Sunday, May 19, 2024
उत्तराखंड

प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में चारधाम यात्रा से नए उत्तराखण्ड के नए युग की शुरुआतः सीएम 

 

देहरादून,

उत्तराखंड में चार धाम यात्रा अपने आखिरी पड़ाव पर है। बाबा केदार के कपाट गुरुवार 27 अक्टूबर को विधि विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए, इसके अलावा यमुनोत्री के कपाट भी विधिविधान से बंद कर दिए गए। इधर सरकार के प्रयासों से कोरोना काल के बाद चार धाम यात्रा की रौनक पुनः पटरी पर लौटती हुई नजर आई। चारधाम यात्रा ने इस वर्ष तमाम रिकॉर्ड तोड़ कर नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इस बार केदारनाथ और यमुनोत्री यात्रा में सिर्फ घोड़ा खच्चरों, हेली टिकट और डंडी कंडी के यात्रा भाड़े से लगभग 211 करोड़ के आस-पास कारोबार हुआ है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम यात्रा के सफल संचालन को लेकर खुशी जताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के कथनानुसार आने वाला दशक उत्तराखण्ड है उसकी शुरूआत आज से ही हो चुकी है। इस बार की चार धाम यात्रा बहुत उत्साहवर्धक रही है। प्रदेश की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला है। प्रधानमंत्री द्वारा धार्मिक स्थलों पर आने वाले तीर्थ यात्रियों को स्थानीय उत्पादों को खरीद पर पाँच प्रतिशत खर्च करने के लिए अपील की गई है। आने वाले समय में हम स्थानीय उत्पादों के बिक्री की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। मानस खंड कारीडोर के मास्टर प्लान का काम भी शीघ्र प्रारम्भ किया जाएगा। हमारी सरकार का उद्देश्य समस्त पौराणिक मंदिरों को संवारने का है और उसको पर्यटन से जोड़ना है। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों व कुशल यात्रा प्रबंधन की बदौलत 46 लाख यात्रियों ने इस वर्ष चार धाम यात्रा की। पिछले दो दशक में यह सबसे अधिक आँकड़ा है वहीं श्री केदारनाथ धाम की अकेले बात की जाए तो यहाँ 15 लाख 36 हजार तीर्थ यात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन किए। आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को भी यात्रा साकार करती है। चारधाम यात्रा प्रदेश की आर्थिकी की लाईफ लाईन है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने देश की सांस्कृतिक विरासत को पुनसर््थापित किया है। प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप केदारनाथ व बदरीनाथ धाम का पुनर्विकास किया जा रहा है।

केदारनाथ में हुआ 190 करोड़ से अधिक का कारोबार

इस वर्ष केदारनाथ यात्रा स्थानीय व्यवसाइयों के लिहाज से भी काफी बेहतर रही। सिर्फ यात्रा के टिकट, घोड़ा खच्चरों और हेली और डंडी कंडी के यात्रा भाड़े की बात करें तो लगभग 190 करोड़ के आस- पास यह कारोबार हुआ है। केदारनाथ धाम इस बार घोड़े खच्चर व्यवसाइयों ने करीब 1 अरब 9 करोड़ 28 लाख रुपए का रिकॉर्ड कारोबार किया। जिससे सरकार को भी 8 करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व प्राप्त हुआ। यात्रा सुगम बनाने को लेकर प्रशासन ने 4302 घोड़ा मालिकों के 8664 घोड़े खच्चर पंजीकृत किए थे इस सीजन में 5.34 लाख तीर्थयात्रियों ने घोड़े खच्चरों की सवारी कर केदारनाथ धाम तक यात्रा की। वही डंडी-कंडी वालों ने 86 लाख रुपए की कमाई की और हेली कंपनियों ने 75 करोड़ 40 लाख रुपए का कारोबार किया। इधर सीतापुर और सोनप्रयाग पार्किंग से लगभग 75 लाख का राजस्व सरकार को प्राप्त हुआ।

यमुनोत्री में घोड़े खच्चरों वालों का हुआ 21 करोड़ का कारोबार

इधर यमुनोत्री में घोड़े खच्चरों वालों का लगभग 21 करोड़ का कारोबार इस साल हुआ है। यमुनोत्री धाम में लगभग 2900 घोड़े खच्चर पंजीकृत हैं, जिला पंचायत के अनुसार इस साल यात्रा काल में 21 करोड़ 75 लाख का कारोबार हुआ है। यह आँकड़ा भी रिकॉर्ड तोड़ है।

जीएमवीएन की अनुमानित आय भी 50 करोड़ के करीब

इसके अलावा चारधाम यात्रा में यात्रा मार्ग के सभी होटल/होमस्टे, लॉज और धर्मशालाएं भी पिछले छः माह तक बुक रही। पिछले सालों तक जीएमवीएन जहां आर्थिक नुकसान झेल रहा था इस साल अगस्त तक 40 करोड़ की आय कर चुका है। जीएमवीएन के प्रबंध निदेशक बंशीधर तिवारी ने बताया कि यह आँकड़ा 50 करोड़ के करीब जाने का अनुमान है। इसके अलावा चारधाम यात्रा से जुड़े टैक्सी व्यवसायों ने भी पिछले सालों की औसत आय से तीन गुना अधिक का कारोबार किया है।

प्रधानमंत्री ने यात्रा खर्चे का 5 प्रतिशत स्थानीय उत्पादों पर खर्च करने का किया आह्नान

प्रधानमंत्री ने बीते 21 अक्टूबर को बदरीनाथ धाम स्थित माणा गाँव में वोकल फॉर लोकल का जिक्र करते हुए देशवासियों से आग्रह किया कि जहां भी जाएं एक संकल्प करें कि यात्रा पर जितना भी खर्च करते हैं उसका कम से कम 5 प्रतिशत वहां के स्थानीय उत्पाद खरीदने पर खर्च करें। इन सारे क्षेत्रों में इतनी रोजी रोटी मिल जायेगी, आप कल्पना भी नही कर सकते। ऐसे में अब भविष्य को देखते हुए चारधाम यात्रा में स्थानीय उत्पादों को भी बड़ा मार्केट मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।

इस मायने में भी खास रही यात्रा

गौरीकुण्ड-केदारनाथ व गोविंदघाट-हेमकुंड साहित्य रोपवे परियोजनाओं का भी प्रधानमंत्री ने शिलान्यास किया था। इनके बनने से श्रद्धालुओं की घंटों की यात्रा मिनटों में पूरी होगी। (फोटो-04)

 

लोक सांस्कृतिक एवं कृषि विकास मेले का हुआ शुभारंभ

कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने किया मेले का उद्धघाटन

शहीदों के परिजनों को किया सम्मानित

मेहलचोरी/गैरसैंण, 27 अक्टूबर। गैरसैंण के मेंहलचौरी में आज से चार दिवसीय लोक संस्कृति एवं कृषि विकास मेले का शुभारंभ हो गया है। कैबिनेट मन्त्री सौरभ बहुगुणा ने कृषि मेले का उदघाटन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रो में लगने वाले मेलो का अपना अलग ही महत्व है। मेलों में हमारी संस्कृति और की झलक देखने को मिलती है। उन्होंने मंच से मेला समिति को दो लाख रुपये देने की घोषणा की। उत्तराखंड के पहाड़ी अंचलों में लगने वाले मेले हमारी संस्कृति और परम्परा की विशेष पहचान है। इसीलिए यहां हर वर्ष विभिन्न स्थानों पर मेलो का आयोजन किया जाता है। इन्हीं में से एक गैरसैंण के मेंहलचौरी में आयोजित होने वाला लोक संस्कृति एवं कृषि विकास मेला भी है। मेंहलचौरी के ब्यापार संघ द्वारा आयोजित आज से चार दिवसीय लोक संस्कृति एवं कृषि विकास मेले का आगाज हो गया है। उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मन्त्री सौरभ बहुगुणा ने मेले का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रतिनिधि के तौर पर मेले में शिरकत करने आया हूँ। मंत्री ने कहा कि हमारी संस्कृति व परम्परा को जीवित रखने के लिए मेलों का आयोजन होना जरूरी है। मेलो के स्वरुप को जीवित रखने के लिए प्रदेश सरकार हर सम्भव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि जिस प्रदेश की सेवा मेरे दादा स्व. हेमवती नंदन बहुगुणा ने की, और फिर मेरे पिता ने की, अब उनके बाद मुझे जनता के आशीर्वाद से प्रदेश की सेवा करने का अवसर मिला यह मेरा शौभाग्य है। गैरसैंण को लेकर मंत्री ने कहा कि गैरसैंण उत्तराखंड राज्यान्दोलन की परिकल्पना रही है। यहीं से उत्तराखंड राज्य का आन्दोलन शुरू हुआ था। उन्होंने कहा कि गैरसैंण को लेकर हमारी पूर्ववर्ती सरकार ने ग्रीष्मकालीन राजधानी का फैसला लिया, और अब गैरसैंण का विकास भी हमारी ही सरकार कर रही है। गैरसैंण को लेकर हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। इस दौरान मंत्री सौरभ बहुगुणा ने मंच से केंद्र व राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाए भी गिनाई और मेला कमेटी को दो लाख रुपये देने की घोषणा की।

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