Sunday, April 28, 2024
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सुपोषण अभियान का आरोग्य विचार

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। यह ऐसा क्षेत्र है जिसमें ढांचा गत सुविधा और स्वास्थ्य संबन्धी संसाधनों के साथ ही चिकित्सकों की पर्याप्त उपलब्धता भी अपरिहार्य होती है। पर्याप्त चिकित्सक और प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों के अभाव में अन्य सभी संसाधन निरर्थक हो जाते हैं। पिछली सरकारों ने इस पर पर्याप्त ध्यान ही नहीं दिया। पहले सरकार चला में रह चुके वर्तमान विपक्ष को इस पर प्रश्न उठाने का नैतिक अधिकार नहीं हैं। स्वतंत्रता के बाद से लेकर पांच वर्ष पहले तक प्रदेश में मात्र बारह मेडिकल कालेज थे। योगी आदित्यनाथ सरकार ने विगत पांच वर्षों में करीब चालीस मेडिकल कालेजों का निर्माण किया। उनकी सरकार एक जिला एक उत्पाद की तर्ज पर एक जिला एक मेडिकल कालेज की योजना पर कार्य कर रही है। इससे जहां चिकित्सा ढांचा गत सुविधाओं और स्वास्थ्य संबन्धी संसाधनों का विस्तार हो रहा हैं, वहीं अगले कुछ वर्षों में चिकित्सकों और अन्य चिकित्सा कर्मियों की भी पर्याप्त संख्या हो जाएगी। वर्तमान सरकार केवल चिकित्सा सेवाओं के विस्तार तक ही सीमित नहीं है। बल्कि भारतीय जीवन-शैली के अनुरूप स्वास्थ्य और आरोग्य पर भी ध्यान दिया है। इसके अंतर्गत ही अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत हुई थी। इसके अलावा सूपोषण अभियान शुरू किया गया।फिट इंडिया मुहिम लोगों को फिटनेस के बारे में समझने का बहुत बड़ा अभियान है। इसका शुभारंभ नरेंद्र मोदी ने किया था। इसी प्रकार सुपोषण के प्रति जागरूकता का भी अभियान चलाया गया। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले कार्यकाल में ही सुपोषण अभियान का शुभारंभ किया था। इसके माध्यम से लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना था। इसके लिए महंगे खाद्य पदार्थों का सेवन अनिवार्य नहीं होता। प्रकृति अनेक खाद्य पदार्थ सहज रूप में उपलब्ध कराती है। इनका सेवन स्वास्थ्य वर्धक होता है। कुछ दशक पहले तक भारत में यह सब हमारी जीवन शैली में समाहित था। आधुनिक सभ्यता ने इसका महत्व कम किया। वर्तमान सरकार भारत की परम्परागत जीवन शैली को पुनः अपनाने के प्रति लोगों को जागरूक बनाना चाहती है। सुपोषण अभियान का यही उद्देश्य है। किसी देश के समग्र विकास में स्वास्थ्य भी शामिल है। इसमें स्वस्थ जीवन शैली का समावेश है। भारतीय चिंतन में भी यही संदेश दिया गया। प्राचीन भारत के ऋषियों ने सभी के लिए जीवेत शरदः शतम की कामना की थी, अच्छे स्वास्थ्य को सबसे बड़ी पूंजी बताया था। इसके लिए आहार, विहार, योग, यम, प्राणायाम का मंत्र दिया। उस अनाज के सेवन का संदेश दिया, जिसे मोटा अनाज नामकरण से उपेक्षित किया गया। प्रकृति के निकट रहने, उसके संरक्षण व संवर्धन के सुझाव दिया। गौ दुग्ध का महत्व बताया। इसलिए गौ सेवा का मंत्र दिया। आधुनिकता की दौड़ में यह सभी विचार पीछे छूटते गए, बीमारियां बढ़ती गई, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती गई। लेकिन समय के साथ दुनिया को इस भूल का अनुभव हो रहा है। ऐसे में भारत की ओर सबका ध्यान आकृष्ट हो रहा है। अब वही मोटा अनाज प्रमुख होता जा रहा है। आयुर्वेद के सूत्र उपयोगी लग रहे हैं। हल्दी, सहजन, तुलसी, काढ़ा, गाय का दूध, योग आदि बहुत कुछ अब आधुनिक जीवन शैली की पहचान बनते जा रहे हैं। कोरोना संकट में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर बल दिया गया।
इसके दृष्टिगत भारतीय विचारों को उपयोगी माना गया। प्राचीन भारत के आयुर्वेद का पर अमल करके प्रतिरोधक क्षमता बढाई जा सकती है। ईट लोकल,थिंक ग्लोबल का सूत्र वाक्य दिया गया। यह वोकल से लोकल अभियान पर ही आधारित है। ईट लोकल में स्वास्थ्य का विचार शामिल है। लोकल फूड्स का सेवन करने से उस क्षेत्र के किसानों के साथ-साथ हम स्वास्थ्य को संतुलन में ला सकते हैं। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश को समर्थ और सशक्त राष्ट्र निर्माण के लिए महिलाओं एवं बच्चों का पोषण आवश्यक है। इसके दृष्टिगत प्रधानमंत्री द्वारा देश में प्रतिवर्ष सितम्बर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाये जाने का कार्यक्रम प्रारम्भ किया था। पोषण अभियान के अंतर्गत अनेक प्रकार की गतिविधियों पर विशेष बल दिया जाता है।पोषण माह के प्रथम सप्ताह में पोषण वाटिका की स्थापना हेतु पौधरोपण अभियान संचालित किया जाएगा। इसके तहत सरकारी स्कूलों, आवासीय स्कूलों, आंगनबाड़ी केन्द्रों, ग्राम पंचायत की अतिरिक्त भूमि पर पौधरोपण किया जाए। माह के दूसरे सप्ताह में योग एवं आयुष से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान किशोरियों, बालिकाओं, गर्भवती महिलाओं को केन्द्रित करते हुए योग सत्रों का आयोजन किया जाएगा। तृतीय सप्ताह के दौरान पोषण सम्बन्धी प्रचार-प्रसार सामग्री,अनुपूरक पोषाहार वितरण आदि से सम्बन्धित कार्यक्रम संचालित किये जाएंगे।योगी सरकार ने महिलाओं, बालिकाओं एवं बच्चों के सुपोषण के सम्बन्ध में अनेक अभिनव प्रयोग किये हैं। जिसके बेहतर परिणाम प्राप्त हुए हैं। प्रदेश सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों के साथ ही प्री-प्राइमरी के रूप में आंगनबाड़ी केन्द्रों के संचालन के कार्य को आगे बढ़ाने का प्रयास किया। जिससे बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही स्कूली शिक्षा का कार्य भी आगे बढ़ सके। बच्चों को शासन द्वारा प्रदान की जा रही स्वास्थ्य एवं पोषण सम्बन्धी सभी सुविधाएं सुलभ कराई जा रही है। राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों के प्रभावी संचालन के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय पर जोर दिया गया। महिलाओं एवं बच्चों में कुपोषण दूर करने सम्बन्धी कार्यक्रमों के परिणामों का अध्ययन कराकर उन्हें और बेहतर बनाया जा रहा है।योगी आदित्यनाथ ने आयुष्मान भारत दिवस को उत्सव के रूप में मनाने का निर्देश दिया है। इस दिवस की टैग लाइन चार वर्ष आयुष्मान स्वास्थ्य अमृत,जन सम्मान रखी गई है। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तेईस सितंबर को चार साल पूरे होने जा रहे हैं। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बचपन व वर्तमान सुरक्षित है तो देश का भविष्य भी सुरक्षित है। इन सभी को इस अभियान से जोड़ा जा रहा है। शिक्षा व स्वास्थ्य समाज की बुनियादी आवश्यकताएं हैं। उत्तर प्रदेश ने पांच वर्ष से पोषण माह को मिशन मोड पर लेकर बढ़ाया है। तकनीक से जुड़कर अधिक से अधिक लोगों तक शासन की इन योजनाओं का लाभ पहुंचाया है। साठ हजार से अधिक महिला स्वयंसेवी समूहों को जोड़ा गया है। पोषाहार के हर जिले में नए प्लांट लग रहे हैं। पोषाहार व फूड को समुचित तरीके से पहुंचाया जा रहा है। योगी आदित्यनाथ ने पांच सौ एक आंगनबाड़ी केंद्रों का लोकार्पण व एक सौ निन्यानवे केंद्रों का शिलान्यास किया। उन्होंने श्सहयोगश् व श्बाल पिटाराश् ऐप लांच किया। साथ ही श्दुलारश् कार्यक्रम का शुभारंभ किया। पांच वर्ष पहले करीब दो लाख आंगनबाड़ी केंद्रों में से कई के पास खुद का भवन नहीं था। पांच वर्ष में करीब बाइस हजार केंद्रों के पक्के भवन बनाए गए। इसी प्रकार पांच वर्ष पहले नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में यूपी सबसे फिसड्डी होता था। योगी सरकार के प्रयासों से एनीमिया में नेशनल एवरेज में यूपी की स्थिति सुधरी है।खून की कमी से उबरने में उत्तर प्रदेश सफल हुआ। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को काफी हद तक नियंत्रित करने में भी हमने सफलता पाई।

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