‘‘समाज में दया और करुणा के लिये मीडिया का योगदान’’ शीर्षक कार्यक्रम आयोजित
देहरादून,
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा सुभाष नगर देहरादून सेवाकेंद्र पर ‘‘समाज में दया और करुणा के लिये मीडिया का योगदान’’ शीर्षक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ परमात्म स्मृति तथा दीप प्रज्जवलन द्वारा किया गया। मंच संचालन करते हुए बीके सोनिया बहन ने ‘‘प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व’’ संस्था का परिचय दिया। वरिष्ठ पत्रकार गोपाल नारसन ने कहा कि आज सोशल मीडिया के युग में सभी पत्रकार हैं। उन्होंने कंट्रोलिंग पावर को मीडिया विंग की अति आवश्यकता बताया क्योंकि अच्छे-बुरे की समझ, परिणाम की दूरदर्शिता और जिम्मेवारी का अहसास बहुत जरूरी है। सकारात्मकता का प्रसार नकारात्मकता को मिटायेगा। दया, करुणा, सम्वेदना के साथ ही समाचार प्रसारित होने चाहिये। सुबह अच्छी खबर पढ़ने से सारा दिन मूड अच्छा रहता है। मन, बुद्धि, संस्कार अच्छे बनते हैं। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय से यह सकारात्मकता सीखना चाहिये। मीडिया के उत्तरदायित्व से अधिक सामाजिक उत्तरदायित्व निभाना जरूरी है। यह निर्णय लेना भी जरूरी है कि कौन सा समाचार प्रसार के योग्य है, कौन सा नहीं। सोशल मीडिया के सभी प्रयोगकार्ताओं का भी यही उतारदायित्व है। सूचना विभाग के उपनिदेशक मनोज श्रीवास्तव ने अपने वक्तव्य में अल्टिमेट ट्रुथ के हवाले से कहा कि तर्क और अन्तरात्मा की कसौटी पर खरा उतरते हुए यह ईश्वरीय ज्ञान विश्व परिवर्तन का आधार है। इसकी जितनी शाखायें हैं उतने वृक्ष बनेंगे। मीडिया के लिये वर्तमान समय अच्छी खबर बुरी खबर है और बुरी खबर अच्छी खबर है किंतु इस अवधारणा को ईश्वरीय ज्ञान से परखने की शक्ति के द्वारा परिवर्तन करने की आवश्यकता है। तभी समाज की नींव पुनः मजबूत हो सकेगी जहाँ घटना भी अच्छी हो , उसका समाचार भी और मीडिया कवरेज भी अच्छा हो। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े भूपेंद्र चौहान ने अफसोस जताया की मीडिया का वर्तमान में प्रभाव सकारात्मक से ज्यादा नकारात्मक है इसलिये किसी भी समाचार का ग्रहण सोच समझकर और कम करना चाहिये। सवेरे के समय आध्यात्मिक और पोजिटिव चीजों को ग्रहण करना चाहिये। उन्होंने जोर देकर कहा कि दुर्घटना के समय समाचार लेने के बजाय, गलत को रोकने के लिये, मदद के लिये अवश्य कदम बढ़ायें। वैज्ञानिक अपडेट के साथ साथ आध्यात्मिक भी अपडेट जरूरी है। राजयोगी बीके सुशील भाई ने विषय को विस्तार से समझाते हुए कहा कि सतयुगी भारत की ऐसी महिमा थी कि वहाँ सदैव सुख और भाईचारा था। ऐसी कोई घटना ही नहीं होती थी जिसका कोई समाचार बनता। जब द्वापरयुग, कलियुग में विकृतियाँ बढ़ती हैं तो दुर्घटनायें होती हैं जिनका समाचार बनता है। जब आत्मा मूल धर्म, मूल संस्कार, मूल वतन आदि छोड़ देती है तब उन्हें जड़ों की ओर लौटाने के लिये परमात्मा प्रजापिता ब्रह्मा को माध्यम (मीडिया) बनाते हैं। आज सूचनायें तो बहुत हैं किंतु ज्ञान और समझ कम है। इस समझ को बनाने के लिये, समाज में दया और करुणा को बढ़ाने के लिये, सत्य सूचना को लोगों तक उचित ढंग से पहुंचाने के लिये, लोगों को अपने मूल्यों तक वापस अग्रसर करने के लिये, मीडिया की बहुत बड़ी जिम्मेवारी और योगदान है। देहरादून सेवा केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि जब हम पॉजिटिव होंगे तो हमारे अंदर दया और करुणा होगी। इस पॉजिटिव इनर्जी के लिये इस ईश्वरीय ज्ञान को अपनाना चाहिये। राजयोग के अभ्यास से पोजिटिव शक्ति आती है। यह बल समाज में पोजिटिविटी को बढ़ा सकता है। अभी दशहरा मनाया गया। उन्होंने रामायण का एक प्रसंग बताया कि जब श्री राम ने शिव भक्त रावण पर जीत पाने के लिये शिव की साधना की तो शिव- प्रतिमा स्थापन करने के लिये ब्राह्मणकुल श्रेष्ठ रावण को बुलाया। दक्षिणा स्वरूप रावण ने श्री राम से यह वरदान मांगा कि वो युद्ध के दौरान श्री राम की सकारात्मकता से प्रभावित न हो जाये। कथा का सार था कि वास्तव में नकारत्मकता सकारात्मकता के घबराती है इसलिये नाजुक परिस्थितियों से डरना नहीं चाहिये। जो मेरे मन में होगा वही कलम में, वही मुख में आयेगा। जब हम अपनी सोच को सकारात्मक बनायेंगे तो हमारे मन में दया और करुणा आयेगी और हम प्रिंट दृ सोशल मीडिया के द्वारा भी समाज में सकारात्मकता की शक्ति फैला सकते हैं। बीके दीपशिखा बहन ने राजयोग का अभ्यास कराया। (फोटो-10)