Wednesday, May 15, 2024
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अखिलेश का राजनीतिक लक्ष्य

उत्तर प्रदेश मंे समाजवादी पार्टी भले ही 2022 में सरकार नहीं बना पायी लेकिन उसने भाजपा से अच्छा मुकाबला किया है। सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अपने बेटे की पीठ नहीं थपथपाई थी बल्कि यूपी मंे भाजपा के विरोध मंे उभरते नेता को बधाई दी थी। अखिलेश यादव ने छोटे-छोटे राजनीतिक दलों को जोड़कर 125 विधायक जुटा लिये। यह भाजपा की बढ़ती ताकत को देखते हुए बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी। चुनाव नतीजे आने से पहले तो ऐसा माहौल बन गया था कि भविष्य बताने से बड़े-बड़े चुनावी पंडित भी कतराने लगे थे। बहरहाल, अखिलेश यादव विपक्ष के नेता बने लेकिन आजमगढ़ और रामपुर के लोकसभा उपचुनाव में भाजपा को रोकने में असफल साबित हुए। आजमगढ़ में तो सपा और बसपा के बीच वोटों का जिस तरह बंटवारा हुआ, उसे यदि अखिलेश यादव रोक पाते तो प्रदेश की राजनीति मंे एक नया संदेश जाता। फूलपुर और गोरखपुर के संसदीय उपचुनावों का सबक अखिलेश यादव भूल गये थे। ये बातें इसलिए याद आ रही हैं क्योंकि 5 जुलाई को अखिलेश यादव का एक बयान सामने आया है। इससे पूर्व उन्होंने अपनी पार्टी मंे संगठनात्मक स्तर पर महत्वपूर्ण बदलाव किया है। संगठन को नया स्वरूप देने का प्रयास किया गया। इसी के साथ पार्टी के नये सदस्य बनाए जा रहे हैं। अखिलेश यादव ने एक महत्वपूर्ण बात यह कही है कि लोकतंत्र बचाने के लिए एकजुट होना जरूरी है। इस एकजुटता के बारे मंे उन्हांेंने खुलकर नहीं कहा है लेकिन संकेत दिया कि गैर भाजपा-गैर कांग्रेसी मोर्चा बनाना चाहते हैं। इसीलिए एक तरफ अखिलेश ने यूपी मंे भाजपा सरकार की कुछ कार्यक्रमों, मुद्दों को लेकर आलोचना की, वहीं यह भी कहा कि कांग्रेस जब दिल्ली मंे थी, तब वो विपक्ष के पीछे ईडी, सीबीआई लगाती थी, उसी रास्ते पर भाजपा है। जाहिर है कि अखिलेश कांग्रेस को साथ मंे नहीं रखेंगे लेकिन बसपा प्रमुख मायावती उनके साथ रहेंगी नहीं, तब भाजपा से वे कैसे लड़ पाएंगे?
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने एक बार फिर राजधानी लखनऊ में पार्टी के सदस्यता अभियान का आगाज किया। इस दौरान अखिलेश यादव ने बताया कि यह सदस्यता अभियान यूपी के तमाम जनपदों, मंडलों और तहसील स्तर पर चलेगा। सपा प्रमुख ने इस दौरान योगी सरकार के 100 दिन के रिपोर्ट कार्ड पर भी निशाना साधा। अखिलेश यादव ने कहा कि उन्हें 5 साल 100 दिन की उपलब्धि बतानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सरकार आज भी समाजवादी पार्टी के कामों का फीता काट रही है, जो भी उद्घाटन हो रहा वह भी आधा अधूरा ही है। उन्होंने यूपी के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक पर इशारों-इशारों में तंज कसते हुए कहा ‘अधिकारी इनके डिप्टी सीएम की बात नहीं मानते हैं, बिना पूछे ट्रांसफर हो गया। यही डिप्टी सीएम सबसे ज्यादा छापेमारी करते है।’ इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि योगी सरकार को कोई पीछे से चला रहा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इसके साथ ही कहा, ‘कांग्रेस जब दिल्ली में थी तब वह विपक्ष के पीछे ईडी, सीबाअई लगाती थी और उसी रास्ते पर भाजपा है। महाराष्ट्र में उन्होंने (भाजपा ने) स्वीकार कर लिया कि वहां ईडी सरकार है। ईडी सरकार मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में भी है। भाजपा इन संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है।’
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इससे पहले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को छोड़कर सभी युवा संगठनों, महिला सभा और अन्य सभी प्रकोष्ठों के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष, सहित राष्ट्रीय तथा राज्य कार्यकारिणी को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया था। ऐसे में माना जा रहा कि सपा इस सदस्यता अभियान के पूरा होने के बाद अपनी कार्यकारिणी का नए सिरे से विस्तार करेगी। बहरहाल, अखिलेश यादव पार्टी में बड़े बदलाव की तैयारी में दिख रहे हैं। उन्होंने सपा के यूपी
अध्यक्ष को छोड़कर पार्टी के सभी युवा संगठनों, महिला सभा और अन्य सभी प्रकोष्ठों के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष, सहित राष्ट्रीय तथा राज्य कार्यकारिणी को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है।
दरअसल यूपी के हालिया विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव की उम्मीदों के मुताबिक नतीजे न आने के बाद से ही सपा की कार्यकारिणी भंग किए जाने का अनुमान जताया जा रहा था। अब खबर है कि अगस्त के आखिरी हफ्ते या सितंबर शुरुआत में होने वाले सपा के राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद नए सिरे से सपा कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा। अखिलेश यादव के इस कदम को यूपी चुनाव में सपा को मिली हार के नतीजे के रूप में देखा जा रहा है। यूपी की 403 सदस्यीय विधानसभा में 400 सीटें जीतने का दावा कर रहे अखिलेश यादव को चुनाव नतीजों में महज 111 सीटों से संतोष करना पड़ा था। विधानसभा चुनाव के इन नतीजों को लेकर कई नेताओं और सियासी जानकारी ने अखिलेश यादव की कार्यशैली पर सवाल उठाया था और उन्हें बस अपनी किचन कैबिनेट से घिरे रहने का आरोप लगाया था। ऐसे अखिलेश यादव द्वारा सपा की सभी संगठनों और प्रकोष्ठों को भंग करने को वर्ष 2024 में होने वाले संसदीय चुनाव की तैयारी से जोड़कर बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है।
उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की पराजय के बाद पार्टी के सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को लेकर बड़ा बयान दिया। गाजीपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए राजभर ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि वह अपने दम पर नहीं बल्कि अपने पिता मुलायम सिंह यादव की कृपा से मुख्यमंत्री बने थे। वर्ष 2012 का विधानसभा चुनाव मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में हुआ था मगर ताज अखिलेश के सिर सजा। उन्होंने अखिलेश की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े करते हुए कहा, अखिलेश यादव के नेतृत्व में वर्ष 2014, 2017, 2019 और 2022 में लोकसभा व विधानसभा के जो भी चुनाव हुए, सभी में सपा पराजित हुई। उपचुनाव व विधान परिषद के चुनाव में भी सपा हारी है। अखिलेश यादव स्वयं स्पष्ट करें कि अभी तक एक भी चुनाव में उन्हें जीत क्यों नहीं हासिल हुई। राजभर ने अखिलेश यादव को वातानुकूलित कमरों से निकलकर क्षेत्र में काम करने की सलाह देते हुए पूछा, अखिलेश यादव बताएं कि उन्होंने अभी तक धरातल पर क्या कार्य किया है। उन्होंने अभी तक कितने गांवों में बैठक की है। हाल के लोकसभा उपचुनाव में सपा मुखिया चुनाव प्रचार में नहीं गए थे। ऐसे में पार्टी कैसे चुनाव जीतेगी? वर्ष 2024 में भाजपा द्वारा उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने की संभावना संबंधी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दावे के बारे में पूछे जाने पर राजभर ने कहा कि विपक्षी दलों के नेताओं के रवैये में बदलाव नहीं आया तो भाजपा उत्तर प्रदेश में सभी 80 सीट जीत सकती है। जाहिर है कि अखिलेश के रवैये से उनके राजनीतिक साथी भी संतुष्ट नहीं हैं।

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