Monday, May 20, 2024
राष्ट्रीय

नफरत की आग

 

देश की राजधानी दिल्ली एक बार फिर नफरत की आग में झुलसी है। हनुमान जन्मोत्सव पर 16 अप्रैल को उत्तरी दिल्ली के जहांगीरपुरी मंे शोभा यात्रा निकाली जा रही थी, उसी समय दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प हो गयी। इस झड़प मंे एक नागरिक और 8 पुलिसकर्मी घायल हो गये। सबसे बड़ी बात यह कि वहां के हिन्दू वाशिंदे दहशत मंे आ गये और वे कहने लगे कि यहां भी योगी जैसा मुख्यमंत्री चाहिए जो गुंडों, माफियाओं के घर पर बुलडोजर चलवा सके। योगी का नाम आया तो यूपी के कुशीनगर के बाबर अहमद की याद आ गयी। बाबर ने भाजपा की जीत की खुशी पर लड्डू खिलाये गये तो उसकी पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी। एक विशेष समुदाय में नफरत की आग फैलती ही जा रही है। सहारनपुर मंे समाजवादी पार्टी के एक नेता ने पार्टी इसलिए छोड़ दी कि अखिलेश यादव उस सम्प्रदाय के लोगों के समर्थन मंे सड़क पर उतरकर संघर्ष क्यों नहीं कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के ही गोंडा मंे भाजपा को वोट देने वाले एक मुसलमान युवकों को काफिर बताकर मस्जिद से भगा दिया गया। इतना ही नहीं तालीम की विश्व प्रसिद्ध संस्था सहारनपुर की दारुल उलूम के बड़े ओहदेदार ने मुसलमानों को सड़क पर उतर कर सघर्ष करने का आह्वान किया। हालांकि बाद में उन्होंने यूटर्न लेते हुए कहा कि मेरे बयान को मीडिया में तोड़फोड़ कर पेश किया गया है। बहरहाल, यह नफरत की आग अगर तत्काल बुझाई गयी तो इंसानियत के जलने की आशंका बनी रहेगी।
विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक विश्वविद्यालय दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने पहले विवादास्पद बयान दिया फिर बयान से यू-टर्न लेते हुए मीडिया पर बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया है। विवादित ऑडियो वायरल होने के बाद दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक पत्र जारी कर शांति और अमन की बात भी कही है। उन्होंने कहा है कि दारुल उलूम देश में शांति और भाईचारे का पैगाम देता है। इससे पहले मुफ्ती नोमानी का एक विवादित ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था मुस्लिमों को भड़काते हुए सुने जा रहे थे। गौरतलब है कि यूपी के सहारनपुर के देवबंद में इस्लामी तालीम के प्रमुख केंद्र दारुल उलूम के चांसलर मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने बड़ा बयान दिया था। उन्होंने दिल्ली के जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती के दौरान निकली शोभा यात्रा में हुई हिंसा पर बयान दिया जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वायरल ऑडियो में नोमानी मुसलमानों को भड़काते हुए नजर आ रहे हैं। वह यह कह रहे हैं कि मुसलमानों को छत पर छाड़कर नारा-ए-तकबीर बोलने से कुछ नहीं होगा। अब डटकर मुकाबला करना होगा। नोमानी ने मुसलमानों को बुजदिली का रास्ता छोड़ने और समझदारी से हालात का मुकाबला करने के लिए कहा है। अपने ट्विटर हैंडल पर ऑडियो जारी करते हुए उन्होंने कहा कि अगर जानमाल पर आंच आए तो छत पर चढ़कर सिर्फ नारा-ए-तकबीर बुलंद न करें। पूरी ताकत के साथ हालात का मुकाबला करें। मुफ्ती नोमानी ने देश में कई स्थानों पर हुए सांप्रदायिक दंगों पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि मुसलमान अपने गुनाहों से तौबा करें। अपनी जिंदगी में इस्लामी तालीम को अपनाएं। देश के लोग और पड़ोसियों के सामने इस्लाम की असली तस्वीर पेश करें। इससे उनके जेहन में, जो गंदगी भरी जा रही है, वह साफ हो सकेगी।
यह गंदगी साफ होती नहीं दिख रही है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद समाजवादी पार्टी में मुस्लिम नेताओं के बगावती सुर तेजी से मुखर हो रहे हैं। इसी क्रम में सहारनपुर के वरिष्ठ सपा नेता सिकंदर अली ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर गंभीर आरोप लगाते हुए ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। सिकंदर अली ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर मुस्लिम समाज की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम नेताओं के खिलाफ हो रही कार्रवाई पर अखिलेश यादव की चुप्पी से उन्हें घुटन महसूस हो रही थी।
सपा के पूर्व जिला महासचिव समेत अन्य विभिन्न पदों पर आसीन रहे हैं सपा नेता सिकंदर अली ने कहा कि आजम खान की गिरफ्तारी समेत कई मामलों में अखिलेश यादव चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह वह सपा नहीं है जो मुलायम सिंह यादव के समय थी। अखिलेश यादव के नई हवा है नई सपा के नारे पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव मुसलमानों का वोट लेकर ही 111 सीटों पर जीते हैं। लेकिन जिस तरह से आजम खान और नाहिद हसन के मसले पर उन्होंने कुछ नहीं किया इससे साफ है कि जब एक विधायक के लिए खड़े नहीं हो सकते तो आम कार्यकर्ता का क्या साथ देंगेबता दें कि सिकंदर अली ने 2022 में विधानसभा चुनाव में सपा से टिकट की मांग भी की थी। सिकंदर अली का आरोप है कि मुस्लिम समाज के उत्पीड़न के मामलों पर सपा प्रमुख कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देते, जबकि मुसलमानों ने उन्हें हमेशा वोट दिया। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव चापलूसों और चाटुकारों से घिरे हुए हैं। अखिलेश यादव ने सिर्फ मुस्लिमों को वोट बैंक समझा। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि बीजेपी और मुसलमानों की दुश्मनी कराने का काम भी अखिलेश यादव ने ही किया है। इसी वजह से मैंने पार्टी छोड़ी है। जो नेता अपने विधायकों और सांसदों की लड़ाई नहीं लड़ सकता वह आम कार्यकर्ताओं की क्या सुनेगा। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में बसपा की तरह ही मुसलमान समाजवादी पार्टी को समाप्तवादी पार्टी बनाने का काम करेगा।
यूपी के ही गोंडा जिले में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का कट्टरपंथी चेहरा भी सामने आया है। कट्टरपंथियों ने बीजेपी का सपोर्ट करने पर एक युवक को मस्जिद में नमाज पढ़ने से रोक दिया। जब युवक ने इसका विरोध किया तो उसे मस्जिद के बाहर भगा दिया गया और फिर लाठी डंडों से लैस होकर उसके घर पर भी धावा बोला गया। इसकी सूचना मिलने पर एसपी संतोष मिश्रा खुद पीड़ित के गांव पहुंचे और सांप्रदायिक सौहार्द खराब करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी। पीड़ित युवक लुकमान बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा का पूर्व महामंत्री रहा है और चुवाव में उसने बीजेपी को सपोर्ट किया था। फिलहाल लुकमान की शिकायत पर 4 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है और 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही गांव में बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गयी थी। मो लुकमान का कहना है कि इस बार भी उन्होंने चुनाव में बीजेपी को सपोर्ट किया था। इससे गांव के कुछ लोग नाराज हैं। लुकमान 19 अप्रैल को मस्जिद में नमाज पढ़ने गया था तो उसे नमाज पढ़ने से रोक दिया गया और मस्जिद में नहीं घुसने दिया गया। लुकमान ने विरोध किया तो उसे काफिर कहकर मस्जिद से भगा दिया। इसके बाद कुछ लोगों ने लाठी-डंडों से लैस होकर उसके घर पर धावा बोल दिया और उसके साथ मारपीट की।

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