधानी बाली मंे एक मंच पर दुनिया के 20 बड़े नेता विश्व के गंभीर मुद्दों पर मंथन कर रहे थे। यूक्रेन पर रूस के हमले से तीसरे विश्व युद्ध की आशंका पैदा हो गयी तो चीन ने ताइवान पर अपने अधिकार को लेकर साफ-साफ कह दिया कि चीन मंे तो चीन के तरह का ही लोकतंत्र चलेगा। इस सम्मेलन मंे भारत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मौजूद थे और जी-20 समूह की अध्यक्षता भी भारत को मिलने वाली है। भारत के पीएम मोदी ने एनर्जी सप्लाई को मुक्त रखने की बात कही है। यूक्रेन का मामला भी उठाया। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन रूस और चीन दोनों के रवैये से क्षुब्ध दिखते हैं और उनकी उम्मीद भी भारत के पीएम मोदी पर टिकी हैं। संभवतया यही कारण रहा कि जब जी-20 सम्मेलन से पहले मोदी और बाइडेन मिले तो बाइडेन का एक हाथ मोदी की पीठ पर था जबकि मोदी का हाथ बाइडेन के सीने के पास उन्हें आश्वासन देता प्रतीत हो रहा था। इसके बाद दोनों की उन्मुक्त हंसी बता रही थी कि जैसे वे किसी समाधान पर पहुंच चुके हैं। भारत को दिसम्बर 2022 से दिसम्बर 2023 तक जी-20 की अध्यक्षता का सुअवसर मिलने जा रहा है।
इंडोनेशिया में हो रहे जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कठिन वैश्विक वातावरण में जी-20 को प्रभावी नेतृत्व देने के लिए मैं राष्ट्रपति जोको विडोडो का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। कोविड महामारी, यूक्रेन का घटनाक्रम और उससे जुड़ी वैश्विक समस्याओं ने विश्व में तबाही मचा दी है। पूरी दुनिया मे जीवन-जरूरी चीजों की सप्लाई का संकट बना हुआ है। हर देश के गरीब नागरिकों के लिए चुनौती और गंभीर है। वे पहले से ही रोजमर्रा के जीवन से जूझ रहे थे। उनके पास दोहरी मार से जूझने की आर्थिक क्षमता नहीं है। हमें इस बात को स्वीकार करने से भी संकोच नहीं करना चाहिए कि यूएन जैसी मल्टीलैटरल संस्थाएं, इन मुद्दों पर निष्फल रही हैं। इसलिए आज जी-20 से विश्व को अधिक अपेक्षाएं हैं, हमारे समूह की प्रासंगिकता और बढ़ी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, मैंने बार-बार कहा है कि हमें यूक्रेन मे संघर्ष-विराम और डिप्लोमसी की राह पर लौटने का रास्ता खोजना होगा। पिछली शताब्दी में, दूसरे विश्व युद्ध ने विश्व मंे कहर ढाया था। उसके बाद, उस समय के देशों ने शांति की राह पकड़ने का गंभीर प्रयत्न किया। अब हमारी बारी है। पोस्ट-कोविड काल के लिए एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की रचना करने का जिम्मा हमारे कंधों पर है। समय की मांग है कि हम विश्व में शांति, सद्भाव और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस और सामूहिक संकल्प दिखाएं। मुझे विश्वास है कि अगले वर्ष जब जी-20 बुद्ध और गाँधी की पवित्र भूमि में होगा, तो हम सभी सहमत होकर विश्व को एक मजबूत शांति-संदेश देंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, महामारी के दौरान, भारत ने अपने 1.3 बिलियन नागरिकों की फूड सिक्युरिटी सुनिश्चित की। साथ ही अनेकों जरूरतमंद देशों को भी खाद्यान्न की आपूर्ति की।
जी-20 शिखर वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच काफी देर तक वार्ता हुई। बता दें, सुनक ने हाल ही में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, वैश्विक विकास के लिए भारत की ऊर्जा सुरक्षा महत्वपूर्ण है। क्योंकि, भारत दुनिया की सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा, हमें ऊर्जा की आपूर्ति पर किसी भी प्रतिबंध को बढ़ावा नहीं देना चाहिए और ऊर्जा बाजार में स्थिरता सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, 2030 तक हमारी आधी बिजली अक्षय स्रोतों से पैदा होगी। आगे कहा, भारत में स्थायी खाद्य सुरक्षा के लिए हम प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं और बाजरा जैसे पौष्टिक और पारंपरिक खाद्यान्नों को फिर से लोकप्रिय बना रहे हैं। बाजरा वैश्विक कुपोषण और भूख को भी दूर कर सकता है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन ने के दौरान फूड एनर्जी सिक्योरिटी सत्र में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कोरोना और यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया की सप्लाई चेन प्रभावित हुई है। इससे दुनिया में तबाही फैल गई है। उन्होंने कहा कि यूएन जैसी संस्थाएं इन मुद्दों पर विफल रही हैं। इसलिए हम सभी को मिलकर यूक्रेन युद्ध रोकने का रास्ता निकालना होगा।
जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने कहा, हमने विश्व व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय कानूनों को देखा है। आज दुनिया की नजरें हमारी बैठक पर हैं। मेरी नजर में जी-20 को जरूर सफल होना चाहिए। विडोडो ने कहा, जी-20 के अध्यक्ष के रूप में, इंडोनेशिया ने मतभेदों को खत्म करने के लिए काफी प्रयास किया, लेकिन सफलता तभी प्राप्त की जा सकती है जब हम सभी मतभेदों को दूर करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हों, जिससे दुनिया के लिए यह फायदेमंद हो सके।
उधर, चीन के राष्ट्रपति का इरादा सकारात्मक नहीं दिखा। जी20 की बैठक में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शी चिनफिंग से कहा है कि चीन की ताइवान पर आक्रामक कार्रवाई ने शांति को खतरे में डाल दिया है। बाइडन ने चीन के राष्ट्रपति से कहा कि दोनों देश साथ मिलकर जलवायु परिवर्तन, आर्थिक स्थिरता, स्वास्थ्य और फूड सिक्योरिटी पर काम करें। – बाइडेन ने शिनजियांग से तिब्बत हांगकांग में मानवाधिकार के मुद्दे को भी उठाया। साथ ही उन्होंने कहा कि चीन ताइवान पर यथास्थिति बनाए रखे। एक तरफा बदलाव करने की कोशिश न करे। बाइडेन ने चीन में बंदी अमेरिकी नागरिकों का मुद्दा भी उठाया साथ ही रूस के परमाणु धमकी के मुद्दे पर भी उन्होंने चर्चा की। विदेश मंत्री ब्लिंकेन चीन की यात्रा कर इस बातचीत को आगे बढ़ाएंगे। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ बातचीत में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि हम जोर शोर से प्रतियोगिता करेंगे लेकिन वो विवाद में ना बदले इस बात का जरूर ध्यान रखेंगे।
शी चिनफिंग ने यूक्रेन संकट को लेकर कहा कि संघर्ष और युद्ध कोई विजेता नहीं पैदा करते। दूसरा, किसी जटिल मुद्दे का कोई सरल समाधान नहीं है और प्रमुख देशों के बीच टकराव से बचना चाहिए। चीन हमेशा से शांति का पक्षधर रहा है और शांति वार्ता को प्रोत्साहित करता रहेगा। उन्होंने कहा कि हम रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता की बहाली का समर्थन करते हैं। साथ ही, हमें आशा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका, नाटो और यूरोपीय संघ रूस के साथ व्यापक वार्ता करेंगे। इसी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कई बार कह चुके हैं कि मौजूदा वैश्विक राजनीति एक अहम मोड़ पर है। उनका कहना है कि यह एक ऐसा पल है जब लोगों को सरकारों वाली लोकतांत्रिक व्यवस्था और तानाशाही में से किसी एक को चुनना होगा। रॉयटर्स के अनुसार, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग जो हाल ही में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश के सर्वोच्च पद पर एक बार फिर चुने गए हैं, उन्होंने यह चिंताएं बढ़ा दीं हैं कि वो ताजिंदगी चीन पर शासन करना चाहते हैं। चीन के सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बाली में सोमवार को जो बाइडेन से मुलाकात के दौरान शी ने बाइडेन से कहा, ष्कथित लोकतंत्र बनाम तानाशाही का कथानक आज की दुनिया को सही से परिभाषित नहीं करता है, साथ ही आज के समय का सही से प्रतिनिधित्व भी नहीं करता है।
शी जिनपिंग ने कहा कि स्वतंत्रता, लोकतंत्र और मानवाधिकार, इंसानियत के साझा लक्ष्य हैं। साथ ही चीन की कम्युनिस्ट पार्टी भी इन लक्ष्यों की ओर लगातार अग्रसर रहती है। अमेरिका में अमेरिकी स्टाइल का लोकतंत्र है तो चीन में चीन के तरीके का लोकतंत्र है।
दूसरी तरफ यूक्रेन के खेरसॉन शहर पर फिर कब्जा हो जाने के बाद राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेन्स्की ने यह कहकर चौंकाया कि खेरसॉन पर यूक्रेन का फिर कब्जा हो जाना युद्ध के खात्मे की शुरुआत है। इस प्रकार यूक्रेन के संकट के सुलझने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं और न ताइवान को लेकर चीन झुकने को तैयार है।

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